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    • 2 दिनों में दूसरी घटना
    • 18 लोगों की इस वर्ष अब तक गई जान

    ब्रम्हपुरी. जिले में मानव-वन्यजीव संघर्ष थमने का नाम नहीं ले रहा है. एक और घटना में बाघ ने एक खेतिहर मजदूर को अपना निवाला बनाया. 2 दिनों में यह दूसरी घटना है, जिसमें बाघ ने किसी का शिकार किया. इस वर्ष अब तक 18 लोगों ने बाघ के हमले में जान गंवाई है. रविवार को दोपहर करीब 3.15 बजे तहसील के हलदा निवासी खेतिहर मजदूर राजेंद्र अर्जुन कामड़ी (48) घर से कुछ दूरी पर पटाची टोली जंगल में बाड़ लगाने के लिए लकड़ियां लाने गया था. जहां बाघ ने उस पर हमला किया, जिससे उसकी मौत हो गई. घटना के समय उसकी मां और पत्नी भी साथ में थे.

    मां और पत्नी के सामने किया हमला

    बताया जाता है कि बाघ ने जैसे राजेंद्र पर हमला किया, उसके पास ही उसकी मां व पत्नी थी. दोनों ने जोर-जोर से चीखना शुरू किया. जिससे टोली के लोग घटनास्थल की ओर दौड़े. लोगों को आता देख बाघ राजेंद्र को छोड़कर जंगल में भाग गया. लेकिन तब तक देर हो चुकी थी और राजेंद्र दम तोड़ चुका था. मृतक के पारिवार में मां, पत्नी और 2 पुत्र हैं. घटनास्थल पर लोगों की भीड़ एकत्रित हो गई. मृतक की मां और पत्नी को तो समझ ही नहीं आ रहा था कि पल भर में क्या हो गया.

    आर्थिक मदद मिलने में हो रही देरी

    वन विभाग की टीम मौके पर पहुंची और शव का पंचनामा बनाकर उसका शव उसके परिजनों को सौंप दिया गया. घटना को लेकर लेकर हलदा, बोडधा, मुडझा, कुडेसावली, बल्लारपुर, आवलगांव आदि ग्रामों के लोगों में जबरदस्त दहशत का वातावरण निर्माण हो गया है. जानकारी के अनुसार इससे पूर्व भी मार्च महीने में बोडधा में और अप्रैल महीने में आवलगांव के 2 व्यक्तियों को बाघ ने अपना शिकार बनाया था.

    अब तक उन मृतकों के आश्रितों को वन विभाग की ओर से किसी भी तरह की कोई मदद नहीं मिली है. 4 महीने में 3 लोगों का शिकार कर चुके बाघ को पकड़ने के लिए वन विभाग ने कोई कारगर उपाय नहीं किए हैं. इससे भी लोगों में वन विभाग के प्रति काफी रोष है. बार-बार हमले कर लोगों की जान ले रहे बाघ का तत्काल बंदोबस्त करें अन्यथा इस परिसर की जनता की ओर से वन विभाग कार्यालय में तीव्र आंदोलन करने की चेतावनी भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के नेता विनोद झोड़गे, हलदा के पूर्व उपसरपंच संजय लोणारे, सरपंच गरमले ने दिया है. घटनास्थल पर वन विभाग, पुलिस विभाग के कर्मचारी आदि उपस्थित थे.