एनसीपी कार्यकर्ताओं में आक्रोश, कहा – उप मुख्यमंत्री का नाम खड़से के नीचे लिखकर अजित पवार का किया अपमान

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    जलगांव : दूध संघ कार्यक्रम में एकनाथ खड़से के समर्थकों ने उपमुख्यमंत्री (Deputy Chief Minister) अजित  पवार (Ajit Pawar) और पालक मंत्री (Foster Minister) गुलाबराव पाटिल (Gulabrao Patil) से बड़ा दिखाने के लिए उद्घाटन पत्रिका पर खडसे का नाम प्रमुख अतिथियों में सब से ऊपर लिखा है। इसको लेकर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (Nationalist Congress Party) के कार्यकर्ताओं में आक्रोश का माहौल है। कार्यकर्ताओं ने इसे उपमुख्यमंत्री अजित पवार का अपमान बताया है।

    राज्य के उपमुख्यमंत्री अजित पवार शुक्रवार को  जिले के दौरे आए हुए हैं। उनकी मौजूदगी में कई कार्यक्रम आयोजित किए गए। इनमें सब से प्रथम जिला दुग्ध संघ के कूलिंग प्लांट का उद्घाटन है। इस दौरान दूध संघ ने प्रोटोकॉल को दरकिनार करते हुए पत्रिका में सब से पहले खडसे का नाम लिखा है और उसके बाद उपमुख्यमंत्री पवार का नाम मुख्य अतिथि के रूप में लिखा है। जिसे राजनीति में वरिष्ठ नेता के प्रोटोकॉल का हनन बताया जा रहा है।

    जिला दुग्ध संघ कार्यक्रम की अध्यक्षता खडसे कर रहे हैं लेकिन उपमुख्यमंत्री का पद बड़ा है और उन्हीं के हाथों उद्घाटन होना है। जिसके अनुसार सर्वप्रथम उपमुख्यमंत्री का नाम होना चाहिए था लेकिन खडसे ने भाजपा की तरह वर्चस्व की जंग राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी में भी शुरू कर दी है जिसका उदाहरण यह कार्यक्रम बताया जा रहा है। एनसीपी के पुराने कार्यकर्ताओं ने एकनाथ खडसे पर आरोप लगाते हुए प्रतिक्रिया व्यक्त की खड़से किसी पद पर न होते हुए भी इस तरह उप मुख्यमंत्री अजित पवार से बड़े कैसे हो गए। जिससे एनसीपी के कट्टर समर्थकों में रोष की लहर दौड़ गई है।  कार्यकर्ता खुलेआम यह भावना व्यक्त कर रहे हैं कि यह हमारे नेता अजित पवार का अपमान है और सोशल मीडिया पर खूब बवाल हुआ है। चर्चाएं अब जोर पकड़ रही हैं कि यह एनसीपी में आने वाली  समय में बिरादरी और परिवारवाद के आतंक से पूरी करने के लिए एक नया दौर शुरू होगा। 

    एनसीपी में भी वर्चस्व की जंग शुरू कर दी 

    एकनाथराव खडसे भाजपा में परिवारिक सदस्यों को राजनीति में सक्रिय रुप से लाने के लिए विवादों के घेरे में पाए गए थे। उन्होंने जलगांव समेत खानदेश में अपने आप को एक सुप्रीमो के तौर पर भाजपा में प्रस्तुत किया था और पार्टी के वरिष्ठ पदाधिकारियों को अपने अहंकार और वर्चस्व के लिए दरकिनार किया था। जिसे लेकर भाजपा ने उन्हें अलग-थलग कर दिया था और परिवारवाद में उन्हें टिकट भी नहीं दिया था। उन्होंने आहत होकर एनसीपी का दामन थामा था। एनसीपी में आने के बाद भी खड़से स्वयं को बाहुबली साबित करने के लिए पार्टी प्रोटोकॉल का खुलेआम उलंघन कर रहे हैं इस तरह उन्होंने फिर एक बार एनसीपी में भी वर्चस्व की जंग शुरू कर दी है इस तरह की चर्चाएं राजनीतिक गलियारों में जोरों से गश्त कर रही है।