Ravi Rana and bacchu kadu
रवि राणा-बच्चू कडू (फाइल फोटो)

  • बच्चू-राणा माफी विवाद चर्चा का विषय बना

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अमरावती. गत कुछ दिनों से पूरे राज्य में पूर्व मंत्री बच्चू कडू तथा विधायक राणा का विषय काफी चर्चा में है. इस बीच राज्य के मुख्यमंत्री तथा उपमुख्यमंत्री की मध्यस्ता से दोनों विधायक का मिलन मिलन होने की जानकारी मिली है. रवि राणा ने बच्चू कडू से सॉरी कहकर विवाद को विराम देने का प्रयास किया है, लेकिन इन दिनों दोनों के बीच जो आरोप-प्रत्यारोप लगे हैं. वह सिर्फ सॉरी या माफी मांगने से खत्म हो जाएंगे, ऐसा तो नजर नहीं आ रहा है.

इस प्रकरण में राणा का राजनीतिक नुकसान किसी भी तरह से नजर नहीं आ रहा है. वहीं पर पूर्व मंत्री रहे बच्चू कडू के ऊपर आर्थिक गंभीर आरोप लगाए. इसे सिर्फ माफी मांग कर विषय को समाप्त नहीं होगा, ऐसा प्रतीत होता है. कडू की जो राजनीतिक बदनामी हुई है. वह अब ‘हौदौ से गई वह बुंदों से भी नहीं लौटेगी’ जैसी स्थिति हो गई है. फोटो. 31 बच्चू कडू

प्रहार कार्यकर्ता सम्मेलन आज

इस बीच मंगलवार को बच्चू द्वारा स्थानीय नेहरू मैदान में आयोजित प्रहार कार्यकर्ता सम्मेलन में कड़ू इन बदली परिस्थितियों में क्या निर्णय लेते हैं इस ओर सभी की निगाहें लगी हुई हैं. 

वैसे तो राणा दंपत्ति आए दिन चर्चा में रहते हैं. वह कभी हनुमान चालीसा को लेकर तो कभी खोडके, अडसुल या फिर बच्चू कडू से उलझते रहते हैं. पूरे राज्य में खुलकर पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के खिलाफ मुखर होकर आंदोलित रहे. वैसे तो राज्य में शिवसेना के खिलाफ कोई भी अपशब्द बोले तो शिवसैनिकों में रोष दिखाई देता है.

विशेषकर मुंबई में तो किसी भी की भी हिम्मत नहीं होती. वहीं पर राणा ने शिवसेना के गढ़ तथा तत्कालीन सत्ताधारी पक्ष के खिलाफ खुलकर हनुमान चालीसा को लेकर जंग लड़ी. इसमें राणा दंपत्ति को मानसिक प्रताडना के साथ 14 दिनों की जेल की हवा भी खानी पड़ी, लेकिन इसमें सरकार को काफी नुकसान तथा राणा फायदे में दिखाई दिए. इसी तरह गत अनेक माह से कडू व राणा के बीच वाद-विवाद जारी है. दोनों विधायक सत्ताधारी पक्ष से जुड़े होने के बावजूद दोनों के बीच खुलकर विवाद जारी रहा.

शिंदे सरकार की स्थापना पश्चात मंत्रिमंडल में जगह को लेकर इस विवाद की शुरुआत हुई थी. यह गत कुछ माह से जारी थी. एक चिंगारी ने उग्र आग का स्वरूप ले लिया. तब तक राज्य के नेताओं ने इसमें कोई रुचि नहीं दिखाई. जब स्वयं मुख्यमंत्री व सरकार कि इस विवाद से बदनामी होने लगी तो बाद मे आपसी विवाद मिटाने का प्रयास किया गया.

इससे पूर्व राणा दंपति की बात की जाए तो उनका खोडके तथा अडसुल के साथ भी इसी तरह विवाद काफी लंबा चला था. अंतत उसमें भी राणा का कोई नुकसान नहीं हुआ, बल्कि फायदे में रहे. राणा किसी भी विषय को दूरदृष्टि से छेडते हैं और उसे सतत चर्चा का मुद्दा बनाकर किसी भी स्तर पर जाते हैं. इससे चर्चा है कि राणा सोची समझी रणनीति के तहत यह कर रहे थे.

बच्चू कडू को क्या हासिल हुआ

करीब 20 वर्षों से अचलपुर से विधायक रहे बच्चू कडू ने काफी संघर्ष कर राजनीति में एक मुकाम हासिल किया है. बगैर किसी राजनीतिक वरदहस्त के प्रस्थापितों को पछाड़ पर एक निर्दलीय विधायक बने. प्रहार संगठन स्थापित कर पूरे राज्य में अपना जाल फैलाया. उनके पास कार्यकर्ताओं की फौज है. कडू ने भी राज्य में जिसकी भी सत्ता रहती है, उसके साथ तालमेल करते आए हैं. उनके निर्वाचन क्षेत्र में फिलहाल उनके कद का राजनीतिक प्रतिद्वंदी नहीं है. यह वस्तुस्थिति है, लेकिन नई सरकार को समर्थन देने हेतु पहल करने वाले निर्दलीय विधायक कडू को सरकार के पहले मंत्री मंडल में स्थान मिलने की पूरी संभावना व्यक्त की जा रही थी, लेकिन इसमें जगह नहीं मिलने के बाद से उनके मनोबल में कुछ कमी जरूर नजर आई.

राणा व कडू दोनों में सत्ता हेतु एड़ीचोटी का जोर लगाया था. इस संघर्ष को देख सरकार ने फिलहाल विराम लगाते हुए फडणवीस ने जिले के पालकमंत्री का पदभार संभाल कर जिले के सारे सूत्र अपने पास रख लिए. इससे राणा को तो कोई खास फर्क नहीं पड़ेगा ऐसा राजनीतिक अनुमान है लेकिन कडू के बारे में तरह-तरह की चर्चा जिले में होने लगी. इस बीच राणा व कडू के बीच आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला चला. इसे राणा ने बच्चू कडू पर आर्थिक आरोप लगाए. इससे कड़वाहट हो गई. वैसे तो किसी पर भी महिला एवं आर्थिक आरोप लगते हैं, तो उसका काफी नुकसान होता है.

राणा ने इस विषय को इतना लंबा खींचा की जिसकी चर्चा पूरे राज्य में हुई. अब राणा एक प्रतीकात्मक शब्द सॉरी बोलकर आपसी मतभेद दूर करने की बात कह रहे हैं. जो किसी को भी हजम नहीं हो रही है. इस प्रकरण में राणा या कडू में से इसका नुकसान हुआ. यह आगामी दिनों में पता चल ही जाएगा. फिलहाल यह जनता में चर्चा का विषय बना है.

कार्यकर्ताओं से बात करेंगे

राणा ने उपमुख्‍यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से भेंट की. कड़ू पर किए आरोपों पर उन्होंने खेद जताया. इसके बाद संवादाताओं से बात करते हुए कड़ू ने कहा कि मेरे कार्यकर्ता महत्वपूर्ण है. उनके साथ बात करने के बाद ही निर्णय लिया जाएगा.

पवार से नहीं हुई चर्चा

एक सवाल के जवाब में उन्होंने स्पष्ट किया कि राणा के साथ हुए उनके विवाद के बारे में मेरी राकां सूप्रिमों से कोई बात नहीं हुई है.