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कौन बनेगा कोल्हापुर का सांसद

साल 2019 के लोकसभा चुनाव में कोल्हापुर लोकसभा सीट पर कुल 1880496 मतदाता थे, जिन्होंने SHS प्रत्याशी संजय सदाशिवराव मांडलिक को 749085 वोट देकर जिताया था। उधर, NCP उम्मीदवार धनंजय महादिक को 478517 वोट हासिल हो सके थे, और वह 270568 वोटों से हार गए थे।

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नई दिल्ली/कोल्हापुर: शायद ही कोई होगा जो कोल्हापुर (Kolhapur) का नाम नहीं सुना हो। आज ‘कोल्हापुरी हार’ और ‘कोल्हापुरी चमड़े की चप्पल’ देश के हर हिस्से में कोल्हापुर का परिचय देते हैं। वैसे तो कोल्हापुर देश का एक प्रमुख व्यापारिक केंद्र है तो वहीं अपने साथ एक समृद्ध इतिहास को भी समेटे हुए है। यहां मौजूद पनहला किला यहां के इतिहास की गवाही दे रहा है।

इस किले की प्राकृतिक खूबसूरती और शांति जैसे लोगों को अपनी ओर खींचती है। इस किले को 1052 में राजा भोज ने बनवाया था। बाद में यह क्षेत्र 1782 तक पनहला रानी ताराबाई के राज्य की राजधानी रहा। वहीं पशु पक्षियों की सुरक्षा के लिए इस क्षेत्र में बना दाजीपुर बिसन सेंचुरी पर्यटकों की पसंदीदा जगह है। महालक्ष्मी मंदिर यहां का धार्मिक स्थल है। यहां की कोल्हापुरी हस्तपशिल्प बहुत ज्यादा प्रसिद्ध है। कोल्हापुरी चप्पलें तो देश विदेश में मशहूर हैं हीं। वहीं शिवाजी विश्वविद्यालय यहां का प्रमुख शैक्षिक संस्थान है।

जानकारी दें कि, भारत के बेहद महत्वपूर्ण पश्चिमी महाराष्ट्र राज्य में कुल 48 लोकसभा सीटें हैं, जिनमें से एक है कोल्हापुर संसदीय सीट है जो अनारक्षित है। साल 2019 के लोकसभा चुनाव में कोल्हापुर लोकसभा सीट पर कुल 1880496 मतदाता थे, जिन्होंने SHS प्रत्याशी संजय सदाशिवराव मांडलिक को 749085 वोट देकर जिताया भी था। लेकिन वहीं NCP उम्मीदवार धनंजय महादिक को 478517 वोट हासिल हो सके थे, और वह 270568 वोटों से बुरी तरह हार गए थे।

तब इस चुनाव में संजय सदाशिवराव मांडलिक को लोकसभा सीट में मौजूद कुल मतदाताओं में से 39.83% का समर्थन मिला था, जबकि इस सीट पर डाले गए वोटों में से 56.22% उन्हें दिए गए थे। वहीं लोकसभा चुनाव 2019 के दौरान इस सीट पर NCP प्रत्याशी धनंजय महादिक दूसरे स्थान पर रहे थे, जिन्हें 478517 वोट मिले थे, जो संसदीय सीट के कुल मतदाताओं में से 25.45% का समर्थन था, और उन्हें कुल डाले गए वोटों में से 35.91% वोट मिले थे। इस सीट पर आम चुनाव 2019 में जीत का अंतर 270568 रहा था।

जानें कोल्हापुर का चुनावी इतिहास

साल 1952 में हुए पहले चुनाव में यहां कांग्रेस पार्टी विजयी हुई थी। फिर साल 1957 में भारत की किसान एवं श्रमिक पार्टी के भाऊसाहेब महागांवकर यहां से संसद पहुंचे। इसके बाद क्रमशः 1962 में वीटी पाटिल, 1967 में शंकरराव माने, 1971 में राजाराम निंबालकर ने कांग्रेस की टिकट पर जीत हासिल की। फिर 1977 में इमरजेंसी के बाद हुए चुनाव में भारत की किसान एवं श्रमिक पार्टी की टिकट पर दाजीबा देसाई ने जीत दर्ज की।

इसके बाद साल 1980 से 1996 तक हुए पांच चुनावों में लगातार कांग्रेस पार्टी के उदयसिंगराव गायकवाड़ ने जीत दर्ज की थी। साल 1998 में सदाशिवराव मांडलिक ने कांग्रेस की टिकट पर फिर 1999 और 2004 में एनसीपी की टिकट पर जबकि 2009 में निर्दलीय लड़कर लगातार चार बार जीत दर्ज की थी। फिर साल 2014 में उन्हें राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के धनंजय महाडिक ने चुनाव हरा दिया। 2019 में संजय मांडलिक ने शिव सेना से जीत दर्ज की थी। साल 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए फिलहाल कांग्रेस से शाहू शाहजी छत्रपति को खड़ा किया गया है।