Malegaon blast case, sensational allegations of witnesses on ATS

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मुंबई. 2008 के मालेगांव ब्लास्ट (Malegaon Blast 2008) के 16 साल बाद, विशेष एनआईए अदालत (Special NIA Court) ने फरार आरोपी रामचंद्र कलसांगरा (Ramchandra Kalsangra) की संपत्ति को कुर्क करने का आदेश दिया है। दरअसल, रामचंद्र मुकदमे के लिए खुद को पेश करने में विफल रहा है। वह इस मामले फरार चल रहा है। जिसके चलते कोर्ट ने यह आदेश जारी किया है।

रामचंद्र पर मालेगांव में एक मस्जिद के पास विस्फोटक से भरी मोटरसाइकिल रखने का आरोप है, जो कथित तौर पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सांसद साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर (Pragya Singh Thakur) की थी। NIA ने रामचंद्र कलसांगरा के अलावा संदीप डांगे को आरोपी बनाया था। ब्लास्ट के दौरान वह रामचंद्र के साथ ही था।

गौरतलब है कि 29 सितंबर 2008 को नासिक जिले के मालेगांव में एक मस्जिद के पास एक मोटरसाइकिल में विस्फोट होने से 6 लोगों की मौत हो गई और 100 से अधिक घायल हो गए थे। इस घटना के बाद से ही कलसांगरा और डांगे फरार है। अदालत ने उनके खिलाफ वारंट जारी किया है और भगोड़ा घोषित कर दिया है। इस मामले में दोनों को कभी गिरफ्तार नहीं किया गया।

न्यायाधीश लाहोटी ने कहा कि उनके पूर्ववर्ती ने कलसांगरा के खिलाफ वारंट जारी किया था लेकिन उस पर अमल नहीं किया जा सका क्योंकि आरोपी फरार हो गया था। एजेंसी ने दावा किया था कि कलसांगरा की जिस संपत्ति को कुर्क करने का आदेश दिया गया है वह मध्य प्रदेश में है। एजेंसी के मुताबिक डांगे की कोई ज्ञात संपत्ति नहीं है जिसके चलते उसके खिलाफ कुर्की वारंट की मांग नहीं की गई थी।

अदालत वर्तमान में आपराधिक प्रक्रिया संहिता की धारा 313 के अनुसार आरोपियों के बयान दर्ज कर रही है। पिछले पांच सालों में इस मामले में कुल 323 गवाहों से पूछताछ हो चुकी है। जिनमें से 37 गवाह बरी हो चुके हैं। फिलहाल सात आरोपी मुकदमे का सामना कर रहे हैं। शुरुआत में राज्य आतंकवाद निरोधक दस्ते (एटीएस) ने इस मामले की जांच की थी लेकिन 2011 में इसे एनआईए को स्थानांतरित कर दिया गया था।