Cotton Price
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    जलगांव : कपास किसानों (Cotton Farmers) के लिए एक राहत भरी खबर है, क्योंकि कपास के भाव में 500 रुपए से 1 हजार रुपए तक की बढ़ोतरी हुई है। पिछले सप्ताह कपास (Cotton ) के भाव (Price) में एक से डेढ़ हजार रुपए की गिरावट आई थी, इससे प्रदेश के कपास किसान चिंतित थे, लेकिन नए वर्ष 2023 के शुरू होते ही रविवार को जलगांव के बाजार में कपास की कीमत में अच्छा सुधार हुआ। भाव में वृद्धि होने से कपास किसानों को कुछ हद तक राहत मिली है। किसानों का कहना है कि कपास की कीमतों में आने वाले दिनों में और तेजी की आने की उम्मीद है। वर्तमान में कपास का भाव आठ से साढ़े आठ हजार रुपए बोला जा रहा है। 

    पिछले सप्ताह कपास की कीमतों में गिरावट के बाद किसान बहुत ज्यादा चिंतित हो गए थे। कपास के भाव में डेढ़ से दो हजार रुपए तक की गिरावट आई थी, जिससे कपास उत्पादक किसानों के मस्तक पर चिंता की लकीरें स्पष्ट रूप से देखी जा रही थी। भाव घटने से कपास की बिक्री घटकर 7 हजार 500 पर आ जाने से किसानों में भारी मायूसी छा गई थी। कारोबारियों का कहना था कि वैश्विक स्तर पर कपास की कीमतों में गिरावट की वजह से कपास के भाव में गिरावट आई थी, लेकिन 2023 के सूर्य के पहली किरणों के बीच कपास के दरों में 500-1000 रुपए की वृद्धि होने से मायूस किसानों के चेहरे पर आनंद लहर दौड़ पड़ी। कपास के भाव में 500 से 1000 रुपए प्रति क्विंटल बढ़ोतरी होते ही किसानों ने कहा कि कपास की दरों में आने वाले दिनों में और तेजी आएगी

    ऑस्ट्रेलिया से कपास का आयात

    केंद्र सरकार ने ऑस्ट्रेलिया से तीन लाख गांठ यानी 51 हजार टन कपास आयात करने का फैसला किया है। कपास की इन तीन लाख गांठों का आयात शुल्क मुक्त किया जाएगा। हालांकि केंद्र सरकार के इस फैसले को लेकर विभिन्न किसान संगठनों ने नाराजगी जताई है। कपास के आयात पर लगने वाले 11 फीसदी शुल्क को भी माफ करने का फैसला किया गया है। केंद्रीय वाणिज्य मंत्रालय के तहत विदेश व्यापार निदेशालय ने इस संबंध में शासनादेश जारी किया है।  2022 के आयात पर विचार करें तो इस वर्ष आयात में बड़ी वृद्धि हुई है। भारत से कपास या सूत का निर्यात बंद है, ऐसे में विदेश से कपास भारत में आयात करने का निर्णय लिया गया है। 

    देश में जिनिंग प्रेसिंग निर्माताओं, व्यापारियों, निर्यातकों आदि के संगठन कॉटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया इन सभी ने केंद्रीय कपड़ा मंत्री पीयूष गोयल से मुलाकात की। इस समय कपास आयात के लिए कपास पर से 11 प्रतिशत आयात शुल्क हटाने की मांग की गई थी। अंततः: इस मांग को स्वीकार करते हुए आयात शुल्क माफ कर दिया गया है।