आज लगेगा साल का सबसे बड़ा सूर्य ग्रहण

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– शनिवार की रात से ही शुरू हुआ सूतक काल

– बंद हुए मंदिरों के कपाट, मोक्ष के बाद शुद्धिकरण

– मिथुन राशि, मृगशिरा नक्षत्र, 6 ग्रहों की टेढ़ी चाल

मुंबई. आज रविवार 21 जून को साल का सबसे बड़ा सूर्य ग्रहण लगने जा रहा है. सुबह 09:16 बजे से सूर्य ग्रहण शुरू हो जाएगा और दोपहर बाद 02:28 बजे ग्रहण का मोक्ष (समाप्त) हो जाएगा. इस ग्रहण का सूतक काल शनिवार की रात 10:01 से प्रारंभ हो गया है. इसके साथ ही सभी मंदिरों के गर्भगृह के कपाट बंद कर दिए गए हैं. 

सूतक के दौरान शुभ कार्य करना वर्जित होता है. पांच सौ साल बाद ऐसी स्थिति बनने जा रही है जब इस दिन एक साथ छह ग्रह वक्री होंगे. सूर्य कर्क रेखा पर होगा, इससे यह वर्ष का सबसे बड़ा दिन भी होगा. इस दिन राहु, केतु के साथ, बुध, शुक्र, गुरु और शनि वक्री होंगे.

कोई शुभ कार्य नहीं किया जाता

ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, किसी भी पूर्ण ग्रहण के शुरू होने से 12 घंटे पहले और ग्रहण के कुछ समय बाद सूतककाल समाप्त हो जाता है. इस दौरान मंदिरों में पूजा पाठ या कोई शुभ कार्य नहीं किया जाता. सूतककाल समाप्त होने के बाद ही मंदिर खुलेंगे और पूजा अनुष्ठान शुरू होगा.

अशुभ असर के साथ कोरोना के प्रभाव में कमी

6 वक्री ग्रहों कब बीच रविवार को मिथुन राशि और मृगशिरा नक्षत्र में लगने वाला सूर्य ग्रहण हर दृष्टि से अशुभ है. ज्योतिषियों के अनुसार इस सूर्यग्रहण के समय ग्रह नक्षत्रों में कुछ ऐसे बदलाव होंगे जिससे कोरोना महामारी का अंत होना शुरू हो जाएगा. सूर्य ग्रहण की वजह से वर्षा की कमी, गेहूं, धान और अन्‍य अनाज के उत्‍पादन में कमी आ सकती है. प्रमुख देशों के राष्‍ट्राध्‍यक्षों के बीच तनाव और बहस बढ़ सकती है. वहीं व्‍यापारियों के लिए यह ग्रहण अच्‍छा माना जा रहा है.

आषाढ़ मास के ग्रहण का फल

विश्वविख्यात ज्योतिर्विद आचार्य वराहमिहिर ने ज्योतिष के सुप्रसिद्ध ग्रंथ वृहत् संहिता में स्पष्ट किया है कि

आषाढ़पर्वण्युदपानवप्रनदीवाहान् फलमूलवार्तान्,

गान्धारकाश्मीरपुलिन्दचीनान् हतान्वदेद् मण्डलवर्षमस्मिन्.

अर्थात आषाढ मास के ग्रहण में जल स्रोत, नदी के प्रवाह, फलों-मूलों के व्यापारी तथा गांधार (अफगानिस्तान), कश्मीर, पुलिंद और चीन आदि देशों के निवासियों का विनाश होता है.

रविवार ग्रहण का फल

उन्होंने सप्ताह के प्रत्येक दिन पड़ने वाले ग्रहणों की भी विवेचना प्रस्तुत की है. रविवार को पड़ने वाले ग्रहण का फल इस तरह बताया है.

अल्पं धान्यल्प मेघाश्च स्वल्पक्षीराश्च धेनव:,

कलिंगदेश पीड़ा च ग्रहणे रविवासरे.

अर्थात् जब रविवार को ग्रहण होता है तब वर्षा की कमी, खेत खलिहानों में अन्न की कम उपज, गायों में दूध कम हो जाता है.

वक्री ग्रहों का प्रभाव

यह विकट समय है, सूर्य ग्रहण के समय मंगल के अतिरिक्त छः ग्रह शुक्र, बुध, गुरु, शनि, राहू और केतू वक्री गति में होने से यह प्राकृतिक आपदाओं, कहीं अधिक वर्षा और कहीं अकाल जैसे हालात उत्पन्न हो सकते हैं. भूकंप और समुद्री तूफान से जन धन की भारी हानि हो सकती है. विश्व में अराजकता, महामारी और आर्थिक संकट के हालात होंगे. राजनीति उथल की प्रबल संभावना दिखाई दे रही है.