BJP Congress

Loading

मुंबई: महाराष्ट्र (Maharashtra) के विधानसभा चुनाव (Assembly Election) में अभी करीब एक साल का वक्त है और महाराष्ट्र में राजनीतिक माहौल पिछले सीजन के मुकाबले काफी बदल चुका है। महाराष्ट्र में शिवसेना (Shivsena) दो गुटों में बंट चुकी है। वहीं राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) भी दो हिस्सों में बंट चुकी है। ऐसे में महाराष्ट्र में राजनीतिक समीकरण पूरी तरह से बदल चुका है। 2024 में जो विधानसभा चुनाव होने वाला है, उसमें शिंदे की या उद्धव की शिवसेना और अजित पवार या शरद पवार की एनसीपी में किसे फायदा और किसे नुकसान होगा? महाराष्ट्र की जनता का क्या मिजाज है? दरअसल यह कुछ ऐसे सवाल हैं जो इस समय सभी के मन में चल रहे हैं। 
 
कौन है मज़बूत कौन कमज़ोर 
सवालों का जवाब जानने से पहले महाराष्ट्र के राजनीतिक भूगोल और इतिहास को समझना जरूरी है। पिछले चुनाव की अगर बात करें तो बीजेपी ने 105 सीटों पर जीत हासिल की थी। शिंदे की शिवसेना के पास 40 सीट है। वहीं अजित पवार की एनसीपी के पास 34 सीट, शरद पवार की एनसीपी के पास 19 सीट, उद्धव ठाकरे की शिवसेना के पास 17 सीट है। पिछले चुनाव में इन पार्टियों को मिली सीटों के आधार पर अगर देखा जाए तो शिंदे की शिवसेना मजबूत पकड़ के साथ दिख रही है। वहीं उद्धव ठाकरे की शिवसेना कमजोर नजर आ रही है। ऐसा ही कुछ सूरते हाल शरद पवार और अजित पवार के एनसीपी में भी दिखाई दे रहा है। शरद पवार के पास कम संख्या में विधायक हैं। अजित पवार के पास अधिक विधायकों का समर्थन है। यानी अजित पवार की एनसीपी मजबूत दिखाई दे रही है। 
 
 
क्या शिंदे अगली बार भी बनेंगे मुख्यमंत्री?
भारतीय जनता पार्टी इन पार्टियों से अलग 105 सीटों के साथ मजबूत स्थिति में दिख रही है। ऐसे में यह अंदाजा लगाना कठिन नहीं है कि आगामी चुनाव में बीजेपी की मजबूती अगर बरकरार रही तो सरकार बीजेपी के हाथ में ही रहने वाली है। इस बार शिंदे मुख्यमंत्री तो बन गए हैं लेकिन क्या अगली बार वह मुख्यमंत्री बने रहेंगे? यह सवाल भी चर्चा का विषय है। 
 
शिवसेना और राकां में फूट का बीजेपी और कांग्रेस को होगा फायदा 
अब बात करते हैं कि चुनाव में किसे फायदा और किस नुकसान होगा? दरअसल शिवसेना दो भागों में बंट चुकी है। ऐसे में चुनाव के दौरान शिंदे की शिवसेना और उद्धव ठाकरे की शिवसेना के प्रत्याशी एक दूसरे का वोट काटते हुए नजर आएंगे जिसका सीधा फायदा बीजेपी को होगा। वहीं दूसरी तरफ एनसीपी भी दो भागों में बटी हुई है। चुनाव में अजित पवार की एनसीपी और शरद पवार की एनसीपी के प्रत्याशी इस बार आमने-सामने होंगे और ये जब एक दूसरे का वोट काटेंगे तो उसका सीधा फायदा कांग्रेस पार्टी को होगा। तो ऐसे में यह अंदाजा लगाना कठिन नहीं है कि आगामी चुनाव में एनसीपी और शिवसेना दोनों ही पिछले चुनाव के मुकाबले कम सीट हासिल करेंगे। जिसका फायदा परोक्ष रूप से बीजेपी और कांग्रेस को होता हुआ दिखाई दे रहा है। अब ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले चुनाव के बाद जब नतीजे सामने आते हैं तो किसे बहुमत मिलती है। 
 
 
आगामी चुनाव में बीजेपी और कांग्रेस के बीच होगा मुकाबला?
चुनावी समीकरण के हिसाब से यह अंदाजा लगाना कठिन नहीं है कि भाजपा बहुमत हासिल कर सकती है और अगर एंटी इनकंबेंसी फैक्टर भाजपा के साथ जुड़ता है तो सीधा-सीधा फायदा कांग्रेस को होगा। कांग्रेस महाराष्ट्र में चौंकाने वाला नतीजा दे सकती है। चुनावी समीकरण के हिसाब से जानकारों का यह मानना है कि इस बार के चुनाव में सीधे तौर पर लड़ाई भाजपा और कांग्रेस के बीच दिखाई देगी। शिवसेना और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी पिछले प्रदर्शन के मुकाबले कमतर प्रदर्शन करते हुए दिखाई देंगे ऐसे में यह कहा जा सकता है कि शिवसेना में पड़ी फूट और राष्ट्रवादी कांग्रेस में पड़ी फूट का इन दोनों ही पार्टियों को खामियाजा भुगतना पड़ेगा और बाज़ी कोई और मारेगा।