
मुंबई: सरकार भले ही बदल रही हो, लेकिन किसान आत्महत्या (Suicide) का मुद्दा बना हुआ है। मराठवाड़ा (Marathwada) में किसानों (Farmers) की आत्महत्या के आंकड़े चिंता का विषय बन गए हैं। क्योंकि नए साल के 72 दिनों में मराठवाड़ा में 163 आत्महत्याएं दर्ज की गई हैं। जिसमें सबसे ज्यादा किसान आत्महत्या बीड जिले (Beed District) में हुई है। अकेले बीड जिले में 72 दिनों में 52 किसानों ने अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली है। कर्ज (Loan) चुकाने की चिंता इसके प्रमुख कारण हैं।
2022 में 1 हजार 23 किसान कर चुके हैं आत्महत्या
मराठवाड़ा में पिछले तीन सालों से लगातार भारी बारिश (Heavy Rain) हो रही है इसलिए किसान संकट में है। लगातार बंजर होने और कर्ज की चिंता से कई किसान आत्महत्या कर रहे हैं। जिसमें मराठवाड़ा में किसानों की आत्महत्या की संख्या चिंताजनक है। अकेले मराठवाड़ा में ही 2022 में 1 हजार 23 किसान आत्महत्या कर चुके हैं। 2023 की शुरुआत में भी मराठवाड़ा में किसानों की आत्महत्याएं थमने का नाम नहीं ले रही हैं। क्योंकि नए साल के 72 दिनों में मराठवाड़ा में 163 आत्महत्याएं दर्ज की गई हैं। दिलचस्प बात यह है कि कृषि मंत्री अब्दुल सत्तार (Agriculture Minister Abdul Sattar) के जिले में एक हफ्ते में सात किसानों ने आत्महत्या कर ली है।
जिले का नाम – आत्महत्या संख्या
- छत्रपति संभाजीनगर – 16
- जालना – 11
- परभणी – 14
- हिंगोली – 03
- नांदेड़ – 25
- बीड – 52
- लातूर – 10
- धाराशिव – 32
- कुल – 163
पहले तेज बारिश और अब बेमौसम
इस साल भी मराठवाड़ा के किसानों को भारी संकट का सामना करना पड़ा है। क्योंकि शुरू में तेज बारिश ने किसानों को भारी नुकसान पहुंचाया। भारी बारिश के कारण कई जगहों पर 15 दिनों तक खेतों में पानी भरा रहा। जहां उम्मीद की जा रही है कि रबी में कुछ होगा, वहीं पिछले सप्ताह हुई बेमौसम बारिश ने फसलों को भारी नुकसान (Loss) पहुंचाया है। जिसमें गेहूं की फसल आड़े-तिरछे पड़ी थी।