दीप, रंगोली व मिठाई दुकानों से सज गया बाजार

    Loading

    गोंदिया. दिवाली त्यौहार को देखते हुए शहर का बाजार कपडे, मिठाई, दीये व रंगोली से सज गया है. जिसके कारण बाजार में ग्राहकों की भीड बढ गई है. साल का सबसे बड़ा त्योहार माने जाने वाले दीप पर्व पर जहां एक ओर घरों में सजावट करने की शुरूआत हो गई है. वहीं पर शहर के अनेक स्थानों पर पूजन सामग्री की दूकानें तथा रंगोली के अनेक रंगों से चौराहे पर हाथ ठेले वह अस्थायी दूकानों पर दीपावली पर्व की तैयारियां अभी से शुरू हो चुकी है.

    रंगोली के अनेक रंगों को 10 रु. पायली के हिसाब से बेचा जा रहा है. रंगोली के रंगो में फिलहाल शहर सजा दिख रहा है. दीपावली की तैयारी में जुटे छोटे-बड़े व्यवसायियों ने दुकानों में ग्राहकों के जरूरतों के मुताबिक सामानों को सजा रखा है. जिन्हें ग्राहक जरूरतों के हिसाब से खरीदी कर रहे हैं. शहर के फुटपाथों पर ग्रामीण क्षेत्रों से आए लोगों ने मिट्टी से बने आकर्षक दीयों की दुकानें लगा रखी  हैं.

    वहीं महिलाएं भी गली, रास्तों पर टोकरियों में मिट्टी के दीपों को बेचते नजर आ रही हैं, लेकिन पिछले कुछ वर्षों से गोबर से बने दीपों की मांग बढ़ने के बावजूद अब तक यह दीप मार्केट की दुकानों में उपलब्ध नहीं है. उल्लेखनीय है कि, गत दो दिनों से मार्केट की दुकानों में नागरिकों की भीड़ देखी जा रही है.

    लोग जरूरत के हिसाब से दुकानों में खरीदी कर रहे हैं. परिसर की अधिकांश दुकानों में व्यवसायियों ने ग्राहकों को जरूरत व पसंद मुताबिक सामानों को सजाकर रखा है. जिन्हें आसानी से खरीदी करने में ग्राहक भी उत्सुकता दिखा रहे हैं. इन दिनों शहर के मार्केट परिसर तथा मुख्य मार्ग के किनारे काफी भीड देखी जा रही है. फुटपाथ पर ग्रामीण क्षेत्र से आए व्यवसायियों ने मिट्टी से बने दीये, समई गुल्लक, मटके  व अन्य वस्तुएं बेचने रखा है.

    इस संदर्भ में गोंदिया निवासी कमल बोरसरे ने बताया कि, पीढ़ियों से मिट्टी से बनी वस्तुओं को बेचा जा रहा है. इस वर्ष ग्राहकों की जरूरतों के हिसाब से तहसील के अदासी तांडा ग्राम से मिटटी से बनी वस्तुओं को बेचने लाया है. जिसमें 20 रु. दर्जन दीये, छोटी-बड़ी समई 20 से 30 रु., गुल्लक 20 रु. रंगबिरंगे दीये 4 से 5 रु. प्रति नग, समई 80 से 100 रु. के हिसाब से बेचा जा रहा है. फिलहाल गोबर से बने दीप अब तक मार्केट की दुकानों में उपलब्ध नहीं है.

    घर – आंगन को सजाने की तैयारी शुरू

    लक्ष्मी के स्वागत के लिए रंगोली से अलग डिजाइन में सजावट की जाती है. लक्ष्मी माता को तथा को बिरदेव को प्रसन्न करने के लिए दीपावली में कई  रंगों से आंगन और परिसर को दीयों के साथ सजाया जाता है. रंगोली के जरिए घरों के आंगन को सजाया जाता है. जिस कारण रंगोली खरीदने महिलाओं की विशेष रूप से भीड़ देखी जा सकती है.

    10 रु. पायली रंगोली

    शहर के विभिन्न स्थानों में भी रंग बिरंगी रंगोली बेची जा रही है. रंग बिरंगी रंगोली से शहर भी रंगीन हो गया है. दस रुपए पायली या ग्लास के हिसाब से रंगोली की बिक्री हो रही है. वैसे रंगोली संस्कृति का प्रतीक होती है. कोई भी शुभ कार्य रंगोली के बिना पूरा नहीं होता. छोटी से छोटी पूजा भी रहे तो रंगोली अवश्य निकाली जाती है. रंगोली से सूख, सौभाग्य  व शांति की कामना होती है.

    इलेक्ट्रानिक, फर्नीचर, स्वर्ण बाजार में लौटी रौनक

    कोरोना संकट की वजह से पिछले वर्ष सभी व्यवसाय बुरी तरह प्रभावित हुए. आम नागरिकों से लेकर संपन्न तक की आय प्रभावित हुई, जिससे दीपावली पर खरीददारी का माहौल फीका रहा था. लेकिन इस वर्ष कोरोना संकट के घने बदल छट गए हैं, जिससे बाजार मे रौनक लौट आई है तथा इलेक्ट्रानिक, फर्नीचर  व स्वर्ण बाजार में खरीददारी के लिए भीड़ हो रही है. दीपावली के मुहूर्त पर अपने घर सोने-चांदी के गहने, मूर्ति, सिक्के, बर्तन खरीददारी जोरों पर है. वहीं दुपहिया, चार पहिया वाहने की बुकिंग भी हो रही है. पिछले वर्ष की तुलना में बाजार में खरीददारी बढ़ी है, जो धनतेरस पर निश्चित बढेगी.