(प्रतीकात्मक तस्वीर)
(प्रतीकात्मक तस्वीर)

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    • लाईन ट्रीप नहीं हुआ : क्या शिकारी हुए है हाईटेक

    भंडारा. भंडारा शहर से मात्र 7 किमी की दूरी पर पलाडी माथाडी रोड पर किसान अशोक भोंगाडे की खेती है. यही से पगडंडी मार्ग गुजरता है. शुक्रवार दोपहर के समय चरने गयी गाएं अजीब आवाज में घबराई हुई दौड़ती देखी गयी. यही पास में पूर्व विधायक स्व. आनंदराव वंजारी के खेत में रोपाई जारी थी. मजदूर घटनास्थल पर पहुंचे. करीब 7 फीट लंबा बाघ का शव पडा हुआ था.

    जानकारी मिलते ही वन विभाग, महावितरण एवं जिला पुलिस की टीम पहुंची. उपवन संरक्षक शिवराम भलावी के अनुसार प्राथमिक अनुमान यही है कि बाघ की मृत्यु की वजह से पीएम के बाद पता चलेगी. लेकिन मौके से फेंसिंग पोल के निशान मिले है. यहीं से 11 केवी की लाईन गुजरती है. इस एंगल से भी मामले की जांच जारी है.

    क्या हुआ : ग्रामीणों की जुबानी

    यद्यपि पलाडी माथाडी पर मार्ग से जुड़ती पगडंडी मार्ग पर बाघ मौत की मुंह में कैसे समाया. इसके बारे में खुलकर कोई नहीं बोल रहा है. लेकिन कुछ ग्रामीणों ने दबी जुबान में बताया कि पिछले कुछ दिनों से इस परिसर में जंगली सूअरों की उपस्थिति देखी गयी. परिसर में जंगली सूअर के शिकारियों की भी मौजूदगी है. संभवत: उन्होंने ही जंगली सूअरों को शिकार करने के मकसद से तार की बाड़ बिछाई एवं इलेक्ट्रिक करंट छोड दिया. लेकिन इसमें सूअर की बजाए जंगल का राजा बाघ ही फंस कर मौत की नींद सो गया.

    सबूत छोड़ गए शिकारी

    अनुमान है कि जब शिकारी घटनास्थल पर पहुंचे होंगे. उन्होने जब देखा कि वहां पर बाघ मरा पडा है. शिकारियों ने हबडाहट में तार एवं फेंसिंग पोल को उखाड़कर ले गए. फेंसिंग पोल के लिए बनाए गड्ढे बहुत बडा सबूत दे रहे है.

    क्या शिकारी हाईटेक हुए है?

    महावितरण एसई राजेश नाईक भी पहुंचे. उन्होने बताया कि पिछले तीन दिन में परिसर की लाईन ट्रिप नहीं हुई है. ऐसे में वन्यजीव प्रेमी सवाल कर रहे है कि क्या शिकारी इतने हाईटेक हुए है कि उन्होने शिकार के लिए कोई जुगाड़ इजाद कर लिया है ?

    शुक्रवार सुबह की घटना

    बाघ की मौत कब हुई हुई होगी. इस बारे में घटनास्थल पर पहुंचे मानद वन्यजीव संरक्षक नदीम खान का अनुमान है कि शुक्रवार सुबह में बाघ की मृत्यु हुई होगी. क्योंकि शरीर बिल्कुल ताजा था. सुबह की ओस जमी हुई थी.

    बी 2, रूद्र था नाम

    वन्यजीव अभ्यासकों ने बताया कि उसे बी 2 टैक दिया गया था. वन्य प्रेमियों में उसे रुद्र के नाम से पहचाना जाता था. अभ्यासकों के अनुसार रुद्र यह जंगल की शान रहे जय की संतानों में से एक था. चूंकि रुद्र का इलाका यह नान प्रोटेक्टेड वन क्षेत्र में था. जाहीर है कि रुद्र की सुरक्षा एवं संवर्धन के लिए समुचित उपाय नहीं किए गए. वन विभाग की जद में रुद्र काफी विलंब से आया. पहली बार अक्टूबर में पगमार्क मिले. इसके बाद 22 जनवरी 2021 को रुद्र का कैमरा ट्रेप में दीदार हुआ. धारगाव, रावणवाडी के वनक्षेत्र में रुद्र का राज था. लेकिन वन विभाग एवं लोगों की नजर से रुद्र ओझल ही रहा.

    वन विभाग देगा विस्तृत जानकारी

    उपवन संरक्षक शिवराम भलावी ने नवभारत को बताया कि रुद्र की मौत यह वन्य जीव एवं वन वैभव के लिए भारी क्षति है. उसकी मृत्यु के कारणों की जांच की जाएगी. रुद्र के मृत्यु के कारणों का विश्लेषण के लिए पोस्टमार्टम रिपोर्ट की प्रतिक्षा की जा रही है.

    जानकारी मिलते ही पहुंचे आला अधिकारी

    भंडारा शहर से बेहद नजदीक पलाडी पाथरी परिसर में बाघ का शव दिखने की जानकारी मिलते ही वन विभाग, महावितरण एवं पुलिस विभाग की टीम मौके पर पहुंची एवं अपने अपने तरीके से जांच में जुट गई. इनमें जिला पुलिस अधीक्षक वसंत जाधव, उपवन संरक्षक भलावी, आरएफओ विवेक राजुरकर, एएसपी अनिकेत भारती, वैद्यकीय अधिकारी डा. गुणवंत भडके, डा. विठ्ठल हटवार, लाइवस्टोक उपायुक्त अनु वारारकर, डा. दीपक मडीगुंटवार, डा. गिरीश वैद्य, मानद वन्यजीव संरक्षक नदीम खान एवं शाहिद खान, वाइल्ड वाच, सीट एवं पीएसबीएस आदि संस्थाओं के प्रतिनिधि उपस्थित थे.