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    नागपुर. शिर्डी और शेगांव जैसे धार्मिक स्थलों की तर्ज पर उपराजधानी स्थित दीक्षाभूमि का विकास करने के लिए प्लान तैयार करने और उसके लिए पर्याप्त निधि का प्रावधान कर समयबद्ध तरीके से विकास करने की मांग को लेकर अधि. शैलेश नारनवरे ने हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर की है. इस पर सुनवाई के दौरान प्रन्यास की ओर से पैरवी कर रहे वकील ने अदालत को बताया कि 25 नवंबर 2022 को ही राज्य सरकार को प्रस्ताव भेजा गया है. अब सरकार से जवाब का इंतजार है. उल्लेखनीय है कि दीक्षाभूमि के विकास के लिए 100 करोड़ रुपए पहले ही मंजूर कर दिए गए थे. यहां तक कि प्रन्यास को 40 करोड़ का आवंटन भी किया गया था जिससे विकास कार्यों की शुरुआत की गई. याचिकाकर्ता की ओर से स्वयं अधि. नारनवरे और केंद्र की ओर से एनएस देशपांडे ने पैरवी की.

    विश्व स्तर का धार्मिक स्थल है 

    याचिकाकर्ता ने याचिका में बताया कि शेगांव, शिर्डी, कुंभ मेले के लिए नाशिक शहर के त्र्यंबकेश्वर और पंढरपुर सहित नागपुर जिले के कोराडी स्थित महालक्ष्मी देवस्थान के लिए राज्य सरकार ने विस्तृत प्लान तैयार किया. उपराजधानी स्थित दीक्षाभूमि भी विश्व स्तर का धार्मिक स्थल है जहां हर वर्ष लाखों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं. दीक्षाभूमि का सामाजिक, धार्मिक और पर्यटन की दृष्टि से महत्व है लेकिन अब तक यहां आने वाले लोगों को स्थायी सुविधाएं नहीं मिल पाती हैं जिससे श्रद्धालुओं की कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है. सरकारी पक्ष का मानना था कि यदि दीक्षाभूमि ट्रस्ट भी यदि पहल करता है तो मामले में गति आ सकती है.

    वित्त और नियोजन विभाग से भी मांगा जवाब

    सुनवाई के बाद अदालत ने 20 मार्च 2019 को दिए गए आदेशों के अनुसार विकास को लेकर वित्त विभाग, नगर विकास विभाग, वित्त विभाग, सामाजिक न्याय विभाग और एनएमआरडीए को भी 8 फरवरी तक जवाब दायर करने के आदेश दिए. याचिकाकर्ता ने याचिका में बताया कि हर वर्ष विशेष रूप से धम्मचक्र प्रवर्तन दिवस के अवसर पर यहां लाखों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं. दिन-ब-दिन संख्या बढ़ती जा रही है. लेकिन लोगों के लिए स्वच्छता गृह, भोजनालय, पार्किंग आदि की पर्याप्त सुविधा उपलब्ध नहीं है जिससे हर वर्ष स्थानीय इकाइयों को भीड़ को नियंत्रित करने में भी काफी मशक्कत करनी पड़ती है. तमाम समस्याओं को ध्यान में रखते हुए दीक्षाभूमि के लिए विस्तार से प्लान तैयार करने और बजट में विकास के लिए निधि का प्रावधान करने के आदेश प्रतिवादियों को देने का अनुरोध किया गया.