जिले बांस पर आधारित प्रकल्प करेंगे निर्माण, किसान नेता पाशा पटेल ने पत्रपरिषद में दी जानकारी

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    गड़चिरोली. खनिज संपदा निरंतर नष्ट हो रही है, वहीं पर्यावरण का समतोल बनाएं रखने के लिए लातूर में बांस पर आधारित बायोमॅस प्रकल्प शुरू किया गया है. इसके लिए बांस ककी व्यापक मात्रा में जरूरत है. गड़चिरोली जिले में बडी मात्रा में बांस उपलब्ध होने से यहां से बांस का निर्यात किया जानेवाला है. बांस की उपलब्धता बढने पर भविष्य में गड़चिरोली जिले में भी बांस पर आधारित प्रकल्प निर्माण करने का मानस कृषीमुल्य आयोग के पूर्व अध्यक्ष, किसान संगठना के नेता तथा पूर्व विधायक पाशा पटेल ने आज 24 मार्च को आयोजित  पत्रपरिषद में कहीं. 

    पत्रपरिषद में जानकारी देते हुए उन्होने कहां कि, निरंतर बढते तापमान के कारण आगामी कुछ दशक में विश्व के हिमनग पिगलनेवाले है. जिससे सर्वत्र हाहाकार मचनेवाला है. समुद्रा का स्तर बढने से अनेक शहर डूबकर मानवजाती नामशेष रहने का खतरा है. वातावरण में बढते कार्बनडाय ऑक्साईड के कारण पर्यावरण का विनाश हो रहा है. भविष्य में होनेवाली भयावह स्थिती के मद्देनजर अभी से विश्वर के अनेक देशों ने कदम उठाने शुरू किए है.

    इसमें प्रमुखता से कोयले पर आधारित केंद्र चरणबद्ध रूप से बंद करना, पेट्रोल-डिझेल जलाना बंद करने का समावेश है. कोयला तथा बांस में समान उष्मांक होने से कोयले के बजाएं बांस का उपयोग करने की बिनती मैने मुख्यमंत्री से की थी. जिसके तहत थर्मल बायोमॅस प्रकल्प का निर्णय लिया गया. इसी के तहत लातूर में उक्त प्रकल्प निर्माण हुआ है. बांस की मांग अधिक होने से तथा गड़चिरोली जिले में बां प्रचूर मात्रा में होने से यहां से बांस निर्यात किया जानेवाला है. 

    बांस से विभिन्न साहित्य बनाने के साथ ही इथेनॉल का निर्माण भी किया जानेवाला है. जिससे रिपायनरी के लिए बांव की आवश्यकता है. जिले में विपुल बांस ध्यान में लेते हुए स्थानीय स्तर पर सहयोग की अपेक्षा है. वार्षिक 6 करोड लिटर इथेनॉल निर्मिती का लक्ष्य है. इसके लिए बांस की मांग बढनेवाली है. वह पूर्ण होने के लिए किसान को 1 एकड के लिए 200 पौधे दिए जानेवाले हे.

    इसके बाद उनके द्वारा बांस की खरीदी की जानेवाली है. इससे किसानों की भी वित्तीय उन्नती होनेवाली है. जिसे से आवश्यक मात्रा में बांस उपलब्ध होने पर भविष्य में गड़चिरोली जिले में भी लातूर के तर्ज पर प्रकल्प निर्माण किया जाएगा, ऐसी बात उन्होने कहीं. पत्रपरिषद में प्रमोद पिपरे, पूर्व नगराध्यक्ष योगिता पिपरे, पूर्व विधायक डा. नामदेव उसेंडी, रमेश भूरसे, चंद्रशेखर भडांगे, पूर्व कृषि सभापति रमेश बारसागडे आदि उपस्थित थे.