क्या अजित पवार की NDA में एंट्री से डूब सकती है CM शिंदे की नैय्या? जानें क्या हैं पूरा माजरा

Loading

महाराष्ट्र: महाराष्ट्र की राजीनीति में कब क्या हो जाए यह कोई नहीं बता सकता। रविवार की दोहपर हर किसी के लिए होश उड़ा देने वाली रही। कुछ ही घंटों में राज्य के विपक्षी नेता रहे अजित पवार ने चाचा शरद पवार को धोका देकर NDA में शामिल हो गए। कल हुई इस बड़ी घटना के बात महाराष्ट्र की सियासी तस्वीर पूरी तरह बदल दी, लेकिन अब कल हुई इस बड़ी घटना के बाद राजनीती के गलियारों में यह सवाल रहा है कि क्या NDA में अजित पवार की एंट्री होना यह बात , एकनाथ शिंदे के लिए खतरा बन सकती है क्या? आइए यहां जानते हैं विस्तार से 

जैसा कि हम सब जानते है कल अजित पवार समेत 9 एनसीपी नेताओं ने एकनाथ शिंदे की नेतृत्व वाली शिवसेना सरकार में मंत्रीपद की शपथ ले ली।  अजित पवार शिंदे सरकार में उपमुख्यमंत्री बन गए। ऐसे में अब आपको बता दें कि महाराष्ट्र का ये सियासी घटनाक्रम कई सियासी संदेश लेकर आया है।  अजित पवार का महाराष्ट्र की सरकार में शामिल होने का एक मतलब यह है कि बीजेपी और एकनाथ शिंदे के बीच कोई आना  है। 

अब यह सवाल उठता है कि एकनाथ शिंदे का हाथ थामने के बाद भी बीजेपी के पास अब विकल्प के रूप में अजित पवार आ गए हैं। ऐसे में अब यह संभावना है कि बीजेपी अपनी जरूरत और हालात के अनुसार एकनाथ शिंदे या फिर अजित पवार के साथ आगे बढ़ सकती है या फिर दोनों को लेकर साथ चल सकती है, लेकिन आपको बता दें कि किसके साथ आगे बढ़ना है यह ये सियासी हालत पर निर्भर करेगा। 

इस बात से सभी ज्ञात है कि महाराष्ट्र में भले ही सत्ता की अगुवाई एकनाथ शिंदे कर रहे हों, लेकिन राज्य में असली बॉस बीजेपी ही है। बता दें कि 48 लोकसभा सीटों वाला महाराष्ट्र 2024 के चुनाव के लिहाज से बीजेपी के लिए महत्वपूर्ण राज्य है। जी हां 2014 से ही बीजेपी इस राज्य में क्लीन स्वीप करती आ रही है। गौरतलब हो कि 2019 में भी बीजेपी ने यहां बहुत बड़ी जीत हासिल की थी। 2014 में बीजेपी और उद्धव वाली शिवसेना ने 48 में से 41 सीटें जीती थीं। 

2019 में भी बीजेपी और उद्धव वाली सेना ने 48 में से 41 सीटें जीती थी। इन दोनों चुनावों में बीजेपी अकेले 23-23 सीटें जीती थी। ऐसे में भाजपा महाराष्ट्र में अपने पावं जमाएं बैठा है इस साफ नजर आता है। अब जाहिर सी बता है कि बीजेपी इसी तरह के शानदार प्रदर्शन को 2024 में भी दोहराना चाहेगी और भारी मतों से जीतकर आएगी, लेकिन ये इतना आसान नहीं है। आइए जानते है आखिर क्यों 

 ऐसे में अब जिस तरह से वर्तमान स्थिति में शिंदे और भाजपा एक साथ है तो अब संभावना है कि बीजेपी की इस कोशिश में एकनाथ शिंदे की महात्वाकांक्षा दीवार बनकर खड़ी हो सकती है। जैसा कि  हम देख रहे है सीएम बनने के बाद एकनाथ शिंदे ने अपनी स्वतंत्र ताकत विकसित करनी शुरू कर दी है। वे अच्छे से अच्छा नेतृत्व करने की कोशिश कर रहे है। शिंदे भले ही बीजेपी का हाथ पकड़कर सत्ता में उतरा हो फिर भी वह अब अपनी स्वतंत्र पहचान बनाकर आगे बढ़ना चाहते है। 

लेकिन अब सवाल उठा है कि शिंदे की महात्वाकांक्षा तो अपनी जगह पर है लेकिन क्या बीजेपी एकनाथ शिंदे की इस मांग को स्वीकार करेगी। महाराष्ट्र का हाल ही में हुआ सियासी इतिहास पर अगर हम नजर डालते है तो हम देख सकते है कि  2019 के विधानसभा चुनाव में उद्धव ठाकरे से झटका खा चुकी बीजेपी अब हर हालत में सत्ता का कंट्रोल अपने हाथ में रखना चाहती है। ऐसे में अब बीजेपी ऐसा तभी कर सकती है जब लोकसभा चुनाव और विधानसभा चुनाव में वो ज्यादा से ज्यादा सीटें अपने पास रखे। ताकि सरकार में ज्यादा से ज्यादा भागीदारी खुद बीजेपी की हो। 

इसके लिए ये जरूरी है कि बीजेपी महाराष्ट्र में अपने सहयोगियों को कम से कम सीटें लड़ने के लिए दे, लेकिन अब तो बीजेपी को अजित पवार और एकनाथ शिंदे के बीच अपनी सीटें बांटनी पड़ेगी और बीजेपी की यही समस्या एकनाथ शिंदे की भी समस्या बढ़ा सकती है। अब यह सवाल उठता है कि राजनीती में आगे बढ़ते हुए भाजपा अजित पवार को महत्व देते है या फिर शिंदे को, हालांकि शिंदे के लिए यह समस्या इसलिए बढ़ सकती है क्योंकि पहले शिंदे यही भाजपा के साथ हाथ मिलाने वाले अकेले थे लेकिन अब इसमें अजित भी शामिल हो गए है ऐसे में अब जाहिर सी बता है कि किसी भी चुनाव पर विचार विमर्श के दौरान अजित भी इसमें सहभागी होंगे।