लावारिस छोड़े गए रोड डिवाइडर; पौधे लगाने की औपचारिकता निभाकर छोड़ा, कचरा डालने हो रहा उपयोग

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    गोंदिया. मुख्य मार्ग निर्माण करने वाले ठेकेदारों पर डिवायडर विकसित करने की जिम्मेदारी थी लेकिन शहर के लगभग सभी डिवायडर की स्थिति दयनीय हो गई है. इनके पौधे अनेक वर्षों से धूप से सूख गए हैं. वहीं डिवायडर बेजार पड़े हैं. इतना ही नहीं, इन पर जगह-जगह कचरे के ढेर लगे हैं. जिससे यह डिवायडर हैं या कचरा डालने की कुंडी ऐसा सवाल उपस्थित हो रहा है.

    किसी भी शहर के मार्ग व डिवायडर पर हरियाली और सौंदर्यीकरण यह उस शहर की सुंदरता का प्रतीक माना जाता है लेकिन नप क्षेत्र के सभी मुख्य चौराहों व मार्गों के डिवायडर जीर्ण शीर्ण   दिखाई दे रहे हैं. इसमें जयस्तंभ चौक से फुलचूर नाका, गुरुनानक प्रवेश द्वार से गांधी प्रतिमा चौक, डा. आंबेडकर चौक से शक्ति चौक, पुराना तिरोड़ा मार्ग व बड़े उड़ान पुल से मुख्य बस स्थानक परिसर पर बने डिवायडरों पर नजर डालें तो उनमें  केवल मिट्टी भरी दिखाई दे रही है.

    कुछ स्थानों पर डिवायडर में कचरा डाला जा रहा है. जिससे ये कचरा कुंडी का रूप धारण कर चुके हैं. विशेष बात यह है की शहर के सभी मार्गों पर डिवायडर में अब तक सुरक्षा की दृष्टि से कंपाउंड वाल नहीं बनाए गए हैं. युति शासन के कार्यकाल में पौधारोपण अभियान चलाया गया था. डिवायडर के बीच लगाए गए पौधों को जानवरों ने चट कर दिया है. वहीं नप की अनदेखी से कुछ पौधे सूख गए हैं. इसके बावजूद नप द्वारा अब तक इन डिवायडर पर पौधारोपण कर सुरक्षा गार्ड के रूप में ट्री गार्ड या अन्य एंगल नहीं लगाए गए हैं. कुछ स्थानों पर चुनिंदा पेड़ बड़े हो गए हैं. जहां देखरेख नहीं होने से परिसर के व्यापारी उन डिवायडर का उपयोग कचरा कुंडी के रूप में करने लगे हैं. 

    होर्डिंग के लिए हो रहा उपयोग

    शहर के मार्गों पर बने डिवायडर पर हरियाली की बजाय होर्डिंग व बैनर अधिक दिखाई दे रहे हैं. किसी बड़े नेता का जन्मदिन या शहर में आगमन को लेकर कार्यकर्ताओं के माध्यम से इन डिवायडरों पर होर्डिंग लगाई जाती है. जिससे दुर्घटना होने की संभावना भी बनी रहती है. इसी में अब यह डिवायडर केवल होर्डिंग लगाने के उपयोग के रह गए हैं.

    केवल फोटो सेशन का दौर

    युति शासन के काल में सबसे पहले 4 करोड़ पौधे लगाने का कार्यक्रम क्रियान्वित किया गया. उस समय नप के तत्कालीन पदाधिकारियों ने शहर की सामाजिक संस्थाओं के माध्यम से पौधारोपण करते समय केवल फोटो सेशन किया है. इन पौधों का संरक्षण व संवर्धन की जवाबदारी नप की होने के बाद भी इस ओर अनदेखी की गई. इन पौधों को कुछ दिनों तक पानी देने के बाद नप के अधिकारी व कर्मचारियों ने पौधों की ओर अनदेखी कर दी है.