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मुंबई: देश की सबसे धनी मुंबई महानगरपालिका (BMC) पर कब्जे के लिए बीजेपी (BJP) ने जोरदार तैयारी शुरू कर दी है। बीजेपी के ‘मिशन मुंबई’ (Mission Mumbai) को सफल बनाने के लिए केंद्र से लेकर राज्य के वरिष्ठ नेताओं को काम पर लगाया गया है। बताया गया कि राज्य में बीजेपी के सबसे बड़े रणनीतिकार उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस (Deputy Chief Minister Devendra Fadnavis) के सागर बंगले पर शनिवार को मुंबई के विधायकों और सांसदों की विशेष बैठक में बीएमसी चुनाव (BMC Elections) में 151 सीटें जीतने का लक्ष्य रखा गया। इसके लिए पार्टी ने एक मजबूत मोर्चा बनाने का भी निर्णय लिया है, वहीं दूसरी तरफ बीजेपी के ‘मिशन मुंबई’ को रोकने के लिए यूबीटी-एनसीपी ( UBT-NCP) ने भी कमर कसी है।

वैसे बीएमसी पर कब्जे की इच्छा पिछले कई वर्षों से बीजेपी ने पाल रखी है। गत लगभग तीन दशक से बीएमसी पर शिवसेना का कब्ज़ा रहा हैं। कई बार शिवसेना के साथ बीजेपी भी बीएमसी की सत्ता में सहभागी रही हैं। 2017 के बीएमसी चुनाव में बीजेपी सत्ता के काफी नजदीक पहुंच गई थी। शिवसेना को 84 और बीजेपी को 82 सीटें मिली थी, परंतु राज्य में युति सरकार को मजबूत बनाए रखने के लिए उद्धव की मांग पर सत्ता शिवसेना के पास ही रही। अब बदली राजनीतिक परिस्थिति में बीजेपी सीएम शिंदे की शिवसेना के साथ मिलकर उद्धव की पार्टी को बीएमसी से बेदखल करने की रणनीति पर काम कर रही है, हालांकि उसके लिए यह आसान नहीं है। 

बीजेपी डोर-टू-डोर अभियान चलाने का निर्णय लिया

मोदी@9 कार्यक्रम को स्थानीय लोगों तक पहुंचाने के लिए बीजेपी डोर-टू-डोर अभियान चलाने का निर्णय लिया है। बड़ी संख्या में उत्तरभारतीय मतदाताओं से संपर्क के लिए कृपाशंकर सिंह जैसे नेताओं को जिम्मेदारी दी गई है।

क्या साथ आएगी एमवीए!

चर्चा है कि बीएमसी चुनाव में यूबीटी-एनसीपी में समझौता हो सकता है। एनसीपी के नेता अजीत पवार ने भी कहा कि बीजेपी ने कई साल से बीएमसी जीतने की इच्छा पाल रखी है, परंतु शिवसेना में बगावत के बाद मुंबई में उद्धव ठाकरे के प्रति हमदर्दी बढ़ी है। पार्टी के ज्यादातर पूर्व नगरसेवक अब भी उद्धव ठाकरे के साथ खड़े हैं। अजीत पवार का कहना है कि एनसीपी उद्धव ठाकरे के साथ मिलकर बीएमसी चुनाव लड़ना चाहती हैं। अजीत पवार को विश्वास है कि एमवीए मिलकर बीजेपी को आसानी से हरा सकती है। एनसीपी मुंबई शहर में अकेले दम पर मजबूत नहीं है।

कांग्रेस अभी तक अपने पत्ते नहीं खोल रही

उधर, कांग्रेस अभी तक अपने पत्ते नहीं खोल रही है। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि कांग्रेस बीएमसी का चुनाव यूबीटी-एनसीपी के साथ मिल कर नहीं लड़ना चाहती। कर्नाटक चुनाव जीतने के बाद कांग्रेस का हौसला बढ़ गया है। बहुभाषी  मतदाता वाले मुंबई शहर में कांग्रेस का अपना जनाधार है। पार्टी बीएमसी में विपक्षी दल की भूमिका भी निभाती रही है। कांग्रेसी खेमे में चर्चा है कि चुनाव बाद जरूरत पड़ी तो यूबीटी के साथ गठबंधन किया जा सकता है। 

मनसे के साथ भी गठबंधन करने की फ़िराक में बीजेपी

उधर, बीएमसी चुनाव में मनसे के साथ भी गठबंधन करने की फ़िराक में बीजेपी है। इसके अलावा आप, सपा और रिपब्लिकन पार्टियों का मोर्चा तैयार करने की कवायद भी शुरू है। उल्लेखनीय है कि कई राज्यों से ज्यादा बजट वाली बीएमसी पर कब्ज़ा बीजेपी सहित सभी दलों के लिए आगामी लोकसभा विधानसभा चुनाव की दिशा भी तय करेगा।