Bombay High Court
बोम्बे हाई कोर्ट (फाइल फोटो)

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मुंबई: बंबई उच्च न्यायालय (Bombay High Court) ने कहा है कि किसी कल्याणकारी राज्य में नागरिकों के एक वर्ग के लिए स्वच्छता दूसरों को गुलामी में धकेल कर हासिल नहीं की जा सकती। उच्च न्यायालय ने ग्रेटर मुंबई नगर निगम (एमसीजीएम) को उसके 580 कर्मचारियों को स्थायी कर्मचारी घोषित करने और उन्हें सभी लाभ देने का निर्देश देते हुए यह टिप्पणी की। न्यायमूर्ति मिलिंद जाधव की एकल पीठ ने नवंबर 2023 में एक फैसले में कहा कि नागरिकों के स्वच्छ पर्यावरण के मौलिक अधिकार को श्रमिकों के मौलिक अधिकार बुनियादी मानवीय गरिमा के अधीन रखकर प्राप्त नहीं किया जा सकता है। इस फैसले की प्रति बृहस्पतिवार को उपलब्ध हुई। 

अदालत ने एमसीजीएम की ओर से दायर एक याचिका पर सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की, जिसमें औद्योगिक न्यायाधिकरण द्वारा पारित एक आदेश को चुनौती दी गई थी। औद्योगिक न्यायाधिकरण ने एमसीजीएम को 580 अस्थायी कर्मचारियों के लिए पद का सृजन करने का निर्देश दिया गया था। न्यायाधिकरण ने नगर निगम को 580 कर्मचारियों को स्थायी घोषित करने और उन्हें सभी लाभ देने का निर्देश दिया था।

श्रमिक संघ, ‘कचरा वाहतुक श्रमिक संघ’ ने नगर निगम से अपने 580 सदस्यों को स्थायी कर्मचारी बनाने की मांग की थी। ये कर्मचारी सार्वजनिक सड़कों की सफाई और कूड़ा-कचरा इकट्ठा करने और उसकी ढुलाई करने का काम करते हैं। उच्च न्यायालय की पीठ ने एमसीजीएम की याचिका खारिज करते हुए कहा कि औद्योगिक न्यायाधिकरण के आदेश को रद्द करना न्याय का मजाक होगा। 

अदालत ने कहा, ‘‘ यह मौलिक अधिकार और अनिवार्य कर्तव्य श्रमिकों के मौलिक अधिकारों को बुनियादी मानवीय गरिमा के अधीन करके प्राप्त नहीं किया जा सकता है। एक कल्याणकारी राज्य में, नागरिकों के एक वर्ग के लिए स्वच्छता दूसरों को ‘गुलामी’ में धकेल कर हासिल नहीं की जा सकती।”