(प्रतीकात्मक तस्वीर)
(प्रतीकात्मक तस्वीर)

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    नागपुर. 10 महीने के बच्चे का लीवर ट्रांसप्लांट कर सिटी के डॉक्टरों ने एक और उपलब्धि हासिल की है. मो. अब्बास बिलीअरी अट्रेसिया नामक बीमारी से पीडि़त था. जन्म से पित्ताशय और पित्त से निकलने वाली नसें पूरी तरह विकसित नहीं हुई थीं. इससे बच्चे का लीवर खराब हो गया. पीलिया के साथ ही पेट में पानी भर जाने से पाचन तंत्र बिगड़ गया. उसका वजन मात्र 6 किलो था. न्यू ईरा हॉस्पिटल के डॉक्टरों ने सफल ऑपरेशन कर लीवर ट्रांसप्लांट किया. ऑपरेशन करीब 16 घंटे तक चला. 10 वर्ष के बच्चे का लीवर ट्रांसप्लांट मध्य भारत में पहली बार किये जाने का दावा डाक्टरों ने किया.

    अब्बास के परिजनों ने उम्मीद छोड़ दी थी कि उनका बच्चा जीवित रहेगा. डॉ. राहुल सक्सेना ने जांच के बाद ऑपरेशन का निर्णय लिया. डॉ. साहिल बंसल, डॉ. आयुष्मा जेजानी, डॉ. निशु बंसल, डॉ. स्वप्निल भिसीकर और डॉ. आनंद भुतड़ा सहित 8 डॉक्टरों की टीम तैयार की गई. माता-पिता का ब्लड ग्रुप बच्चे से मेल नहीं खाने की वजह से मौसी ने लीवर डोनेट करने की सहमति दी. ट्रासंप्लाट के बाद बच्चे को 2 हफ्ते में ही छुट्टी दे दी गई. अब वह पूरी तरह स्वस्थ है.

    बेहद क्रिटिकल ऑपरेशन 

    डॉ. सक्सेना ने बताया कि यह चुनौती भरा काम था. बच्चों में नसें बेहद छोटी होती हैं. इ‌न्हें जोड़ने में समय लगता है. वहीं एनेस्थीसिया देना भी रिस्की था. बच्चे का अपना इ‌म्यून सिस्टम नये लीवर को रिजेक्ट न करे, इसके लिए उसकी इम्यूनिटी कम करने विशेष दवा दी गई. अब बच्चे का नया लीवर ठीक तरीके से काम कर रहा है. डॉक्टर लगातार फालोअप कर रहे हैं. न्यू ईरा हॉस्पिटल में अब तक 51 लीवर ट्रांसप्लांट किये जा चुके हैं लेकिन 10 वर्ष के बच्चे का ट्रांसप्लांट मध्य भारत का पहला है. अस्पताल के संचालक डा. आनंद संचेती, डा. निलेश अग्रवाल, डा. निद्धेश मिश्रा की मदद से आपरेशन के लिए जनता से फंड एकत्रित किया गया.