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    नागपुर. छत्तीसगढ़ और राजस्थान सरकार द्वारा अपने राज्य सरकारी कर्मचारियों को पुरानी पेंशन योजना लागू गई है. इसी तर्ज पर महाराष्ट्र में भी सरकारी कर्मचारियों को पुरानी पेंशन योजना लागू करने की मांग विदर्भ वैद्यकीय महाविद्यालय व स्वास्थ्य सेवा कर्मचारी संगठन (इंटक) के अध्यक्ष त्रिशरण सहारे ने की. उन्होंने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के नाम मेयो के डीन को पत्र सौंपा.

    उन्होंने कहा कि प्रशासकीय कार्यप्रणाली में सरकारी कर्मचारी महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है. उनके कार्यकाल में दी गई सेवा तथा भविष्य के निर्वाह के लिए कुछ समय पहले तक पेंशन अदा की जाती थी जिसे बंद कर दिया गया. उसके स्थान पर नई पेंशन योजना तो लागू की गई किंतु इसका लाभ मिलने के बदले नुकसान अधिक हो रहा है.

    अंशदान पर आधारित NPS योजना

    सहारे ने कहा कि केंद्र सरकार ने पुरानी पेंशन योजना बंद करने के लिए अध्यादेश जारी किया था जिसके अनुसार 1 जनवरी 2004 या उसके बाद सरकारी सेवा में शामिल होने वाले कर्मचारियों के लिए अंशदान पेंशन योजना लागू की गई. इसी आधार पर तत्कालीन राज्य सरकार ने 1 नवंबर 2005 को योजना लागू की. तत्कालीन राज्य सरकार के अनुसार 1 नवंबर 2005 के बाद से सरकारी कर्मचारियों को पुरानी पेंशन योजना का लाभ देना बंद कर दिया गया. इसके बदले एनपीएस (नेशनल पेंशन स्कीम) योजना लागू की. इस पेंशन योजना को लेकर गत कुछ वर्षों में कर्मचारियों में भारी असंतोष है. योजना पूरी तरह से कर्मचारियों के हितों के खिलाफ होने की शिकायतें की जा रही हैं.

    उच्च न्यायालय ने भी दिए हैं आदेश

    सहारे ने कहा कि केंद्र सरकार के आदेशों के अनुसार भले ही राज्य सरकार ने पुरानी पेंशन योजना बंद की है लेकिन उसका यह फैसला न्यायसंगत नहीं है. भाजपा की केंद्र सरकार ने उस समय लोकसभा और राज्यसभा में अध्यादेश लाए बिना ही यह निर्णय लिया था. हालांकि दोनों सदनों में अध्यादेश पर चर्चा कर मतदान लेकर इसे पारित किया जाना चाहिए था किंतु ऐसा नहीं किए जाने के कारण यह फैसला गैरकानूनी होने का आदेश हाई कोर्ट ने भी जारी किया था.