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    नागपुर. विभिन्न सरकारी कार्यालय और बैंकों में नौकरी दिलाने के नाम पर लोगों को ठगने वाले गिरोह के मुखिया राकेश खुराना को मंगलवार को ग्रामीण विभाग की ईओडब्ल्यू ने गिरफ्तार किया था. बुधवार को जांच अधिकारी इंस्पेक्टर राजेंद्र निकम ने उसे न्यायालय में पेश किया. अदालत ने 17 जनवरी तक पुलिस हिरासत मंजूर की है. अब पुलिस की कस्टडी में ही खुराना ठगी के राज उगलेगा.

    इस गिरोह के कारण लोगों को केवल आर्थिक नुकसान ही नहीं हुआ, 2 लोगों ने आत्महत्या भी कर ली. कुछ पीड़ित युवाओं के पिता हार्ट अटैक का शिकार हुए. किसी के विवाह का रिश्ता टूट गया. लेकिन खुराना बहुत ही शातिर है. वह हर बार गिरफ्तारी से बच जाता है. ठगी करके उसने करोड़ों रुपया जमा किया है. केलवद में दर्ज मामले में पुलिस से बचने के लिए वह सुप्रीम कोर्ट तक गया लेकिन राहत नहीं मिली. वह वेकोलि में फाइनेंस मैनेजर था.

    एक व्यक्ति को नौकरी दिलाने के लिए 3 लाख रुपये लिए थे. उसके फर्जीवाड़े का भंडाफोड़ होने पर वेकोलि ने जांच की और उसे सेवा से ही बर्खास्त कर दिया था. इसके बाद खुराना ने ठगी को ही अपना पेशा बना लिया. लोगों की खून-पसीने की कमाई से वह अय्याशी कर रहा था. अब उसकी गर्दन हाथ आई है. केवल केलवद पुलिस थाने में ही उसकी ठगी के 20 से ज्यादा शिकार बयान दर्ज करवा चुके हैं.

    कई दर्जन पीड़ित नागपुर शहर के हैं. अन्य जिलों में भी उसने अपना रैकेट फैला रखा था. खुराना ने शिल्पा पालपर्थी और राजेंद्र तिवारी के जरिए कितनी रकम हासिल की, कब-कब और कहां पैसों का व्यवहार हुआ, गिरोह में और कितने लोग शामिल थे इसका पता लगाने के लिए पुलिस ने हिरासत मांगी.