Nagpur High Court
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नागपुर. धंतोली स्थित कोलंबिया अस्पताल में फार्मेसी के नाम पर डेढ़ करोड़ की धोखाधड़ी होने के बाद इसमें आरोपित विकास वोरा ने अंतरिम जमानत के लिए हाई कोर्ट में याचिका दायर की. इसके बाद फिर एक बार डॉ. गंटावार सुर्खियों में आ गया. उल्लेखनीय है कि मनपा में स्वास्थ्य अधिकारी के रूप में काम करते समय कई अनियमितताओं को लेकर उस पर कई आरोप लगाए गए थे. अब उसके  कोलंबिया अस्पताल में फार्मेसी के लिए डेढ़ करोड़ लिए जाने का मामला उजागर हुआ. दोनों पक्षों कि दलीलों के बाद न्यायाधीश अनिल पानसरे ने पूरे मामले की सघन जांच करने के आदेश जांच अधिकारी को दिए. साथ ही जांच की वर्तमान स्थिति के साथ रिपोर्ट पेश करने के भी आदेश दिए. 

गंटावार और लूटे के पास अटकी राशी

याचिकाकर्ता वोरा की ओर से पैरवी कर रहे वकील ने कहा कि कोलंबिया अस्पताल में फार्मेसी चलाने के लिए शिकायतकर्ता के पुत्र ने डॉ. गंटावार और लूटे को पैसा दिया था लेकिन इन दोनों द्वारा संचालित अस्पताल बंद हो गया. इससे गंटावार और लूटे के पास राशि अटक गई. शिकायतकर्ता के पुत्र को कुछ राशि अदा की गई, जबकि निकट भविष्य में कुछ राशि दिए जाने का आश्वासन दिया गया. विशेषत: लूटे ने याचिकाकर्ता को 2 चेक अदा किए थे. 33,50,000 रुपए और 80,00,000 रुपए के लिए क्रमश: 25 अक्टूबर 2021 और 25 नवंबर 2022 को चेक दिया गया था. याचिकाकर्ता ने 33.50 लाख का चेक बैंक में जमा किया था किंतु वह बाउंस हो गया. 

 दस्तावेज आंखों में धूल झोंकने वाले

अभियोजन पक्ष के सहयोग के लिए पैरवी कर रहे अधि. डांगरे ने कहा कि कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत दस्तावेज आंख में धूल झोंकने वाले हैं. क्या याचिकाकर्ता निश्चित ही राशि वसूल करना चाहता है? यदि ऐसा है तो उसने 80 लाख का चेक भी बैंक में जमा करना था. साथ ही निधि वसूल करने का प्रयास करना चाहिए था. याचिकाकर्ता की धोखाधड़ी की मंशा का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि उसने अकेले ही लूटे के साथ एग्रीमेंट किया, जबकि एग्रीमेंट में शिकायतकर्ता के पुत्र को शामिल नहीं किया.

याचिकाकर्ता के अनुसार ही शिकायतकर्ता का पुत्र और याचिकाकर्ता फार्मेसी के बिजनेस में पार्टनर हैं. कोलंबिया फार्मेसी की ओर से डेढ़ करोड़ रुपए अस्पताल में जमा होने थे. यहां तक कि कोलंबिया फार्मेसी के माध्यम से एग्रीमेंट होना चाहिए था. अधि. डांगरे ने कहा कि शिकायतकर्ता के पुत्र का पूरा पैसा फार्मेसी में निवेश किया गया है, जबकि लूटे या याचिकाकर्ता वोरा का पैसा नहीं लगाया गया. वोरा, लूटे और डॉ. गंटावार ने मिलकर षड्यंत्र रचा है.