Sunil Kedar
सुनील केदार

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मुंबई/नागपुर: महाराष्ट्र (Maharashtra) से मिली बड़ी खबर के अनुसार कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री सुनील केदार (Sunil Kedar) को आज एक बड़ा झटका लगा है। दरअसल नागपुर की विशेष अदालत ने नागपुर (Nagpur) जिला केंद्रीय सहकारी बैंक घोटाले (NDCC) बाबत कहा जा रहा है की कोर्ट ने उन्हें 6 साल की सजा सुनाई है।  जी हाँ, कांग्रेस नेता और पूर्व मंत्री सुनील केदार को नागपुर जिला बैंक घोटाला मामले में दोषी पाया गया है।  

केदार के अलावा छह और लोग दोषी 

वहीँ अब 22 साल पुराने इस केस का फैसला आ गया है और सुनील केदार के अलावा छह और लोगों को इस मामले में दोषी ठहराया गया है।  अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ज्योति पेखले-पुरकर ने आज यानी 22 दिसंबर को अपना फैसला सुनाया। गौरतलब है की साल 2002 में जब नागपुर डिस्ट्रिक्ट बैंक में यह घोटाला हुआ था, तब सुनील केदार बैंक के चेयरमैन थे।  इस बैंक में कुल 150 करोड़ रुपये से ज्यादा का घोटाला सामने आया था। 

कौन कौन दोषी 

वहीँ नागपुर जिला बैंक घोटाला सामने आने के बाद, 11 आरोपियों में से 9 पर धारा 406 (विश्वासघात), 409 (सरकारी कर्मचारियों द्वारा विश्वासघात आदि), 468 (जालसाजी), 471 (जालसाजी), 120-बी (साजिश) और धारा के तहत मामला दर्ज किया गया था। इसके साथ ही धारा 34 (समान प्रयोजन) आरोप तय किया गया। इस मामले में कांग्रेस नेता-सांसद सुनील केदार, बैंक के तत्कालीन महाप्रबंधक अशोक नामदेव चौधरी, बांड ब्रोकर केतन कांतिलाल सेठ, सुबोध चंद्रदयाल भंडारी, नंदकिशोर शंकरलाल त्रिवेदी (सभी मुंबई), अमित सीतापति वर्मा (अहमदाबाद) के शामिल होने का खुलासा हुआ था।  । इस मामले में 9 आरोपियों में से 3 को निर्दोष बताया गया था।  

क्या है पूरा मामला?

दरअसल 2002 में सुनील केदार नागपुर डिस्ट्रिक्ट बैंक के चेयरमैन थे। उस समय बैंक का धन एक निजी कंपनी की मदद से कलकत्ता में कंपनी के शेयरों में निवेश किया गया था। लेकिन सहकारिता विभाग के एक्ट के मुताबिक बैंक से छूट लिए बिना बैंक का पैसा कहीं और निवेश बिल्कुल भी नहीं किया जा सकता। लेकिन इसके बाद भी इस नियम का उल्लंघन कर राशि का निवेश किया गया। इसके बाद निजी कंपनी दिवालिया हो गई। इससे अनेकों किसानों का बैंक में रखा पैसा भी डूब गया।

इस घोटाले के बाद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री सुनील केदार केदार पर अपने स्वार्थ के लिए घोटाला करने का आरोप लगा। केस दर्ज होने के बाद मामला जिला सत्र न्यायालय में चलता है। लेकिन जब मामला फैसले के अंतिम चरण में था, केदार ने उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया और पूरी प्रक्रिया पर रोक लगा दी गई। इसके खिलाफ राज्य सरकार ने बंबई उच्च न्यायालय की नागपुर पीठ का दरवाजा खटखटाया था। राज्य सरकार ने हाई कोर्ट से इस बाबत रोक हटाने का अनुरोध भी किया था। कोर्ट ने राज्य सरकार की मांग को स्वीकार कर लिया और रोक हटा दी। इसके बाद अब आज आखिरकार इस मामले में कोर्ट का फैसला आ ही गया है।