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    • भारतीय वनसंरक्षण संस्था के रिपोर्ट में निकला निष्कर्ष 

    गड़चिरोली. वनों को बढ़ाने के लिए केंद्र व राज्य सरकार विभिन्न घोषणा, उपाययोजना करती है. यह घोषणा, योजना कितने सफल हुए व सहीं में कितना वनक्षेत्र बढ़ा, या घटा, कहां का वनक्षेत्र बढ़ा, कहां का घटा, जंगल बढ़ने अथवा घटने के क्या कारण है, यह दर्शानेवाला एक सर्वंकष रिपोर्ट देहरादून कही भारतीय वन सर्वेक्षण संस्था प्रति वर्ष प्रकाशित करती है.

    हाल ही में इस संस्था ने अपनी रिपोर्ट घोषित की है. जिसमें वनसंपदा से विपुल गड़चिरोली जिले के वनक्षेत्र में 14.12 चौकिमी से गिरावट होने की बात दर्ज की गई है. व्यापक पेड़ों की कटाई के चलते गड़चिरोली जिले के वनवैभव पर कुल्हाडी के वार जारी होने की बात इससे स्पष्ट हो रही है. 

    बेश्किमती सागौन, वनऔषधि, बांस, तेंदूपत्ता, रानमेवा तथा रानभाजी के लिए प्रसिद्ध गड़चिरोली जिले में जंगल के कारण रोजगार भी मिलता है. विपुल साधन संपदा से संपन्न जिले में विगत कुछ वर्षो में पेड़ों की कटाई के कारण वनवैभव नष्ट होने की स्थिती दिखाई दे रही है. यहां का सागौन राज्य में ही नहीं बल्की देश में सर्वोत्कृष्ट  समझा जाता है. जिससे सागौन तस्कर इस क्षेत्र में सक्रिय रहते है. वनविभाग के उपाययोजना के चलते तस्करी में कुछ कमी आयी है. किंतू जिले के अनेक क्षेत्र में अवैध पेड़ों की कटाई यह चिंता का विषय बनी हुई है. 

    अब जिले में 69.26 प्रश जंगल

    गडचिरोली जिले का कुल भौगोलिक क्षेत्र 14 हजार 412 चौ. किमी इतना है. इसमें 12 लाख हेक्टेय क्षेत्र पर जंगल है. राज्य में वनक्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभानेवाले गड़चिरोली जिले का वनक्षेत्र निरंतर घट रहा है. वर्ष 2019 के रिपेार्ट के अनुसार जिले का 87.02 किमी जंगल घटा था. वहीं 2021 के सर्वेक्षण के अनुसार जिले का 14.12 चौ. किमी वनक्षेत्र घटा है. 2019 के तुलना में वर्ष 2021 में सर्वाधिक वनक्षेत्र जिले ने गंवाने से 76 प्रश वन होनेवाले गड़चिरोली जिले में अब 69.26 प्रश जंगल ही बचा है. 

    3 श्रेणी में वनों का सर्वेक्षण 

    देहरादून भारतीय वनसंरक्षण संस्था द्वारा हर 2 वर्षो में वनसर्वेक्षण कर उसकी रिपोर्ट प्रकाशित की जाती है. इस संस्था द्वारा वनों का अति घना, घना व वनआच्छादन के श्रेणी में पंजीयन किया जाता है. इस संस्था द्वारा दिए गए रिपोर्ट के अनुसार राज्य के वनक्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभानेवाले चंद्रपूर व गड़चिरोली इन दोनों जिलों ने वर्ष 2019 के तुलना में 2021 में सर्वाधिक वनक्षेत्र गंवाने की जानकारी है. दिन ब दिन गड़चिरोली जिले में वनक्षेत्र कम होने से चिंता व्यक्त हो रही है. 

    अतिक्रमण, व्यक्तिगत दांवों के लिए पेड़ों की कटाई 

    जिले के अनेक नागरिक अपेन जीवनयापन के लिए पेड़ों की कटाई कर खेती के लिए वनजमीन अतिक्रमण किया. अतिक्रीमत लोगों केा सरकार की ओर से वनपट्टों का वितरण किया गया. किंतू गलत अर्थ लगाकर नए से वनों की कटाई कर खेती के लिए पेड़ों की कत्तल करने के मामले बढ़ गए है. वनों की कटाई में अतिक्रमण यह महत्वपूर्ण कारण है, इसके कारण निरंतर वनों का क्षेत्र घट रहा है. 

    वनों के सुरक्षा की जिम्मेदारी सभी की -डा. मानकर 

    पेड़ों की कटाई रोकने के लिए वनकर्मी हमेशा सतर्क रहते है. किंतू अतिक्रमण का प्रश्न गंभीर मोड ले रहा है. खेती के लिए अतिक्रमण करनेवालों को सरकार की ओर से वनाधिकार प्रदान किया गया. किंतू इसका गलत अर्थ लगाकर वनजमिन पर अतिक्रमण करने में निरंतर वृद्धि हो रही है. वनों के सुरक्षा की जिम्मेदारी यह सभी की है.

    इस संदर्भ में वनविभाग द्वारा निरंतर जनजागृति की जा रही है. ग्रामसभा के माध्यम से पौधारोपन करना, नियमों के तहत पेड़ों की कटाई न करेन संदर्भ में जानकारी दी जा रही है. रोपवन में पौधे उपलब्ध किए जा रहे है. विभिन्न स्कूल, महाविद्यालय, सामाजिक संगठना के मार्फत पौधारोपन को गति देने का प्रयास शुरू है. ऐसी जानकारी मुख्य वनसंरक्षक डा. किशोर मानकर ने दी.