अब तक पूरी नहीं हुई शिक्षकों की कमी की समस्या दूर; जिप, पंस चुनावों में छाया था मुद्दा

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    गोरेगांव. तहसील में जिला परिषद अंतर्गत आने वाली अनेक शालाएं बिना शिक्षक अब तक चल रही है. यहां शिक्षकों की कमी एक बड़ी समस्या बन गई है. जिसमें शाला व्यवस्थापन द्वारा बार बार मांग करने पर भी नए शिक्षकों की नियुक्तियां नहीं हो रही है. यहां एक शिक्षक के उपर एक से अधिक कक्षाओं का भार डाल दिया गया है जिसमें पहली से 7वीं तक के कक्षाओं के छात्रों को एक साथ बैठाकर शिक्षा देने का काम शिक्षकों द्वारा किया जा रहा है. ऐसे में छात्रों की शिक्षा कैसी पूरी हो रही वो समझ के परे है.

    यहां मराठी विषय वाले शिक्षक गणित व अंग्रेजी जैसे विषय पढ़ाने की मजबूरी बन गई  हैं जिसका दुष्परिणाम छात्रों के शिक्षा की बेस पर पड़ रहा है. ऐसे में शिक्षा विभाग की लापरवाहियां ही यहां ग्रामीण क्षेत्र में स्थित छात्रों का भविष्य अंधेरे में ढकेल रही है. साथ ही अनेक शालाओं की इमारतें जर्जर हालत में पहुंच गई है लेकिन अनेक वर्षों से शालाओं के निर्माण कार्यों को मंजूरी नहीं मिल रही है.  हाल ही में हुए जिला परिषद व पंचायत समिति चुनावों में शिक्षा यह बड़ा मुद्दा बना हुआ था लेकिन चुनाव समाप्त होते ही फिर से यह ठंडे बस्ते में जाता दिखाई दे रहा है.

    उल्लेखनीय है कि तहसील में जिप द्वारा चलने वाली 108 प्राथमिक व वरिष्ठ प्राथमिक शालाएं है जिसमें शहर में स्थित शहीद जाम्या तिम्या केवल एक हाईस्कूल, जूनियर कॉलेज हैं लेकिन यहां शिक्षकों की नियुक्तियों को देखा जाए तो रिक्त पद काफी मात्रा में पड़े है. यहां तहसील में 358 शिक्षक कार्यरत हैं जिसमें शहीद जाम्या तिम्या हाईस्कूल में 25 शिक्षक नियुक्त हैं लेकिन  मुख्याध्यापक का पद आज भी रिक्त हैं.

    उसी तरह 107 प्राथमिक व वरिष्ठ प्राथमिक शालाओं में पदवीधर शिक्षक 25, मुख्य अध्यापक 10 तथा सहायक शिक्षक 20 ऐसे रिक्त पदों की हाफ सेंचुरी पूरी होती है. यहां पालक गण व शाला व्यवस्थापन समिति द्वारा अनेकों बार शिक्षकों की नियुक्तियों की मांग की गई. लेकिन उन्हें शिक्षा विभाग द्वारा हमेशा ही एक आश्वासन ही मिल पाया है. ऐसे में तहसील के तेलनखेडी, पलखेडा, मोहाडी, तेढा, तुमसर, पठानटोला जैसे गांव आज तक शिक्षकों की समस्या से जूझ रहे हैं.

    जिसमें मराठी विषय वाले शिक्षक गणित व अंग्रेजी विषय का ज्ञान दे रहे हैं वहीं एक शिक्षक पर एक से अधिक कक्षाओं का भार है. ऐसे में इसका सीधा असर छात्रों के शिक्षा पर पड़ रहा है. जिसमें छात्रों के शिक्षा पर बुरा असर हो रहा है. यहां शिक्षा की नींव कमजोर होने से आगे छात्रों को अधिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है. एक ओर पूंजीपति पालक वर्ग पैसा खर्च कर अपने बच्चों को निजी शालाओं में शिक्षा दे रहे हैं लेकिन सर्वसाधारण गरीब परिवारों के बच्चे गांव में स्थित जिप शासकीय शालाओं पर निर्भर है. 

    शालाओं में शिक्षा को लेकर सुविधाएं व व्यवस्थाए उपलब्ध नहीं है, यहां डिजिटल सामग्रियां किसी कोने में कचरो में पड़ी है. साथ ही अनेक शालाओं की जर्जर इमारतें छात्रों के लिए खतरा बनी है लेकिन शिक्षा विभाग का इन महत्वपूर्ण विषयों पर ध्यान नहीं है. इसके अलावा चुनावों में छाया शिक्षा का चुनाव समाप्त होते ही ठंडे बस्ते में चला गया है. जिस कारण ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित विद्यार्थियों का भविष्य अब अंधेरे में दिखाई दे रहा है.