नागपुर. दिसंबर माह के अंत से बच्चों में मकर संक्रांति का क्रेज शुरू हो जाता है. पतंग के शौकीन प्रतिद्वंद्वियों की पतंग काटने के लिए मजबूत से मजबूत मांजा के उपयोग को प्राथमिकता देते हैं. चाइनीज मांजा कहा जाने वाला नायलॉन मांजा का उपयोग अधिक बढ़ गया है. ऐसे में यह मनुष्यों समेत जानवरों के लिए भी यह खतरा साबित हो रहा है. नायलॉन मांजा पक्षियों के लिए सर्वाधिक घातक साबित हो रहा है. वर्ष 2022 एवं 2023 के शुरुआती 3 महीनों में सिटी में नायलॉन मांजा में फंसे पक्षियों के कुल 352 मामले दर्ज किए गए. इनमें से 33 पक्षी इस मांजा की बलि चढ़ गए. हालांकि बीते 2 वर्षों के पहले 3 माह के रिकॉर्ड किए गए आंकड़ों के अलावा कई अन्य मामले भी शामिल हैं. ऐसे में नायलॉन मांजा की बलि चढ़े पक्षियों की संख्या दोगुनी से अधिक होने की संभावनाएं है.
पूरे देश में हर्षोल्लास से मनाए जाने वाले त्योहार मकर संक्रांति की शुरुआत हो गई है. हालांकि मकर संक्रांति हर वर्ष 14 या 15 जनवरी को सूर्य के मकर राशि में जाने के साथ मनाई जाती है लेकिन बच्चों और युवाओं में पतंग उड़ाने का क्रेज दिसंबर के अंत से ही शुरू हो जाता है. कई युवा प्रतिबंधित नायलॉन मांजा का उपयोग करते हैं. नायलॉन मांजा के कारण लोग अपनी जान तक गंवा बैठे हैं. पक्षियों के लिए यह मांजा अधिक खतरनाक साबित होता है. दिन-ब-दिन पक्षियों की संख्या घटती जा रही है.
दशकों पहले तक पक्षियों को घरों के छज्जों, आंगन एवं छत पर बैठे देखना आम था. अब तो ऐसा नजारा देख पाना दुर्लभ हो गया है. इसका एक मुख्य कारण है नायलॉन मांजा. पंतग कट जाने पर कई बार नायलॉन मांजा पेड़ों में फंस जाता है. मजबूत और टिकाऊ होने के कारण यह दशकों तक नष्ट नहीं होता. ऐसे में पेड़ों पर बैठने आए पक्षियों के गले, पंख, पंजों आदि में यह मांजा उलझ जाता है. खुद को छुड़ाने के प्रयास में पक्षी फड़फड़ाते हैं लेकिन इस कारण लहूलुहान हो जाते हैं. ऐसे में यह पक्षियों के लिए जानलेवा साबित हो जाता है. समय रहते उचित उपचार नहीं मिलने पर पक्षियों की मौत हो जाती है.
319 पक्षियों को मिला जीवनदान
प्रतिबंधित नायलॉन मांजा आसानी से नहीं टूटता है. इसकी ड्यूरेबिलिटी अधिक होने के कारण यह कई वर्षों तक पेड़ों में फंसा रहता है. ऐसे में पूरे वर्षभर नायलॉन मांजा में पक्षियों के फंसने के मामले सामने आते रहते हैं. इसके मद्देनजर वन विभाग के अधीन ट्रांजिट ट्रीटमेंट सेंटर के अधिकारी एवं कर्मचारी तैनात पर रहते हैं. वर्ष 2022 और 2023 के जनवरी, फरवरी और मार्च माह को मिलाकर कुल 440 पक्षी सेमिनरी हिल्स के टीटीसी में लाए गए थे. इनमें से कुल 352 नायलॉन मांजा से पीड़ित थे. डॉक्टरों द्वारा तत्काल उपचार किए जाने से 319 पक्षियों को सुरक्षित बचाकर प्राकृतिक आवास में छोड़ दिया गया. नायलॉन में फंसकर गंभीर जख्मी हुए पक्षियों की सूचना मिलने में देरी के कारण 33 को बचाया नहीं जा सका. टीटीसी द्वारा नागरिकों से अपील गई है कि नायलॉन मांजा मिलने पर उसे डिस्ट्रॉय कर दें.
2022 में दर्ज जख्मी पक्षियों के आंकड़े
महीना | कुल जख्मी | नायलॉन मांजा के मामले |
जनवरी | 78 | 65 |
फरवरी | 63 | 48 |
मार्च | 89 | 70 |
कुल | 230 | 183 |
2023 में दर्ज जख्मी पक्षियों के आंकड़े
महीना | कुल जख्मी | नायलॉन मांजा के मामले |
जनवरी | 73 | 65 |
फरवरी | 56 | 32 |
मार्च | 72 | 81 |
कुल | 210 | 169 |
जनवरी से मार्च 2022-23 के आंकड़े
वर्ष | पक्षी रिहा | प्रश | मौतें | प्रश |
2022 | 165 | 90.16 | 18 | 10.1 |
2023 | 169 | 80.47 | 15 | 8.8 |
तुरंत करें TTC से संपर्क
नायलॉन मांजा में फंसने के कारण पक्षी खुद को छुड़ाने के लिए फड़फड़ाते हैं. ऐसे में मांजा उनके शरीर में कस जाता है. पक्षियों के बोन्स हॉलो होते हैं. इस कारण मांजा फंसने पर फड़फड़ाने के दौरान कई बार उनकी बोन्स कट जाती है. कई बार पक्षी स्थायी रूप से विकलांग हो जाते हैं और दोबारा उड़ान नहीं भर पाते. ऐसे में पक्षियों को प्राकृतिक आवास में छोड़ना मानो उनको मौत के मुंह में धकेलने के बराबर हो जाता है. नागरिकों से अपील है कि नायलॉन मांजा का उपयोग न करते हुए हल्के मांजा का उपयोग करें. यदि कोई पक्षी मांजा में फंसा या जख्मी दिखे तो तुरंत ट्रांजिट ट्रीटमेंट सेंटर से 07122515306 पर संपर्क करें. किसी भी जख्मी पक्षी को हाथों में उठाने से पहले उसकी आंखों पर कपड़ा डाल दें.
– कुंदन हाटे, राज्य वन्य जीव सदस्य