MP IMTIYAZ JALIL

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औरंगाबाद : हिंदू-मुस्लिम समुदाय (Hindu-Muslim Community) में कटाक्ष लाकर सांप्रदायिक राजनीति (Communal Politics) करने के लिए औरंगाबाद का नाम छत्रपति संभाजीनगर (Chhatrapati Sambhajinaga) किया गया है। विकास के मुद्दों से जनता का ध्यान भटकाने के लिए बीजेपी द्वारा नामांकन का खेल खेला जा रहा है। जब तक देश में बीजेपी (BJP) है, तब तक इस तरह के सांप्रदायिक निर्णय लेने का सिलसिला जारी रहेगा। यह आरोप सांसद इम्तितयाज जलील (MP Imtiyaz Jalil) ने मंगलवार शाम यहां आयोजित प्रेस वार्ता में लगाया। 

उन्होंने कहा कि शिवसेना प्रमुख बाल ठाकरे ने अपने राजनीति को चमकाने के लिए करीब 35 साल पूर्व एक सभा में औरंगाबाद का नाम संभाजीनगर कह डाला, तब से लेकर आज तक औरंगाबाद का नाम बदलने को लेकर राजनीति चलती आई। औरंगाबाद एक ऐतिहासिक शहर है, उसकी पहचान विश्व स्तर पर है। शहर में जी-20 परिषद से पूर्व शहर का नाम बदलने की प्रक्रिया को केंद्र सरकार ने दी मंजूरी पर भी जलील ने कड़ी नाराजगी जताते हुए कहा कि क्या चार दिन बाद केंद्र और राज्य सरकार यह निर्णय नहीं ले सकती थी। सिर्फ औरंगजेब के नाम से औरंगाबाद शहर होने का ढिंढोरा पीटकर ऐतिहासिक शहर की पहचान मिटाने का सारा खेल गंदी सांप्रदायिक राजनीति के लिए खेला गया। 

महाराष्ट्र के चार प्रमुख शहरों का नाम भी बदले शिंदे सरकार 

महाराष्ट्र सरकार ने औरंगाबाद का नामांकन करने का जिस तरह निर्णय लिया, उसी तरह सभी समाज में परिवर्तन लाने वाले शाहू महाराज का कोल्हापुर से गहरा संबंध था, इसलिए कोल्हापुर का नाम बदलकर छत्रपति शाहूनगर करना, पुणे में ज्योतिबा फुले और सावित्रीबाई फुले ने प्रथम शैक्षणिक संस्था खोली थी, उनका नाम विश्वस्तर तक पहुंचाने के लिए पुणे का नाम फुले करना। डॉ. बाबासाहाब आंबेडकर ने नागपुर में बुद्धिजम धर्म की दीक्षा ली थी, उस शहर का काफी महत्व है, इसलिए नागपुर का नाम डॉ. बाबासाहाब नगरी और मुंबई का नाम छत्रपति शिवाजी राजे करने की मांग सांसद जलील ने प्रेस वार्ता में की।  उन्होंने कहा वर्तमान में राज्य सरकार का बजट अधिवेशन जारी है। इसी अधिवेशन में महाराष्ट्र की शिंदे-फडणवीस सरकार ने इन शहरों का नाम बदलने की मांग सांसद जलील ने की। 

सुप्रीम कोर्ट के निर्णय पर जताई खुशी 

सांसद जलील ने सोमवार को बीजेपी एक वकील नेता द्वारा सुप्रीम कोर्ट में मुगलों द्वारा बसाए हुए शहरों का नाम बदलने को लेकर दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने की टिप्पणी पर खुशी जाहिर करते हुए कहा कि इस निर्णय से बीजेपी ने मुंह की खाई है। उन्होंने बताया कि औरंगाबाद का नाम संभाजीनगर करने के राज्य सरकार द्वारा पारित प्रस्ताव को लेकर मुंबई हाईकोर्ट में याचिका दायर है। जब मामला न्यायालय में प्रलंबित है तो सरकार औरंगाबाद का नाम बदलने की प्रक्रिया कैसी पूरी कर सकती? इस पर भी जलील ने सवाल उठाते हुए कहा कि सरकार के इस निर्णय यह साफ हो रहा है कि केंद्र और महाराष्ट्र सरकार न्यायालय की महत्वता को कमजोर कर रही है। सांसद जलील ने बार-बार दोहराते हुए कहा कि औरंगाबाद का नामांतर करने का निर्णय लेकर सरकार खुद दो समुदाय में दरारे पैदा करने का काम कर रही है। अगर, न्यायालय ने औरंगाबाद के नामांकन को मान लिया तो हम भी न्यायालय के निर्णय को मानेंगे।