यह किसान संघर्ष और एकजुटता की विजय है: पूर्व विधायक दिलीप कुमार सानंदा

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    • सानंदा के नेतृत्व में किसानों एवं कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने किया जल्लोष

    खामगांव. केंद्र की मोदी सरकार ने किसान विरोधी तीन काले कृषि कानून लागू करने के बाद से देश के करीब 500 किसान संगठनों ने एक साथ आकर दिल्ली में आंदोलन किया. जब तक काले कृषि कानूनी वापस नहीं लिए जाते तब तक हम पीछे नहीं हटेंगे, ऐसा निर्णय किसानों ने लिया था. विगत 14 माह से किसान अपने मांगों पर डटे हुए थे, उन्हें तोड़ने के बहुत प्रयास किए गए, लेकिन किसान पीछे नहीं हटे, उन पर लाठीचार्ज किया गया, आंतकवादी होने का आरोप किया गया, इसके बावजूद भी किसानों ने लोकतांत्रिक तरीके से अपना आंदोलन जारी रखा.

    विगत सात साल में पहली बार मोदी सरकार को झुकाने का काम किसानों ने किया हैं. यह किसान संषर्घ एवं एकजुटता का विजय है और हिटलरवादी मोदी सरकार का पराभव हैं, ऐसी प्रतिक्रिया पूर्व विधायक दिलीप कुमार सानंदा ने इस अवसर पर दी. वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मादी ने के कृषि कानून पीछे लेने की घोषणा के बाद कांग्रेस जनसंपर्क कार्यालय में सैकड़ों किसान बंधुओं एवं कांग्रेस कार्यकर्ताओं के साथ जल्लोष मनाते समय बोल रहे थे.

    इस अवसर पर पूर्व नगराध्यक्ष अशोकसिंह सानंदा, पूर्व नगराध्यक्षा सरस्वती खासने, तहसील कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष डा.सदानंद धनोकार, महिला कांग्रेस की शहराध्यक्षा सुरजीतकौर सलुजा, वरिष्ठ नेता विश्वपालसिंह जाधव, न.पा. में कांग्रेस पार्टी नेता अमेयकुमार सानंदा, पार्षद अब्दुल रशीद अब्दुल लतीफ, पार्षद किशोरआप्पा भोसले, पार्षद इब्राहिम खां सुभान खां, पूर्व न.पा. उपाध्यक्ष संतोष देशमुख, पूर्व जि.प. सभापति सुरेश वनारे, पूर्व जि.प. सदस्य सुरेशसिंह तोमर, बाजार समिति के पूर्व सभापति राजाराम कालणे, पं.स.सदस्य विठ्ठल सोनटक्के आदि प्रमुखता से उपस्थित थे. 

    मोदी सरकार दूबारा ऐसा कानून नहीं लाएगी ऐसा प्रतिज्ञालेख लिखकर लें 

    आगे बोलते हुए पूर्व विधायक सानंदा ने कहा कि, 26 जनवरी को कई किसानों पर झूठे मामले दर्ज किए गए, धूप, ठंड, बारिश की पर्वा न करते हुए कोरोना काल में भी देश के लाखों किसान इस आंदोलन में अपने परिवार के साथ शामिल हुए थे. विगत 14 माह से चल रहे इस आंदोलन में करीबन 700 किसान शहीद हुए हैं, इसके बावजूद शहीद किसानों के परिवार को एक रूपया भी मदद मोदी सरकार ने नहीं दी. इसी तरह उनके परिवार का सात्वन भी नहीं किया.

    कृषि कानून के प्रति किसानों में होनेवाले रोश के कारण हाल ही में हुए लोकसभा एवं विधान सभा के विविध राज्य के उप चुनाव में भाजपा को बहुत नुकसान हुआ है. इसलिए आगे होनेवाले उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब इन जैसे महत्वपूर्ण राज्यों के चुनाव में हार के डर से केंद्र की मोदी सरकार को राष्ट्रमाता इंदिरा गांधी की जंयती दिन पर कृषि कानून रद्द करने का निर्णय लेना पड़ा, जब तक मोदी सरकार संसद में तीन काले कृषि कानून रद्द करने का विधेयक पारित नहीं करती तब तक देश के किसान संगठनों ने आंदोलन शुरू रखें एवं भविष्य में भी मोदी सरकार यह कानून दूबारा लागू करेगी नहीं, ऐसा प्रतिज्ञालेख भी मोदी सरकार व्दारा लिखकर लें एवं बाद में ही अपना आंदोलन रद्द करें, ऐसा आहवान भी पूर्व विधायक दिलीप कुमार सानंदा ने किया. 

    किसान व कार्यकर्ताओं ने मनाया जल्लोष

    इस समय कांग्रेस जनसंपर्क कार्यालय के सामने कृषि कानून रद्द होने के कारण गाजे बाजे के साथ आतिशबाजी कर जल्लोष मनाया गया. इस अवसर पर बाजार समिति के पूर्व संचालक श्रीकृष्ण टिकार, स्वप्नील ठाकरे, पूर्व पं.स. उप सभापति चैतन्य पाटिल, वाडी के सरपंच विनोद मिरगे, सुटाला खुर्द के सरपंच नीलेश देशमुख, एनएसयूआई के शहराध्यक्ष रोहित राजपूत, सोशल मीडिया के आकाश जयस्वाल, युकां जिला महासचिव तुषार चंदेल, अल्प संख्यक सेल के शहराध्यक्ष बबलु पठान, अनंता धामोले, शांताराम करांगले, पिंटू जाधव, प्रितम मालवंदे, गब्बरभाई, सतीश तिवारी, सुरेश बोरकर, शुभम मिश्रा, पूर्व पार्षद मो.नईम, सैयद बबलु, कृष्णा नाटेकर, तुषार इंगले, पंकज पुरी, परवेज खान पठान, हाफीज, राजु पटेल, अस्लम पटेल, शेख रशीद, शेरु चौधरी, जीतेंद्र देशमुख, केशव कापले, मुन्ना बोंद्रे, महानंद यादव, प्रशांत टिकार, नागोराव मिरगे, अमित भाकरे, सचिन जयस्वाल, माणिकराव देशमुख, पुंडलीक ढेंगे, वासुदेव कानकिरड, श्याम मोरे, दर्शन मुंग्यालकर, राजेश जोशी समेत किसान बंधु, कांग्रेस पदाधिकारी, कार्यकर्ता बड़ी संख्या में उपस्थित थे.