Mayo and Medical, GMCH

    Loading

    • 280 वेंटिलेटर मेडिकल में 
    • 216 शुरू है
    • 268 मेयो में उपलब्ध 
    • 133 पीएम केयर फंड से मिले 

    नागपुर. कोरोना की दूसरी लहर के दौरान पीएम केयर फंड से राज्य के शासकीय वैद्यकीय महाविद्यालय व अस्पतालों को वेंटिलेटर उपलब्ध कराए गए. इनमें सिटी में मेडिकल को 50 तथा मेयो को 83 वेंटिलेटर प्राप्त हुए. इन वेंटिलेटर के बाद मेडिकल में 280 तथा मेयो में कुल 268  वेंटिलेटर हो गए. लेकिन इतने वेंटिलेटर के बाद भी 90 वेंटिलेटर अब भी बंद है. मेडिकल को पीएम केयर फंड से मिले सर्वाधिक वेंटिलेटर बंद पड़े हैं. 

    मेडिकल के जिन वार्डों में पीएम केयर फंड से मिले वेंटिलेटर लगाए गए हैं उनके बार-बार खराब होने और समय पर दुरुस्त नहीं होने की शिकायतें बढ़ी हैं. माना जा रहा है कि इन वेंटिलेटर की क्वालिटी अच्छी नहीं है. यही वजह है कि उपयोग से पहले ही कई बंद पड़ गये. वर्तमान में मेडिकल में 280 वेंटिलेटर हैं. इनमें से 216 ही शुरू हैं, जबकि 64 बंद पड़े हैं. मेडिकल में कुल मंजूर बेड 1,401 हैं लेकिन वर्तमान में भर्ती मरीजों की संख्जा 1,700 और सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल में 300 सहित 2,000 से अधिक मरीज भर्ती हैं. 

    उपकरण भी पड़े हैं बंद

    कुछ वार्डों में स्थिति यह है कि एक बेड पर 2-2 मरीजों को रखा जाता है. गायनिक के वार्डों में अक्सर यह स्थिति देखने को मिलती है. सरकार ने वर्षों पहले मंजूर बेड के हिसाब से ही डॉक्टर, नर्स और स्टाफ दिया है, जबकि अब स्थिति काफी बदल गई है. पिछले कुछ वर्षों में नये विभाग तैयार हुए हैं. निवृत्त होने वाले कर्मचारी दिनोदिन बढ़ते जा रहे हैं. जबकि नई भर्ती पर अघोषित रोक लगी हुई है. वहीं दूसरी ओर अनेक उपकरण भी बंद पड़े हैं. कुछ उपकरण तो काल बाह्य हो गये हैं लेकिन प्रशासन द्वारा दुरुस्ती सहित नई खरीदी को अनुमति नहीं दी जा रही है. दूसरी ओर राज्य सरकार सहित जिला प्रशासन द्वारा समय-समय पर निधि उपलब्ध कराने की घोषणा की जाती है लेकिन असल समस्या का निराकरण नहीं हो रहा है. 

    मेयो में 822 बेड, 238 वेंटिलेटर

    इंदिरा गांधी शासकीय वैद्यकीय महाविद्यालय व अस्पताल में 822 बेड हैं. इसकी तुलना में 268 वेंटिलेटर हैं. मेयो में 32 फीसदी बेड के लिए वेंटिलेटर उपलब्ध हैं. इस तुलना में मेडिकल में 1,700 बेड के लिए महज 15 फीसदी ही वेंटिलेटर उपलब्ध हैं. मेडिकल में हर दिन प्राइवेट अस्पतालों से गंभीर अवस्था में 8-10 मरीजों को रेफर किया जाता है. इन मरीजों को तुरंत वेंटिलेटर की आवश्यकता होती हैं लेकिन समय पर उपलब्ध नहीं होने से वेंटिलेटर की प्रतीक्षा करना पड़ता है. इस हालत में कई मरीजों की मौत भी हो जाती है.