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    • खामगांव न्यायालय का फैसला

    खामगांव. एक नाबालिग लड़की के साथ छेड़खानी के मामले में एक ही परिवार के तीन आरोपियों को खामगांव न्यायालय ने सजा सुनाई. जिसमें मुख्य आरोपी को दो साल की सजा सुनाई गई है. प्राप्त जानकारी के अनुसार, तहसील के एक गांव में रहनेवाली नाबालिग लड़की यह 28 मार्च 2018 को सुबह साढे आठ बजे स्कूल में जाने के लिए बस स्थानक पर खड़ी थी.

    इस दौरान अक्षय पोरे ने उक्त छात्रा को गलत इशारे कर उसके साथ छेड़खानी करते हुए उसे उठा ले जाने की धमकी दी. उक्त घटना से पहले भी आरोपी यह उपरोक्त छात्रा का पिछा कर उसे गलत इशारे करता था, इस संदर्भ में पीडिता ने अपने माता, पिता को इस बात की जानकारी दी थी. जिससे लड़की के माता, पिता ने जवाब पूछाने पर अक्षय पोरे, हरिदास पोरे, प्रमोद पोरे इन तीनों ने उनसे मारपीट की, इस तरह की शिकायत पीडिता ने पुलिस थाने में दर्ज कराई थी.

    उक्त शिकायत पर पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ बाल लैंगिक अपराध प्रतिबंधक कानून 2012 के तहत मामला दर्ज किया था. इस मामले की जांच सहायक पुलिस निरीक्षक संदीप गाडे ने की. जांच पूरी होने पर दोषारोपपत्र पुलिस उप निरीक्षक संतोष माने ने न्यायालय में पेश किया. इस मामले की सुनवाई पूरी हुई, तदर्थ जिला न्यायाधीश क्र.2 तथा अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश पी.पी. कुलकर्णी ने उपरोक्त आरोपियों को दोषी ठहराते सजा सुनाई.

    छह गवाहों के बयान किए दर्ज

    प्रकरण में सरकार पक्ष व्दारा कुल छह गवाहों के बयान दर्ज किए गए, पीडिता एवं उसके पिता का बयान एवं जांच अधिकारी का बयान महत्व का रहा. सरकार पक्ष व्दारा अतिरिक्त सरकारी अभियोक्ता प्रशांत लाहूडकर ने युक्तिवाद किया. महिला पुहेकां चंदा शिंदे ने कोर्ट पैरवी के तौर पर काम देखा. विद्यमान न्यायालय ने दोषारोप साबित होने से आरोपी अक्षय पोरे को धारा 354 डी, समेत धारा 12 पॉक्सो के तहत दो साल की सख्त मजदूरी एवं एक हजार रूपए जुर्माना, जुर्माना न भरने पर चार माह की सक्त मजदूरी की सजा सुनाई.

    उसी तरह आरोपी अक्षय पोरे, हरिदास पोरे एवं प्रमोद पोरे तीनों में प्रत्येक को धारा 323 नुसार छह माह की सख्त मजदूरी की सजा और 500 रू. जुर्माना, जुर्माना न भरने पर एक माह की सख्त मजदूरी, उसी तरह धारा 506 में छह माह की सख्त मजदूरी की सजा एवं जुर्माना, जुर्माना न भरने पर एक माह की सख्त मजदूरी की सजा अतिरिक्त भुगतनी होगी.