Maharashtra assembly
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    नागपुर. पहले शीत सत्र, अब बजट अधिवेशन कैंसिल होने से नागपुर सहित पूरे विदर्भ के लोग परेशान हैं. उनका कहना है कि मुंबई में आयोजित बजट सत्र में उनके मुद्दों को तवज्जो नहीं दी जाएगी. वर्तमान सरकार के विधायक और मंत्री जहां इस मामले पर चुप्पी साधे हैं, वहीं विपक्ष इसे उपराजधानी का अपमान बता रहा है. भाजपा के विधायकों का आरोप है कि जिस मंत्रिमंडल में बजट अधिवेशन को कैंसिल करने का निर्णय लिया गया उसका स्थानीय विधायक जो वर्तमान में मंत्री पद पर हैं, उन्हें बैठक का बहिष्कार करना चाहिए था. ताकि बजट सत्र नागपुर में हो सके.  फिलहाल इस मामले में राजनीति गर्माई हुई है. इस मुद्दे को लेकर भाजपा आगामी समय में विरोध प्रदर्शन करने का मन बना रही है. 

    नियमों का उल्लंघन कर रहे CM

    जब नागपुर को उपराजधानी बनाया गया था तब तय हुआ था कि विधानमंडल का एक अधिवेशन हर वर्ष नागपुर में होगा लेकिन सीएम उद्धव ठाकरे नियमों का सीधा उल्लंघन कर रहे हैं. बीमारी तो एक बहाना है, असल में वे नहीं चाहते कि विदर्भ के असली मुद्दों पर चर्चा हो, उनको हल किया जाए. ये विदर्भ की जनता का दुर्भाग्य है कि सरकार की कैबिनेट में यहां के 2 मंत्री हैं लेकिन सभी ने स्वार्थवश चुप्पी साध रखी है. उन्हें डर है कि कहीं उनका मंत्री पद न चला जाए.  इससे उपराजधानी का महत्व कम हो रहा है. उपराजधानी को मिलने वाला 25  करोड़ का बजट भी रोक दिया है. हम इस अन्याय का विरोध करते हैं.-कृष्णा खोपड़े, विधायक, बीजेपी   

    अनैतिक गठबंधन बना नासूर 

    प्रदेश की सरकार को चला रहा अनैतिक गठबंधन विदर्भ की जनता के लिए नासूर बना हुआ है. साल में एक अधिवेशन उपराजधानी नागपुर में होना चाहिए. लेकिन उसे टाला जा रहा है. सीएम उद्धव ठाकरे को डर है कि उनसे जनहित से जुड़े तीखे सवाल पूछे जाएंगे. उन्हें जमीनी हकीकत से रूबरू कराया जाएगा जो उन्हें पसंद नहीं. मुंबई में होने वाले अधिवेशन में वे अपने हिसाब से निर्णय कराएंगे. यह सीधे तौर पर विदर्भ की जनता के साथ विश्वासघात है. ये अन्याय बीते 2 सालों से हो रहा है. इस अन्याय का बदला जनता जरूरी लेगी.- मोहन मते, विधायक बीजेपी 

    सरकार विदर्भ के लोगों को अपना नहीं मानती 

    सरकार की नीति से लग रहा है कि विदर्भ महाराष्ट्र का हिस्सा नहीं है. इसी कारण उपराजधानी नागपुर में होने वाले बजट अधिवेशन को कैंसिल किया गया है. हम पूछना चाहते हैं कि 500 स्वेयरफुट तक के घरों को संपत्तिकर में छूट केवल मुंबई में ही क्यों दी गई है, राज्य के दूसरे हिस्सों को इस लाभ से वंचित क्यों रखा गया है? दो साल से निधि वितरण में भी सौतेला व्यवहार किया जा रहा है. लगता है कि सरकार के लिए विदर्भ के नागरिक महत्वपूर्ण नहीं हैं. अगर होते तो उपराजधानी में बजट अधिवेशन का आयोजन होता, जिसमें अमजन की समस्याओं पर चर्चा होती और उन्हें हल करने के लिए सटीक निर्णय लिए जाते. -प्रवीण दटके, विधायक,बीजेपी