Raosaheb danve
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    औरंगाबाद. बीते कई सालों से रेलवे यात्री किराए में वृध्दि  नहीं हो पाई है। भविष्य में भी रेल यात्री किराए में वृध्दि होना मुश्किल है। जिसके चलते रेल यात्री से वसूले जानेवाले प्रति  एक रुपए के पीछे रेल (Railway) विभाग 48 पैसे घाटे में है।  रेल मंत्रालय  (Ministry of Railways) को इस घाटे से बाहर निकालने के लिए डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर  (DFC)  प्रोजेक्ट को  बढ़ावा देने का निर्णय रेल मंत्रालय ने लिया है।  इस निर्णय से रेल विभाग घाटे से बाहर निकलेगा। यह विश्वास देश के केन्द्रीय रेल राज्यमंत्री रावसाहब दानवे (Raosaheb Danve) ने यहां  जताया।

    शहर के उद्यमियों संगठनों की ओर से करीब दो माह पूर्व केन्द्रीय रेल राज्यमंत्री का पदभार संभाले जालना के सांसद रावसाहब दानवे का होटल रामा इंटरनेशनल में सत्कार समारोह आयोजित किया गया था। स्वागत समारोह के बाद अपने संबोधन में दानवे ने यह विश्वास जताया। मंच पर विधायक हरिभाऊ बागडे, अतुल सावे, सीएमआईए के अध्यक्ष शिवप्रसाद जाजू, मसिआ के उपाध्यक्ष किरण जगताप, सीआईआई के  जोनल  चैयरमैन रमण आजगांवकर, लघु भारती के प्रदेशाध्यक्ष रविन्द्र वैद्य, व्यापारी महासंघ के अध्यक्ष जगन्नाथ काले उपस्थित थे। दानवे ने कहा कि रेल विभाग में माल यातायात को काफी स्कोप है। उसे बढ़ावा देने के लिए देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर प्रकल्प को बढ़ावा देने का निर्णय लिया है। उसके तहत माल यातायात करनेवाले माल गाडि़यों के लिए विशेष टंक मार्गों की क्षमता में बढ़ोतरी की जा रही है। इस प्रकल्प पर 50 हजार करोड़ रुपए खर्च किए जा रहे हैं। इस प्रोजेक्ट के तहत मालगाड़ी के लिए दिल्ली से हरियाणा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, गुजरात से लेकर मुंबई तक स्वतंत्र रेल लाइन बिछाई जाएगी। इस रेल लाइन पर चुनिंदा रेलवे स्टेशन होंगे। उन स्टेशनों से माल गाडी में माल की आवाजाही होगी। विशेषकर,यात्री रेल के लिए  समय बरबाद करने की जरुरत भी डीएफसी प्रकल्प में नहीं होगी। 

    रेल  से माल  यातायात करने में खर्च काफी कम 

    रेल राज्यमंत्री ने कहा कि पिछले कुछ सालों में देश भर में सड़कों का जाल बड़े पैमाने पर फैलने से सड़क से माल यातायात करना आसान हुआ, लेकिन उसका खर्च रेल यातायात से दुगुना  है, परंतु माल पहुंचने में काफी समय बरबाद होने से माल धारक रेलवे को प्राथमिकता नहीं दे पाते। इसीलिए रेल विभाग ने डीएफसी प्रकल्प हाथ में लिया है। दानवे ने बताया कि कोविड काल में सबसे अधिक माल रेल से पहुंचाया गया। कोविड में यात्री रेल का संचालन बंद होने से रेलवे विभाग को 60 हजार करोड़ का घाटा हुआ। वहीं, माल यातायात में रेलवे विभाग कोविड काल में फायदे में रहा।

    महाराष्ट्र में रेल प्रकल्पों को गति देने राज्य सरकार के सहकार्य की जरुरत 

    महाराष्ट्र में अधिक से अधिक रेल प्रकल्पों को गति देकर पूरा करने के लिए महारेल कंपनी स्थापित की गई। यह कंपनी स्थापित करते समय राज्य में विविध रेल प्रकल्पों को पूरा करने के लिए केन्द्र सरकार का 50 प्रतिशत तथा राज्य सरकार के  50 प्रतिशत हिस्से की जरुरत है। बीते कुछ माह से अपना हिस्सा देने में राज्य सरकार ने किनारा किया हुआ है। शुक्रवार को औरंगाबाद दौरे पर आए मुख्यमंत्री ठाकरे ने रेलवे जरुरी प्रकल्पों को पूरा करने हर संभव मदद का आश्वासन दिया है। मैं जल्द ही उनसे मिलकर राज्य के लिए जरुरी रेल प्रकल्पों को गति देने के लिए चर्चा करुंगा। उन्होंने कहा कि मैंने रेल मंत्री बनते ही मुंबई से नागपुर बुलेट ट्रेन प्रकल्प को पूरा करनी की ठानी है।

    महाराष्ट्र और मराठवाडा के जरुरी प्रकल्पों को गति देने में जूटा हूं

    रेल मंत्रालय का पदभार संभालकर दो माह ही गुजरे हैं। मैंने पदभार संभालते ही महाराष्ट्र और मराठवाड़ा के प्रकल्पों को गति देने के लिए अधिकारियों से काम शुरु करा दिया हूं। दानवे ने कहा कि नांदेड से मनमाड तक इलेक्ट्रिक डबल रेल ट्रैक  को जल्द से जल्द पूरा करने के   काम मैं जूटा हूं। साथ ही महाराष्ट्र के लिए जरुरी कौन से रेल प्रकल्प प्रलंबित है, उसकी जानकारी जूटाकर उन प्रकल्पों को पूरा करने के लिए मैंने नियोजन शुरु किया है। 

    नांदेड-मनमाड डबल लाइन तत्काल करने पर जोर दिया उद्यमियों ने 

    मंच पर उपस्थित उद्यमियों के सभी संगठनों के पदाधिकारियों ने नांदेड से मनमाड तक इलेक्ट्रिक डबल रेल लाइन तत्काल निर्माण करने पर जोर दिया। उद्यमियों ने कहा कि आप हमारे क्षेत्र के मंत्री है। सालों से रेलवे की विविध मांगों को पूरा करने के लिए हम कोशिश कर चुके हैं। कई साल गुजर गए, हमारे हाथ सफलता नहीं लगी है। आप रेल मंत्रालय के मंत्री होने से हमे आशा है कि मराठवाडा संभाग में रेल से संबंधित सालों से प्रलंबित प्रश्न हल होंगे। संगठनों के पदाधिकारियों का कहना था कि उत्तर प्रदेश  के हर जिले में रेल का जाल बिछा हुआ, उसी तरह महाराष्ट्र में रेल का जाल बिछाया जाए। लातूर में निर्माण किए गए रेल बोगी के कारखाने  के लिए जरुरी पार्टस का उत्पादन औरंगाबाद में हो सकता है। उस पर रेल मंत्रालय ने विचार करने  की मांग उद्यमी संगठनाओं के पदाधिकारियों ने की।