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    तलेगांव दशासर (सं). पिछले ड़ेढ, दो माह की लगातार व मूसलधार वर्षा से जहां खेत, बाड़ी तालाबों में समा चुकी थी. वहीं खेती में बोई की गयीं सोयाबीन, कपास,तुअर की फसलों का विकास थम गया है. खेतो में देखा जाये तो हर तरफ हरा भरा माहौल देखने मिलता है, लेकिन फसलों के साथ ही खरपत भी बढ़ने से इस हरि भरी लहलहाती फसलों का अधिक वर्षा व घास,फूंस के चलते विकास थम गया है.

    में कपास की फसलों का विकास रुकने से उसको लगने वाले बिनोले कम व कच्चे रहने से उपज पर उसका भारी मात्रा में परिणाम देखने मिल सकता है. वही हाल सोयबीन का भी है.

    जो भरपूर व लगातार बारिश से वक्त से पहले ही शबाब पर आ गयी व फल्लियां लगनी शुरू हो चुकी है. यह फल्लियां इस नवतपा या वापसे की कड़ी धूप से गलने लगीं है. जिससे इसके भी उपज क्षमता पर असर पड़ेगा. वही खरपत बढ़ने से व खेतों में दलदल या भारी गिला पन होने से डवरण, निन्दन भारी जोखिम भरा साबित हो रहा है.

    अब कपास पर कीट प्रकोप के चलते भी उसकी उपज पर इसका असर होना स्वभाविक नही तो संभावित भी है. कुल मिलाकर इस मौसम के बदले तेवरों व बारिश की जबरदस्त हाज़री ने जमीन में ज़रूर पाणी का स्तर बढ़ा दिया है. लेकिन फसलों की अच्छी बारिश के बावजूद उपज क्षमता को लेकर असमंजस ही नही तो परेशानी में डाल दिया है.