Shirdi Lok Sabha Seat

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नवभारत डिजिटल टीम: देश में इन दिनों लोकसभा चुनाव को लेकर तैयारियां जोरों पर है। महाराष्ट्र में भी सभी पार्टियां जोरों से प्रचार-प्रसार में लगी हुई है। महाराष्ट्र की शिरडी लोकसभा सीट में इस बार शिवसेना बनाम शिवसेना की लड़ाई देखने को मिलने वाली है। जिसे लेकर यह चुनाव और दिलचस्प मोड़ पर आ गया है। शिरडी लोकसभा क्षेत्र अहमदनगर जिले के दो निर्वाचन क्षेत्रों में से एक है। यह राज्य की महत्तवपूर्ण सीट है। इस सीट को 2008 में कोपरगांव लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र के विभाजन के बाद बनाया गया था। इस संसदीय क्षेत्र में कुल 6 विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं। जिनमें अकोले, संगमनेर, शिरडी, कोपरगांव, श्रीरामपुर, नेवासा शामिल है। यहां पहला संसदीय चुनाव साल 2009 में हुआ। इस सीट पर शिवसेना का दबदबा है। वर्तमान में यहां से शिवसेना के सदाशिव लोखंडे सांसद हैं। शिवसेना में बगावत के बाद सदाशिव लोखंडे ने शिंदे के साथ जाने का फैसला किया। वह पिछले दो बार से लगातार शिव सेना के टिकट पर शिरडी लोकसभा क्षेत्र से सांसद चुने गए हैं। इससे पहले 2009 के लोकसभा चुनाव में भाऊसाहेब वाकचौरे ने इस सीट से जीत हासिल की थी। उन्होंने शिवसेना के टिकट पर चुनाव भी लड़ा था। इस बार शिवसेना में फूट के बाद यहां चुनाव काफी रोचक हो गया है।

शिवसेना सत्ता में

शिरडी लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र की स्थापना 2008 में हुई थी। तब से शिरडी निर्वाचन क्षेत्र में शिवसेना सत्ता में है। भाऊसाहेब वाकचौरे ने निर्वाचन क्षेत्र की स्थापना के बाद पहला चुनाव यानी 2009 जीता है और सदाशिव लोखंडे ने 2014 और 2019 में लगातार जीत हासिल की है। तो समझा जाता है कि शिरडी की जनता शिवसेना के साथ है। पूर्ववर्ती कोपरगांव निर्वाचन क्षेत्र से एक नया निर्वाचन क्षेत्र, शिरडी बनाया गया था। उससे पहले 2004 तक इस निर्वाचन क्षेत्र (कोपरगांव) पर मुख्य रूप से बालासाहेब विखे पटल का दबदबा था। बालासाहेब विखे पाटिल ने लोकसभा में इस निर्वाचन क्षेत्र का 7 बार प्रतिनिधित्व किया। इनमें से 6 बार वह कांग्रेस से और एक बार शिवसेना से लोकसभा चुनाव जीते। इस सीट से बालासाहेब विखे पाटिल ने लगातार पांच बार 1971, 1977, 1980, 1984, 1989 में कांग्रेस से जीत हासिल की थी। इसके बाद वह 1999 और 2004 में फिर से निर्वाचित हुए। इस सीट पर बीजेपी को सिर्फ एक बार जीत मिली है। 1996 के चुनाव में बीजेपी के भीमराव बडाडे चुने गए।

विधान सभा में महायुति और महाविकास अघाड़ी के पास 3-3 सीटें

फिलहाल इस विधानसभा क्षेत्र में पार्टी की ताकत को देखते हुए कांग्रेस के 2 विधायक, एनसीपी अजित पवार गुट के 2 विधायक, बीजेपी का 1 विधायक और ठाकरे समर्थक शंकरराव गडाख नेवासी विधायक हैं। इस लोकसभा क्षेत्र की विधान सभा में महायुति के पास तीन सीटें और महाविकास अघाड़ी के पास तीन सीटें हैं। इसलिए इसमें किसी का बोझ नहीं देखा जाता। 2014 के बाद 2019 में सदाशिव लोखंडे को लगातार दूसरी बार लोकसभा में शिरडी निर्वाचन क्षेत्र का नेतृत्व करने का मौका मिला। शिवसेना ने 2019 में महायुति से सदाशिव लोखंडे की उम्मीदवारी बरकरार रखी थी। विपक्षी कांग्रेस और एनसीपी गठबंधन ने भाऊसाहेब कांबले को नामांकित करके लोखंडे को चुनौती देने की कोशिश की। लेकिन लोखंडे ने लगातार दूसरी बार जीत हासिल की और निर्वाचन क्षेत्र में शिवसेना का वर्चस्व बरकरार रखा।

शिवसेना का दबदबा

2019 में लोखंडे को 4,86,820 वोट मिले जबकि कांबले को 3,66,625 वोट मिले। लोखंडे ने लगभग 1 लाख से अधिक वोटों के अंतर से जीत हासिल की थी। विधानसभा क्षेत्रों पर गौर करें तो पता चलता है कि इन क्षेत्रों में मुख्य रूप से एनसीपी और कांग्रेस का प्रभाव ज्यादा है। लेकिन फिर भी पिछले तीन चुनावों में शिवसेना ने इस चुनौती का बखूबी सामना किया और सीट बरकरार रखी। निर्वाचन क्षेत्र के गठन के बाद से यानी 2009 से इस निर्वाचन क्षेत्र में शिवसेना का दबदबा देखने को मिला है। लेकिन शिवसेना में फूट के बाद इस बात की संभावना है कि इस सीट पर ‘शिवसेना’ और ‘शिवसेना’ यानी ठाकरे और शिंदे गुट के बीच मुकाबला होगा। पूर्व सांसद भाऊसाहेब वाकचौरे, जो 2014 में कांग्रेस में शामिल होने के लिए शिवसेना छोड़ चुके थे, शिवसेना के उद्धव ठाकरे गुट में लौट आए हैं। ठाकरे समूह ने महाविकास अघाड़ी की ओर से उम्मीदवारी की घोषणा भी कर दी है। इसलिए, वाकचोरे महाविकास अघाड़ी से शिरडी लोकसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ेंगे।

इस संसदीय क्षेत्र से वर्तमान में शिवसेना के सदाशिव लोखंडे सांसद हैं। शिवसेना में फूट के बाद उन्होंने एकनाथ शिंदे को समर्थन देने का फैसला किया था। इसलिए उन्हें दोबारा नामांकित किया गया है। इसलिए इस जगह पर शिंदे और उद्धव ठाकरे गुट आमने-सामने होंगे। रामदास अठावले ने बीजेपी से शिरडी की मांग की थी। वहीं, राज ठाकरे की एमएनएस के भी महागठबंधन में शामिल होने की चर्चा चल रही थी। तब चर्चा थी कि मनसे ने भी शिरडी पर दावा किया है। आखिरकार यह सीट शिंदे गुट के खाते में चली गई और मौजूदा सांसद सदाशिव लोखंडे उम्मीदवार हैं।
इसलिए शिर्डी लोकसभा में दो शिवसैनिक लोखंडे और वाकचौरे आमने-सामने होंगे।