Supriya Sule
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मुंबई. भारतीय चुनाव आयोग (Election Commission) ने अजीत पवार (Ajit Pawar) गुट को ही असली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) माना है। आयोग ने कहा है कि पार्टी का नाम और चुनाव चिन्ह ‘घड़ी’ अजित पवार गुट के पास ही रहेगा। आयोग के इस फैसले को शरद पवार की बेटी और लोकसभा सांसद सुप्रिया सुले ने दुर्भाग्यपूर्ण बताया है। उन्होंने आयोग के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने की बात कही है।

‘अदृश्य शक्ति’ ये सब कर रही है

सुले ने कहा, “चुनाव आयोग का फैसला दुर्भाग्यपूर्ण है। जो शिवसेना के साथ उन्होंने किया वही हमारे साथ किया। इस पार्टी का संस्थापक सदस्य एवं संस्थापक नेता एक ही व्यक्ति रहे हैं और वह शरद पवार हैं। माहौल कुछ और है, देश में ‘अदृश्य शक्ति’ है जो यह सब कर रही है। हम सुप्रीम कोर्ट जरूर जाएंगे।”

देश में ‘तोड़-मोड़’ की राजनीति

सुले ने कहा, “इस देश में जो ‘तोड़-मोड़’ की राजनीति चल रही है, वह संविधान से परे है। जो हो रहा है वह लोकतंत्र के लिए अच्छा नहीं है। इस सरकार द्वारा आईसीई, आयकर, सीबीआई, ईडी का उपयोग किया जा रहा है और पार्टियों और परिवारों को तोड़ा जा रहा है। यह इस देश में एक चलन है। इसके खिलाफ लड़ना होगा।”

घर का भेदी लंका ढाए

एनसीपी-शरद पवार गुट के नेता जितेंद्र आव्हाड ने कहा, “पार्टी का नाम और चुनाव चिन्ह अजित पवार के पास जाने (उनके पक्ष में) ही वाला था, इसमें कोई नई बात नहीं है। कहा जाता है कि ‘घर का भेदी लंका ढाए।’ हम अभी भी अजीत पवार को दोषी मानते हैं। हम महाराष्ट्र में मजबूत हैं, हमें कोई डर नहीं है, हमारे पास शरद पवार हैं। हम सुप्रीम कोर्ट जाएंगे।”

शरद पवार गुट को मिलेगा नया नाम और चिन्ह

बता दें कि चुनाव आयोग ने शरद पवार गुट (Sharad Pawar) से पार्टी के तीन नाम मांगे हैं। उन्हें ये तीन नाम कल शाम 4 बजे तक देने हैं। उन्हें 7 फरवरी को नया नाम और चुनाव चिन्ह मिलेगा। चुनाव आयोग ने राज्यसभा चुनावों के मद्देनजर शरद पवार को अपने नए राजनीतिक दल का नाम रखने के लिए विशेष छूट दी है।

शरद पवार से बगावत कर शिंदे सरकार में शामिल अजित

गौरतलब है कि 2 जुलाई 2023 को शरद पवार से बगावत कर अजित पवार अपने 8 समर्थक विधायकों के साथ महाराष्ट्र की शिंदे सरकार ​में ​​​​​शामिल हो गए थे। जिसके बाद उन्होंने उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली। जबकि, अन्य को मंत्री बनाया गया था। इसके बाद अजित ने दावा किया था कि उनके पास 40 विधायकों का समर्थन है। जिसके चलते पार्टी के नाम और सिंबल पर उनका अधिकार है।

अजित पवार ने 30 जून को चुनाव आयोग में याचिका दायर कर एनसीपी पार्टी के नाम और चुनाव चिन्ह पर दावा किया था। दूसरी तरफ शरद पवार ने पार्टी छोड़कर जाने वाले 9 मंत्रियों समेत 31 विधायकों को अयोग्य घोषित करने की मांग की थी। हालांकि, अजित पवार ने 40 विधायकों के समर्थन के बाद खुद को पार्टी का अध्यक्ष घोषित कर दिया था।