मोनो रेल को मिलेगी रफ़्तार, मलेशियाई कंपनी के सहयोग से बनेंगे मोनो रेक

  • 10 नई ट्रेन के लिए खर्च होंगे 650 करोड़

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मुंबई: मुंबई (Mumbai) में शुरू हुई देश की पहली मोनो रेल (First Mono Rail) को गति दिए जाने का प्रयास एमएमआरडीए (MMRDA) की ओर से हो रहा है। मोनो रेल के लिए नए रेक (New Rake) का निर्माण और पार्ट्स से संबंधित समस्याओं को दूर करने के लिए मलेशियाई कंपनी एसएमएच को ठेका दिया है। यह कंपनी भारत की मेधा सर्वो के साथ मिलकर मोनो रेल के लिए 10 रेक बनाएगी।

पिछले कुछ साल से घाटे में चल रही मोनो रेल के सुचारू संचालन के लिए नए पार्ट्स के साथ रेक की भी आवश्यकता है। मार्च 2019 में ही नए रेक के लिए टेंडर जारी किया गया। एक चीनी कंपनी को ठेका भी मिला था, परंतु बाद में उसे रद्द कर दिया गया। कोरोना महामारी के चलते मोनो का काफी नुकसान हुआ है। इसके पहले चीनी कंपनी का रेक होने से पार्ट्स, संचालन आदि को लेकर काफी समस्या हुई।

दो साल में उपलब्ध होंगे मोनो कार

मलेशिया के कुआलालंपुर स्थित एसएमएच और भारत की मेघा सर्वो के सयुंक्त उपक्रम के तहत 40 मोनो कार के लिए एमएमआरडीए लगभग 85 मिलियन अमेरिकी डॉलर अदा करेगा। भारतीय मुद्रा के अनुसार, इस योजना पर लगभग 650 करोड़ रुपए खर्च होंगे। लोकोमोटिव निर्माता कंपनी  के साथ 10 सेटों के लिए अनुबंध में कमीशनिंग में डिजाइन, निर्माण,आपूर्ति,पार्ट्स और परीक्षण शामिल है। इसकी आपूर्ति अगले दो वर्षों के भीतर  होने की उम्मीद जताई गई है। एक मोनो रेक में लगभग 2,500 प्रकार के पार्ट्स होते हैं।

रोजाना 60 ट्रिप

कोरोना महामारी के बाद अब मोनो रेल में यात्रियों की संख्या धीरे-धीरे बढ़ रही है। चेंबूर से जैकब सर्कल तक चलने वेस्ली मोनो रेल के रोजाना 60 से ज्यादा फेरे होते हैं। लगभग 20 किलोमीटर के ट्रैक पर 22 से 25 मिनट के अंतराल पर सुबह 6.24 बजे से लेकर देर रात को 11.03 बजे तक मोनो दौड़ती है। 300 से ज्यादा का स्टाफ मोनो रेल के संचालन में लगा हुआ है। एमएमआरडीए प्रशासन का कहना है कि नए रेक आने के बाद ही सेवाओं में सुधार और यात्रियों की संख्या बढ़ेगी। एमएमआरडीए ने मोनोरेल को मेट्रो-3 से कनेक्ट करने का निर्णय भी लिया है।