Anirudh Kumar Anand

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  • नागपुर, मुंबई, पुणे में 100 से ज्यादा को ठगा

नागपुर. सिटी से जुड़े ऐसे महाठगों की लिस्ट लंबी होती जा रही है जो राज्य और केंद्र सरकार के सत्ताधारी पक्ष के नेताओं से करीबी संबंध और स्वयं को किसी विभाग का बड़ा अधिकारी बताकर करोड़ों ठगकर छू मंतर हो गये. हालांकि कानून के लंबे हाथ इन्हें धर दबोच लेते हैं लेकिन तब तक वे कई नेताओं की गर्दन भी फंसा चुके होते हैं. ऐसे लोगों में अभय पुंडलिक और अजीत पारसे के बाद नया नाम जुड़ गया है ब्रह्मघाट, वाराणसी निवासी अनिरुद्ध आनंद कुमार का. नागपुर में 5 लोगों से करीब 48 लाख रुपये की ठगी का मामला दर्ज होने के बाद यूपी पुलिस भी सक्रिय हो गई. अनिरुद्ध को दबोचने लिए जाल बिछाया गया और उसे लखनऊ से गिरफ्तार कर लिया गया. 

G20 का जलवा, विजिटिंग कार्ड पर अशोक स्तंभ

अनिरुद्ध ने तो पुंडलिक को भी पीछे छोड़ दिया. उसकी ठगी के प्रोफाइल में जी20 बैठक स्थलों पर विभिन्न देशों के झंडों के साथ ली गई तस्वीरें और सेल्फी तक शामिल है. यहां तक कि उसने अपने विजिटिंग कार्ड पर अशोक स्तंभ-सत्यमेव जयते का लोगो लगाया था. उसने अपना नाम अनिरुद्ध हाउशिंग दर्ज करवाया है. इन्हीं के माध्यम से उसकी बातों और दावों पर किसी को शक नहीं होता था. अनिरुद्ध के शिकार हुए लोगों ने कहा कि जब आदमी ही फर्जी था तो उसके विजिटिंग कार्ड का क्या भरोसा. साफ है कि विजिटिंग कार्ड भी फर्जी है. 

बताया पर्यटन विभाग का महानिदेशक, लखनऊ में अरेस्ट

अपने ठगजाल में अनिरुद्ध आनंद कुमार ने स्वयं को केन्द्रीय पर्यटन मंत्रालय का महानिदेशक बताया. इसी फर्जी पहचान के साथ वह एक साल पहले नागपुर पहुंचा. केन्द्र और यूपी के बड़े नेताओं, सेलिब्रिटी समेत नामी लोगों के साथ अपनी तस्वीरें दिखाकर सभी को झांसे लिया. अनिरुद्ध ने अपने विजिटिंग कार्ड और तस्वीरों की मदद से सरकारी पर्यटन विभाग के ठेकों का झांसा देकर निवेशक ढूंढने शुरू किया. कुछ लोगों को उसने रेलवे में लीनेन सप्लाई और पर्यटन क्षेत्र में निवेश का झांसा दिया. रकम लेने के बाद उसने कहा कि अब विभाग द्वारा एग्रीमेंट किया जाएगा. समय बीतने पर जब निवेशकों ने एग्रीमेंट के बारे में पूछना शुरू किया तो तारीख पर तारीख का दौर शुरू हुआ. वर्ष 2022 में सितबंर, नवंबर, दिसंबर तो 2023 में जनवरी और मई तक तारीख दी. इसके बाद लोगों ने अपनी रकम वापस मांगी. एक बार फिर वह तारीख देता रहा और फिर लाखों रुपये लेकर फरार हो गया. 

अन्य शहरों में भी लोगों को बनाया शिकार

भले ही नागपुर में उसके 5 ही मामले सामने आये हैं लेकिन शिकार और रकम इससे अधिक भी हो सकते हैं. सूत्रों के अनुसार, अनिरुद्ध ने नागपुर के अलावा मुंबई और पुणे समेत अन्य कई शहरों में 100 से अधिक लोगों को इसी पहचान के साथ ठगी का शिकार बनाया है. निश्चित तौर पर यह ठगी लाखों से बढ़कर करोड़ों की ओर बढ़ रही है.

जब पुंडलिक बना था सेंट्रल विजिलेंस कमिश्नर

  • वर्ष 2001 में सिटी में एक ऐसा ही सनसनीखेज मामला सामने आया जिसने शहर और राज्य की राजनीति को हिलाकर रख दिया था. 
  • इस दौरान पूर्व प्रधानमंत्री अटलविहारी वाजपेयी की केन्द्र में सरकार थी, जबकि नागपुर महानगरपालिका पर भी भारतीय जनता पार्टी का कब्जा था. इसी बीच अभय पुंडलिक नामक एक व्यक्ति ने स्वयं को केन्द्रीय विजिलेंस आयुक्त बताकर बड़े सरकारी अधिकारियों और लोगों को बीजेपी नेताओं से अपनी करीबी का डर दिखाया. 
  • अभय की हिम्मत इतनी बढ़ चुकी थी कि उसने पुलिस आयुक्त तक तो ब्लैकमेल करने का प्रयास तक किया. आपराधिक मामले में आरोपी रहे पार्षदों के खिलाफ केस वापस लेने का दबाव बनाया था. 
  • उसे 14 जून 2001 को गिरफ्तार किया गया था. खास बात थी कि ये प्लानिंग उसने 12 जून 2001 को मुंबई के एमएलए होस्टल में बैठकर की थी. 
  • इसके बाद शहर समेत राज्य की राजनीति में भूचाल आ गया क्योंकि मामले में कुछ बड़े नेताओं के भी नाम उछले थे. विपक्षी दल होने से पुलिसिया एक्शन की पूरी संभावना था लेकिन सत्ताधारी पक्ष ने ऐसा किया नहीं. 

पारसे की दलदल में कई फंसे

पुंडलिक और अनिरुद्ध के समान ही स्वयं को सोशल मीडिया विश्लेषक बताकर सेक्सटार्शन में माहिर अजीत पारसे की दलदल में कई बड़े नाम फंसे. सोशल मीडिया विश्लेषक बनकर पारसे ने पहले कई नामी लोगों से जान-पहचान की, फिर अपना असली खेल शुरू किया. उसने रसूखदारों से अपने संबंध दिखाकर कई लोगों को अपने जाल में फांसा. कुछ को सेक्सटार्शन के नाम पर ब्लैकमेल भी किया लेकिन एक डॉक्टर से 4.36 करोड़ ठगने के प्रयास में फंस गया. पुलिस को पता चला कि वह 50 करोड़ से अधिक की ठगी कर चुका है. नाटकबाजी में माहिर पारसे ने ऐसे कानूनी दांवपेंच खेले कि वह 7 महीनों तक गिरफ्तारी से बचता रहा. हालांकि अब वह जेल में है.