चंद्रपुर में प्रचार के लिए कार्यकर्ताओं की कमी, प्रत्याशी सहित राजनीतिक दल और नेता परेशान

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चंद्रपुर: लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections 2024) के लिए आचार संहिता लागू हो गई है। पहले चरण में चंद्रपुर लोकसभा क्षेत्र (Chandrapur Lok Sabha Seat) का चुनाव हो रहा है। चुनाव के लिए नामांकन फॉर्म भी भरा जा चुका है। एक अप्रैल से चुनाव उम्मीदवारों का सार्वजनिक प्रचार शुरू हो गया है। इसके लिए अब राजनीतिक दलों और प्रत्याशियों को कार्यकर्ताओं की जरूरत पड़ रही है। लेकिन मौजूदा हालात में सभी राजनीतिक दल और नेता कार्यकर्ताओं की कमी से जूझ रहे हैं।

चुनाव के लिए हर राजनीतिक दल और नेता को कार्यकर्ताओं की जरूरत होती है। जो नेता, चुनाव के बाद पदाधिकारी कार्यकर्ताओं की ओर देखते तक नहीं, वे अब कार्यकर्ताओं से घुल-मिलकर उनके हालचाल और जरूरतों की पूछ कर रहे हैं। चूंकि नेताओं का चुनाव जीतना कार्यकर्ताओं के भरोसे पर निर्भर है, इसलिए उन्होंने कार्यकर्ताओं मेल-मिलाप शुरू कर दिया है। लेकिन हर चुनाव के अनुभव को देखते हुए कार्यकर्ता भी अब अपनी अकड़ दिखाने लगे हैं। जिले में देखा जा रहा है कि वे उन नेताओं और पदाधिकारियों से दो हाथ दूर रहने की कोशिश कर रहे हैं, जो उनके भरोसे चुनाव जीतते आ रहे हैं। यह हाल किसी एक पार्टी और नेताओं, पदाधिकारियों का नहीं है, बल्कि लगभग सभी का यही हाल है।

कार्यकर्ताओं की उपेक्षा पड़ रही भारी

किसी भी राजनीतिक दल और संगठन की अहम कड़ी जमीनी स्तर पर काम करने वाला आम कार्यकर्ता होता है। लेकिन पिछले कुछ वर्षों से कुछ कार्यकर्ता उपेक्षित नजर आ रहे हैं। अब दलों को उनकी अपेक्षा करना महंगा साबित हो रहा है। क्योंकि कार्यकर्ता दूसरों के लिए निवेदन, धरना, विरोध मार्च निकालते समय सबसे आगे रहते हैं।
 
वहीं अपनी दैनिक मजदूरी खोकर चुनाव प्रचार कर रहे कई कार्यकर्ताओं को भोजन और शराब तक सीमित कर दिये जाने से उनके परिवार के सदस्यों में भी नेताओं और पदाधिकारियों के खिलाफ गुस्सा है। इस बार के चुनाव में देखा जा रहा है कि कार्यकर्ता भी अपना मनोबल खो रहे हैं। नेताओं और पदाधिकारियों के बुलाने पर कार्यकर्ता कैश की बात करने लगे हैं। बिना मेहताना लिए अब कार्यकर्ता भी नेताओं के साथ प्रचार में आगे नहीं आ रहे हैं।