PMAY
File Photo

    Loading

    औरंगाबाद: एक तरफ देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) पीएम आवास योजना के तहत हर गरीब को खुद के मकान का सपना दिसंबर 2022 तक पूरा करने का वादा कर चुके है, परंतु औरंगाबाद महानगरपालिका प्रशासन (Aurangabad Municipal Administration) की लापरवाही से आज तक पीएम आवास योजना (PM Awas Yojana) पर अमलीजामा पहनाना तो दूर इसके लाभार्थी कौन है यह जानने में पूरी तरह विफल रही है। 

    छह साल पूर्व निजी एजेंसी के माध्यम से जरुरतमंद लाभार्थियों से आवेदन मंगाए गए थे। वह वर्तमान में पूरी तरह निरर्थक साबित हो रहे है, क्योंकि औरंगाबाद महानगरपालिका प्रशासन पीएम आवास योजना को लेकर फिर से जागा है। प्रशासन ने छह साल पूर्व जिन लोगों ने इस योजना के लिए आवेदन मंगाए थे। अब उनसे फिर से आवेदन भरने के साथ इस योजना के लिए जरुरी दस्तावेज मंगाने की प्रक्रिया शुरु कर उसके बाद सूची बनाने का कार्य शुरु करेगा। अब इन सारी प्रक्रिया से यह साफ है कि महानगरपालिका प्रशासन की लापरवाही से औरंगाबाद के हजारों लोग गत छह सालों से अपने घर का सपना पूरा नहीं कर पाए।

    नए आवेदन करने वाले को मिलेगा मौका

    औरंगाबाद महानगरपालिका कमिश्नर डॉ. अभिजीत चौधरी ने बताया कि सन 2016 में पीएम आवास योजना के लिए जिन जरुरत मंदों से आवेदन मंगाए गए थे। उस समय करीब 52 हजार लोगों ने आवेदन किया था। आवेदन के समय जरुरी दस्तावेज प्रशासन ने मांगे नहीं थे, परंतु प्रशासन ने 19 दिसंबर 2021 से 20 जनवरी 2022 तक जिन लोगों ने पहले आवेदन किया, उनसे योजना का लाभार्थी बनने के लिए जरुरी दस्तावेजों के अलावा नए जरुरत मंदों को योजना का लाभ लेने के लिए आवेदन करने का अवसर दिया है। 

    ऑनलाइन और ऑफलाइन स्वीकारे जाएंगे आवेदन 

    कमिश्नर चौधरी ने बताया कि प्रशासन ने पहले इस योजना के लिए आवेदन किए आवेदनकर्ता और नए से आवेदन करने वाले जरुरतमंदों के लिए शहर के सभी नौ प्रभाग कार्यालयों में स्वतंत्र सुविधा उपलब्ध करायी गयी हैं। हर जोन में इस काम की जिम्मेदारी संबंधित जोन के कार्यालयीन अधीक्षक को दी गई है। उन्हें सहायता करने के लिए एक कम्प्यूटर चालक उपलब्ध कराया गया है। साथ ही जो लोग पीएम आवास योजना का लाभ ले सकते, वे ऑनलाइन भी आवेदन कर सकते हैं। ऑनलाइन आवेदन करने के लिए आवेदन कर्ता  औरंगाबाद महानगरपालिका की वेबसाइट पर जाकर पीएमएवाय इस टैब पर बटन दबाकर क्लिक कर आवेदन के साथ जरुरी दस्तावेज अपलोड भी कर सकते हैं। 

    यह दस्तावेज हैं जरुरी 

    पीएम आवास योजना के लाभार्थी बनने के लिए  प्रशासन ने आवेदन के साथ स्वयंघोषित प्रतिज्ञापत्र,चालू वर्ष का आय का प्रमाणपत्र, जो तीन लाख रुपए तक का हो। निवासी प्रमाणपत्र, परिवार प्रमुख और परिवार के अन्य व्यक्ति का आधार कार्ड, बैंक का पासबुक, विकलांग हो तो उसका प्रमाणपत्र, जाति का दाखिला, पूर्व में आवेदन किए हो तो उसका क्रमांक अथवा आवेदन की कॉपी जरुरी है। इसके अलावा इस योजना के अंतर्गत जो आवेदन कर्ता विशेष प्रवर्ग में आते है, उन्हें अतिरिक्त दस्तावेज जोड़ने होंगे, जैसे की विकलांग का प्रमाणपत्र, जाति का प्रमाणपत्र, निर्माण कार्य पंजीकरण प्रमाणपत्र आदि शामिल है। कमिश्नर ने बताया कि प्रशासन की ओर से जिन लोगों ने पहले आवेदन किया, उन्हें मोबाइल पर टैक्सट और वाइस मैसेज भेजा जाएगा। कमिश्नर ने बताया कि इस योजना को पूरा करने के लिए प्रशासन के पास और दो सालों का समय है। सरकार ने दिसंबर 2024 तक योजना को पूरा करने के लिए औरंगाबाद महानगरपालिका प्रशासन को समय दिया है। 

    अभी तक नहीं हुई आवेदन की जांच 

    एक सवाल के जवाब में महानगरपालिका कमिश्नर ने माना कि छह सालों पूर्व प्रशासन द्वारा घरकूल योजना के लिए मंगाए गए आवेदनों की जांच भी प्रशासन द्वारा आज तक जांच नहीं की गई। जिसके चलते इस योजना के पात्र और इच्छुकों की नए सिरे से सारी प्रोसेस करनी होगी। आज तक जरुरी दस्तावेज भी आवेदन कर्ताओं  से नहीं मंगाए गए हैं। उधर, इस योजना को पूरा करने के लिए प्रशासन ने आनन-फानन में टेंडर निकालकर घरों का निर्माण करने के लिए समर्थ कन्सट्रक्शन एंड जेवी नामक एजेंसी को ठेका भी दिया हैं। जगह की उपलब्धता के अनुसार 39 हजार घरों का आंकड़ा सामने आया था।

    कुछ जमीनों पर घरकुल योजना असंभव

    कमिश्नर ने बताया कि प्रशासन द्वारा कुछ सालों पूर्व पीएम आवास योजना के लिए तय की गई तिसंगाव की जमीन पर घरकुल योजना का निर्माण करना असंभव है क्योंकि उस परिसर की जमीन को विकसित करने में कई दिक्कतें है। परिसर के गुट नंबर 225/1 और 227/1 वाला क्षेत्र खदानों से भरा पड़ा है। कई स्थानों पर अतिक्रमण है। यहीं हाल चिकलथाना और सुंदरवाडी के कुछ परिसर का है। ऐसे में उन परिसरों में घरकुल योजना का निर्माण करना असंभव है। जब उनसे से प्रशासन ने पहले इस क्षेत्र का कैसे चयन किया यह पूछने पर उन्होंने इस मामले पर चुप्पी साध ली। 

    लोकसभा में उठा था मामला

    गौरतलब है कि जिले के सांसद इम्तियाज जलील ने फरवरी माह में लोकसभा में औरंगाबाद में पीएम आवास योजना के अधर में लटकने को लेकर संसद में आवाज उठाकर जिला प्रशासन द्वारा योजना के लिए जमीन उपलब्ध कराने में की जा रही अनदेखी पर सवाल उठाए थे। सांसद जलील द्वारा योजना में हो रही देरी पर कई सवाल संसद में उपस्थित करने के बाद जिले के तत्कालीन कलेक्टर सुनील चव्हाण ने आनन-फानन में तिसंगाव,पडेगांव, सुंदरवाडी, चिकलथाना और हर्सूल परिसर में  जमीन उपलब्ध करायी थी। 

    महानगरपालिका प्रशासन की लापरवाही खुलकर सामने आयी

    प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी देश के हर गरीब व्यक्ति को घर का सपना पूरा करने का वादा कर चुके है, परंतु औरंगाबाद महानगरपालिका प्रशासन ने जानबूझकर इस योजना को पूरा करने के लिए की अनदेखी की पोल महानगरपालिका कमिश्नर चौधरी द्वारा ली गई प्रेस वार्ता के बाद खुलकर सामने आयी। योजना की सारी प्रोर्सेस  महानगरपालिका के तत्कालीन कमिश्नर ओमप्रकाश बकोरिया और डॉ. निपुन विनायक के कार्यकाल में शुरु हुई थी। यह दोंनो अधिकारी प्रशासन के हर कार्य को समय पूरा करने का प्रयास करते थे, लेकिन इन दोनों अधिकारियों ने पीएम आवास योजना के लिए निजी एजेंसियों के माध्यम से जरुरतमंद और पात्र लोगों के मंगाए गए आवेदनों में हुई धांधलियों पर सरासर अनदेखी की। आवेदन मंगाने के बाद जरुरी दस्तावेज मंगाना, दस्तावेजों की जांच करना, उसके बाद पात्र लोगों की सूची तैयार करना इस ओर उन दोनों आयुक्तों ने क्यों अनदेखी की? इस पर अब कई सवाल उठने लगे हैं। महानगरपालिका के तत्कालीन कमिश्नर आस्तिक कुमार पांडेय ने इस योजना का फायदा जरुरत मंदों को पहुंचाने के लिए कई प्रयास किए, परंतु वो भी हतबल साबित हुए। वर्तमान कमिश्नर डॉ. चौधरी गत छह सालों में यह योजना अधर में क्यों लटकी इसका जवाब नहीं दे पाए, परंतु उनके चेहरे से यह साफ छलका की यह योजना महानगरपालिका प्रशासन के लापरवाही से ही अधर में लटकी है।