नागपुर. शासकीय वैद्यकीय महाविद्यालय व अस्पताल अब भी निर्धन व जरूरतमंदों के लिए सहारा बना हुआ है. केवल महाराष्ट्र (Maharashtra) ही नहीं बल्कि अन्य राज्यों से भी मरीज इलाज के लिए आते हैं लेकिन पिछले कुछ दिनों से अन्य अस्पतालों से गंभीर अवस्था में रेफर किये जाने वाले मरीजों की संख्या बढ़ी है. करीब 40 फीसदी मरीज निजी सहित अन्य अस्पतालों से रेफर किएजा रहे हैं. गंभीर मरीजों का इलाज डॉक्टरों के लिए चुनौती बनती जा रही है. एक ओर जहां दवाइयों की कमी है वहीं दूसरी ओर मरीज गंभीर होने से इलाज में तत्परता भी आवश्यक हो जाती है. इस बीच पिछले 4 दिनों के भीतर मेडिकल(Medical), मेयो (Mayo) और एम्स (AIIMS) में कुल 94 मरीजों की मृत्यु दर्ज की गई.
नांदेड़ के शासकीय वैद्यकीय महाविद्यालय व अस्पताल में मौत की घटना के बाद सभी कॉलेज अलर्ट मोड पर है. मेडिकल और मेयो में अधिष्ठाता ने विभाग प्रमुखों को निर्देश दिए हैं कि गंभीर मरीजों के इलाज में किसी भी तरह की कोताही न बरती जाए. दवाइयों की आपूर्ति के लिए लोकल पर्चेस किया जा रहा है. आईसीयू व ओटी में लगने वाली दवाइयों की फटाफट आपूर्ति की जा रही है. मेयो और मेडिकल में पिछले 2-3 दिनों में हुई मौत में वृद्धों के साथ ही रेफर किये हुए मरीज का समावेश अधिक रहा है.
दरअसल विदर्भ में सरकारी मेडिकल कॉलेजों की संख्या तो बढ़ती जा रही है लेकिन जब भी कोई मरीज गंभीर होता है तो उसे मेडिकल या मेयो में रेफर कर दिया जाता है. यही वजह है कि मेडिकल के इमरजेंसी वार्डों में कई बार मरीजों को बेड तक नहीं मिल पाते. सिटी में मध्य प्रदेश से आने वाले मरीजों का फ्लो अधिक है. डॉक्टरों द्वारा सीधे निजी अस्पतालों में भेजा जाता है.
निजी अस्पतालों में कुछ दिनों के इलाज के बाद जब मरीज की हालत में सुधार नहीं होता और रकम भी अधिक खर्च हो जाती है तो फिर मेडिकल का रास्ता दिखा दिया जाता है. बताया जाता है कि रेफर किए जाने वाले मरीज अक्सर शाम के वक्त भेजे जा रहे हैं. अधिकांश मरीजों को वेंटिलेटर की आवश्यकता होती है. इस हालत में आईसीयू में भर्ती करने के अलावा अन्य कोई उपाय नहीं रहता. आईसीयू में अब भी करीब 40 फीसदी मरीज अन्य अस्पतालों से रेफर वाले हैं.
वैद्यकीय शिक्षा मंत्री ने मांगी रिपोर्ट
नांदेड़ के शासकीय वैद्यकीय महाविद्यालय में एक ही दिन में 24 मृत्यु प्रकरण के सामने आने के बाद मेडिकल और मेयो में भी 3 दिनों के भीतर 59 मरीजों की मौत हो गई. इस मामले में वैद्यकीय शिक्षा मंत्री हसन मुश्रीफ ने जिलाधिकारी से रिपोर्ट मांगी है. जिलाधिकारी ने भी मेयो और मेडिकल के अधिष्ठाताओं के साथ बैठक कर वस्तु स्थिति की समीक्षा की. मेडिकल के अधिष्ठाता ने बताया कि हर 12-15 मौतें होती है. इनमें से कुछ मौतें रेफर किये हुए मरीजों की होती है.
मेडिकल-मेयो में मौत | एम्स में मौत |
1 अक्टूबर- 18 | 3 |
2 अक्टूबर- 25 | 2 |
3 अक्टूबर- 16 | 6 |
4 अक्टूबर- 21 | 3 |