चंद्रपुर एयरपोर्ट को शीघ्र ही ग्रीन सिग्नल, समीक्षा बैठक का दौर शुरू

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    चंद्रपुर. चंद्रपुर में अधर पर लटके हुए एयरपोर्ट के मसले का हल निकलने की संभावना नजर आ रही है. यह मामला वन्यजीव मंडल की मंजूरी नहीं मिल पाने से अटका हुआ है. इस मुद्दे को लेकर वनमंत्री सुधीर मुनगंटीवार निरंतर बैठकें लेकर सुलझाने में जुटे हुए है. 

    विधान भवन में इस संदर्भ में हाल ही में बैठक लेकर मुनगंटीवार ने चंद्रपुर के राजुरा ग्रीनफिल्ड विमानतल इस क्षेत्र के औद्योगिक विकास के लिए साथ ही पर्यटन के लिए काफी महत्वपूर्ण होने का बताते हुए इस विमानतल के निर्माण का काम तीव्र गति से पूर्ण करने के निर्देश दिए है.

    मुनगंटीवार ने कहा कि बाघ संवर्धन में अडचन निर्माण ना हो इसके लिए उपाययोजना निर्धारण करने काम अधिकारी करें. उन्होने कहा कि चंद्रपुर जिला एवं परिसर के औद्योगिक विकास के लिए यह विमानतल काफी महत्वपूर्ण है. इसके साथ ही वनपर्यटन, पर्यावरण एवं बाघ संवर्धन और आदिवासी वनोत्पादन को बाजारपेठ उपलब्ध होने के लिए इस विमानतल का बडा उपयोग होगा. 

    वन्यजीव मंडल के अक्टूबर की नियोजित बैठक में विमानतल के संदर्भ में सभी मंजूरियां हासिल करने के निर्देश उनहोने संबंधित अधिकारियों को दिए. इस प्रस्तावित विमानतल के रनवे की लम्बाई और उससे संबंधित सुरक्षा क्षेत्र के संदर्भ में निर्माण हुई समस्या पर आज बैठक में हल निकाला गया.

    चंद्रपुर जिले के राजुरा तहसील के विहीरगांव एवं मूर्ती में विमानतल बने इसके लिए 24 अप्रैल 2016 को प्रशासकीय मंजूरी मिली थी. इसके लिए सरकार की ओर से 46 करोड़ मंजूर हुए है. इसमें  41 करोड रुपये भूमि अधिग्रहण और 5 करोड रुपये प्रकल्प प्रबंधन सलाहकार के लिए प्रावधान किया गया है. 

    विमानतल के लिए कुल 840 एकड भूमि की आवश्यकता थी. इसमें पहले चरण में 720 एकड भूमि अधिग्रहित कर 2500 मीटर के रनवे का निर्माणकार्य निमार्णाधीन है. दूसरे चरण के उपरांत रनवे की लम्बाई 3 हजार मीटर होने का प्रस्ताव है.

    एयरपोर्ट के लिये जिस जमीन का चयन किया गया था वह बाघों के अधिवास और उनके अंतरराज्यीय कॉरिडोर के बेहद समीप  है. वन विभाग के अनुसार एयरपोर्ट की प्रस्तावित जमीन के 30 किमी रेडियस में 12 से अधिक बाघों के अस्तित्व है. जहां कन्हालगाव वन्यजीव अभयारण्य घोषित हो चुका है उसमें 15 से अधिक बाघ और 25 के करीब तेंदुए है. कन्हालगांव वन्यजीव अभयारण्य घोषित होने के साथ ही अब एयरपोर्ट बनने की प्रक्रिया अटकी हुई है. वन्यजीव मंडल इसकी मंजूरी नहीं दे रहा है और मामला अटका हुआ है.