बेस्ट के कर्मचारियों की मांग, हमें भी घर दो!

    Loading

    मुंबई: बेस्ट के कर्मचारियों ने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे (Chief Minister Eknath Shinde), उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस (Deputy Chief Minister Devendra Fadnavis) और बीएमसी के कमिश्नर इकबाल सिंह (BMC Commissioner Iqbal Singh) से मांग की है कि पुलिस, मिल कर्मियों और अन्य सरकारी कर्मचारियों की तरह उन्हें भी एक निश्चित राशि लेकर से मालिकाना हक वाला घर दिया जाए। उनका कहना है कि हम भी आपातकालीन सेवाओं का एक हिस्सा हैं और मुश्किल के दौर में हम हमेशा सर्वश्रेष्ठ सेवा देते आ रहे हैं, लेकिन काम के घंटे और यात्रा में लगने वाले समय की वजह से बेस्ट के कर्मचारियों की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। 

    अपनी मांग को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने कहा है कि बेस्ट की सेवा व प्रतिष्ठा न केवल मुंबई में बल्कि पूरे देश में सराहना की जाती है, लेकिन कर्मचारियों को बेस्ट पहल के अपर्याप्त सेवा आवास के कारण कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है और उसमें सबसे बड़ी कठिनाई यह है कि कई कर्मचारियों को समय पर आवास प्रदान नहीं किया जाता है। इसलिए कई लोगों को आवश्यक सेवाओं के बावजूद मुंबई के बाहर कसारा, कर्जत, वसई विरार क्षेत्रों में रहना पड़ता है और नाइट शिफ्ट के कर्मचारी लोकल ट्रेन बंद होने के बाद भी घर नहीं जा सकते। इसलिए बेस्ट के कर्मचारी मुंबई में ही कम कीमत पर अपना घर उपलब्ध कराने के लिए राज्य स्तर पर प्रयास कर रहे हैं।

    हमारे साथ भेदभाव क्यों?

    उन्होंने कहा है कि पिछले कुछ वर्षों से राज्य सरकार अपने कर्मचारियों को सस्ते रेट पर घर उपलब्ध करा रही है जिसमें मिल मजदूरों, पुलिसकर्मियों का समावेश है। यहां तक कि फुटपाथ पर रहने वालों को 325 वर्ग फुट का मकान मुफ्त में उपलब्ध कराया जाता है तो फिर बेस्ट के कर्मचारियों के पास सस्ते और खुद के घर क्यों नहीं हैं? हमारे साथ भेदभाव क्यों? स्व-स्वामित्व वाले मकान उपलब्ध कराने की इस मांग का पत्र बेस्ट कर्मचारी कुटुंबिय हाऊसिंग सोसायटी ने राज्य सरकार को भेजा है, लेकिन कुछ राशि चार्ज करने को भी कहा है ताकि ये मकान फ्री न हो जाएं। इसमें कहा गया है कि कई कर्मचारियों की तीसरी पीढ़ी बेस्ट में काम कर रही है पर बेस्ट से मिलने वाली सैलरी से मुंबई में घर खरीदना संभव नहीं है। ऐसे में कई कर्मचारियों को मुंबई से बाहर रहना पड़ता है और आधी रात को लोकल बंद होने के बाद कई कर्मचारी घर नहीं जा पाते हैं। कई लोगों को तो सुबह लोकल चलने के बाद अपने घर जाना नसीब होता है।