Subhash Chaudhary became Vice Chancellor of Nagpur University

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नागपुर. आरटीएम नागपुर विवि के सीनेट सदस्य एड.मनमोहन बाजपेयी ने राज्यपाल को पत्र लिखकर उपकुलपति प्रा. सुभाष चौधरी द्वारा विविध प्रकरणों किये गये नियमों का उल्लंघन का हवाला देते हुए उन्हें पद से हटाने की मांग की है. पत्र में बताया कि अब तक कई मामलों में नियमों का उल्लंघन किये जाने की बात सामने आई है. आंतरविद्या शाखा के अधिष्ठाता पद नियुक्ति मामले में एक्ट के परिनियम, आदेश व विनियम का पालन करना उपकुलपति की ड्यूटी थी. इसके बाद भी पालन नहीं किया गया.

इस हालत में उपकुलपति के इस्तीफे के निर्देश देने की मांग राज्यपाल से की. सीनेट चुनाव के दौरान भी नियमों का उल्लंघन किया गया था. बाद में मामला हाई कोर्ट पहुंचा और वहां से न्याय मिला. एमकेसीएल के मामले में भी निविदा नहीं निकालते हुए निर्माण का ठेका दिया गया. परीक्षा के परिणाम देरी से घोषित हुये.

विवि के हिंदी विभाग प्रमुख के खिलाफ शिकायत व स्थानीय जांच प्रकरण में शिकायत पर उच्च व तकनीकी शिक्षा द्वारा १४/०९/२०२२ को समिति गठित की थी. समिति सदस्य, उप सचिव अजीत बाविस्कर व सह संचालक संजय ठाकरे की २६ सितंबर २०२२ की रिपोर्ट में उपकुलपति को दोषी पाया गया था. विवि के राजनीति शास्त्र विभाग के प्रमुख मोहन काशीकर पर नियम के खिलाफ कार्यवाही की गई. जब काशीकर हाई कोर्ट में गये तो उन्हें कोर्ट ने न्याय दिया. उस वक्त भी साबित हुआ कि उपकुलपति ने मनमर्जी से निर्णय लिया था. 

धवनकर मामले में भी भूमिका संदेहास्पद 

विवि में सिक्योरिटी प्रकरण में सीबीआई व रिश्वत प्रतिबंधक कार्यालय द्वारा की जांच में भी भारी आर्थिक गैरव्यवहार होने की बात सामने आई. इस मामले की गहराई से जांच की आवश्यकता है. बाजपेयी ने कहा कि जब विवि की लापरवाही को उजागर किया गया तो उन पर खुद कार्रवाई की गई, लेकिन न्यायालय की शरण लेने पर निर्णय वापस लिया गया.

जनसंवाद विभाग के प्राध्यापक धर्मेश धवनकर प्रकरण में भी उपकुलपति की भूमिका संदेहास्पद है. इसकी सीआईडी या फिर स्थानीय पुलिस द्वारा जांच की जानी चाहिए. इस तरह से एक नहीं बल्कि अनेक मामलों में उपकुलपति की लापरवाही उजागर हुई है. कुछ मामलों में जानबूझकर निर्णय लिये गये हैं. उपकुलपति को कारण बताओ नोटिस जारी किया जाना चाहिए. साथ ही जांच होने तक उन्हें पद से हटाये जाने की मांग बाजपेयी ने की है.