खिली धूप के बिच रोपाई कार्यो में आयी तेजी, खेतिहर मजदूरों की बढी मांग

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    गड़चिरोली. बिते पखवाडे में जिले में निरंतर बारिश का दौर रहा. बारिश के कारण रोपाई कार्य प्रारंभ तो हुए थे. किंतू अतिवृष्टि के कारण रोपाईकार्यो की रफ्तार कुछ धिमि पड़ गई थी. किंतू बिते कुछ दिनों से बारिश का दौर रूक गया है, आसमान साफ तथा धूप खिल गई है. जिस कारण जिले में रोपाईकार्यो में तेजी नजर आ रही है. रोपाईकार्य के मद्देनजर खेतिहर मजदूरों की मांग बढ़ती है. जिसके चलते इन दिनों किसानवर्ग मजदूरों की तलाश में दिखाई दे रहा है. जिससे भारी मजदूरी चुकाते हुए किसान मजदूरों को अपने खेत की ओर आकर्षित कर रहा है. 

    जिले में हुई निरंतर बारिश के बाद चहुओर रोपाई के कार्य में तेजी आ गयी है. रोपाई कार्य के लिये महिला मजदूरों की आवश्यकता होने के कारण अब ग्रामीण क्षेत्र के किसान रोपाई कार्य हेतु महिला मजदूरों को खोज कर रहे है. रोपाई कार्य के माध्यम से अनेक खेतिहर मजदूर तथा महिला मजदूरों को रोजगार उपलब्ध होने से उन्हे व्यापक राहत मिली है. प्रति दिन सुबह मजदूर खेतों में जाते है. और शाम को 5 बजे घर वापिस लौटते है. रोपाई कार्य के चलते अनेक खेतिहर मजदूरों को रोजगार मिला है. 

    मजदूरी को लेकर कहीं खुशी, कहीं गम

    वर्तमान स्थिति में जिले में चहुओर रोपाई के कार्य शुरू हो गये है. ऐसे में रोपाई कार्य के लिये किसानों को महिला मजदूर मिलना काफी मुश्किल हो गया है. अनेक किसान महिला मजदूरों को अपने खेतों में रोपाईकार्य के लिये ले जाते नजर आ रहे है. ऐसे में अपने अनेक किसानों ने मजदूरों को अपने खेतों में कार्य के लिये ले जाने हेतु अधिक की मजदूरी देना शुरू कर दिया है. महिला मजदूरों की निश्चित मजदूरी 160 है. लेकिन किसान जल्दी रोपाई कार्य खत्म करने के लिये महिला मजदूरों को 160 रूपये के बजाएं 200 रूपये मजदूरी दे रहे है. सह मजदूरी क्षेत्र निहाय विभिन्न तरह की है. कितूं मजदूरी बढ़ने से मजदूरों में खुशी तो अधिक की मजदूरी देना पड़ रहा है, इसलिए किसानों में गम की स्थिती है. 

    मजदूरों के लिए यातायात सुविधा भी

    वर्तमान स्थिति में महिला मजदूरों की रोपाई कार्य के लिये मांग काफी बढ़ गयी है. किसान सुबह ही महिला मजदूरों की खोजबिन करना शुरू कर देते है. बता दे कि, महिला मजदूरों के लिए कुछ किसानों ने यातायात की सेवा भी शुरू कर दी है. यह किसान शहरी या ग्रामीण क्षेत्र से मजदूरों को अपने खेतों तक पहुंचाते है, और शाम के दौरान वापिस उन्हे उनके गांव तक छोड़ा जा रहा है.