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    नागपुर. स्थायी समिति के फैसले के अनुसार लीज रेंट निर्धारित करने की बजाय इसके अनाप-शनाप भेजे गए डिमांड तथा रेंट नहीं भरे जाने पर जगह खाली कराने के लिए भेजे गए नोटिस को चुनौती देते हुए लीजधारक दूकानदारों ने  हाई कोर्ट में याचिका दायर की. याचिका पर सुनवाई के बाद न्यायाधीश विनय जोशी ने दूकान खाली कराने के लिए 9 जून 2022 को इस्टेट विभाग के उपायुक्त द्वारा जारी किए गए आदेश पर रोक लगा दी. साथ ही अदालत ने धरमपेठ जोन के सहायक आयुक्त को भी नोटिस जारी कर जवाब दायर करने के आदेश दिए. याचिकाकर्ताओं के अनुसार मनपा ने उन्हें व्यापार के लिए जगह आवंटित की. 9 जून 2022 को महाराष्ट्र म्युनिसिपल कॉरपोरेशन एक्ट के अनुसार बकाया रेंट के साथ डिमांड जारी कर कारण बताओ नोटिस भी दिया गया.

    आयुक्त के समक्ष अपील लंबित

    सुनवाई के दौरान अदालत को बताया गया कि कारण बताओ नोटिस के खिलाफ एस्टेट विभाग के उपायुक्त को ज्ञापन दिया गया लेकिन इस पर संज्ञान लिए बिना ही महाराष्ट्र म्युनिसिपल कॉरपोरेशन एक्ट में प्रदत्त नियमों का हवाला देते हुए दूकानों को खाली कराने के आदेश दिए. याचिकाकर्ताओं ने कहा कि अचानक ही रेंट के शुल्क में भारी वृद्धि की गई है. अनाप-शनाप वृद्धि के खिलाफ मनपा आयुक्त के पास अपील दायर की गई. अपील अभी भी लंबित है. याचिकाकर्ताओं ने कहा कि आदेश जारी करने से पूर्व अधिकारियों ने प्राकृतिक न्याय के नियमों का पालन कर सुनवाई का मौका नहीं दिया. यहां तक कि पैरवी के अधिकार का भी पालन नहीं किया गया. 

    जिला न्यायालय से भी राहत नहीं

    सुनवाई के दौरान बताया गया कि अधिकारियों के इस आदेश के खिलाफ धारा 81एफ के तहत जिला न्यायालय में भी अपील दायर कर चुनौती दी गई थी. वहां सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं ने अपना पक्ष रखा लेकिन उसे स्वीकार नहीं किया गया. कारण बताओ नोटिस को ही सुनवाई का मौका बताते हुए संबंधित अदालत ने आदेश जारी कर दिया. अदालत को बताया गया कि सभी याचिकाकर्ताओं ने डिमांड के अनुसार 50 प्रतिशत की राशि पहले ही जमा कर दी है. सुनवाई के बाद अदालत ने उक्त आदेश जारी किया.