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    नागपुर. स्कूलों और कॉलेजों में भारतीय भोजन का महत्व बताने के लिए बीते दो महीनों में अन्न व औषधि विभाग ने ‘ईट राइट कैंपस’ अभियान चलाया. इस अभियान के तहत नागपुर जिले करीब 120 शैक्षणिक संस्थानों में भारतीय भोजन का महत्व बताया गया. साथ ही आंगनवाड़ी सेविकाओं को क्वालिटी फूड बनाने के साथ ही उसे परोसने का प्रशिक्षण दिया गया. जिससे भोजन के स्तर में सुधार हो सके.

    बता दें कि जिले में आंगनवाड़ी से लेकर स्कूल, कॉलेजों में पढ़ने वाले विद्यार्थियों को पोषक आहार दिए जाते हैं  लेकिन एक सर्वे में सामने आया है कि अधिकतर शिक्षण संस्थानों में मिलने वाले भोजन की स्वच्छता और गुणवत्ता निम्न स्तर की होती है. इसके साथ ही बच्चों में फास्ट फूड जैसे पिज्जा, वर्गर, चायनीज फूड को लेकर अलग ही क्रेज देखने को मिल रहा है. ये सभी फूड स्वास्थ्य के प्रति हानिकारक होते हैं.

    इससे बच्चों में मोटापे की समस्या सबसे ज्यादा देखी गई है. ‘ईट राइट कैंपस’ के माध्यम से बच्चों को स्वस्थ रखने के लिए भारतीय भोजन के बारे में बताया जाता है. हालांकि बीते दो सालों में कोरोना के कारण यह अभियान नहीं चल पाया लेकिन अब इसे पुन: शुरू किया गया है. जिससे इसका लाभ छात्रों को मिल सके.

    इसलिए जरूरी है नॉलेज

    स्कूल के साथ कॉलेज स्तर पर पढ़ने वाले विद्यार्थियों के लिए भोजन की नॉलेज होना बेहद जरूरी है. अन्न व औषधि विभाग के अधिकारियों के अनुसार सभी को यह पता होना चाहिए कि कौनसा भोजन उनके स्वास्थ्य के लिए हितकर होगा. प्राय: देखा जाता है कि आंगनवाड़ियों में बच्चों को खाना तो दिया जाता है लेकिन उसे पकाने से लेकर परोसने तक की विधि के बारे में भोजन बनाने वालों को ठीक से नॉलेज नहीं होती. इसलिए उस भोजन का पूरा फायदा नहीं मिल पाता. इस तरह के प्रशिक्षण से भोजन पकाने के सिस्टम में सुधार आता है. जो सेहत के लिए फायदेमंद है.