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  • 653 स्कूल, 6,577 सीटें, 36,560 आवेदन

नागपुर. सभी को शिक्षा का अधिकार (आरटीई) के अंतर्गत निजी स्कूलों में प्रवेश के लिए पालकों की बढ़ती रुचि का ही नतीजा है कि इस बार सीटों की तुलना में 6 गुना आवेदन प्राप्त हुये हैं. राज्य में पुणे के बाद नागपुर में सर्वाधिक आवेदन आये हैं. प्रवेश के लिए पालक एड़ीचोटी का जोर लगाया जा रहा है. इसके लिए फर्जी इनकम सर्टिफिकेट से लेकर फर्जी रेंट एग्रीमेंट तक भी बनवा रहे हैं. कुछ पालकों ने तो बोगस कास्ट सर्टिफिकेट तक तैयार कराया है. 

आरटीई में प्रवेश मिलने पर नर्सरी, पहली से लेकर आठवीं कक्षा तक नि:शुल्क शिक्षा उपलब्ध कराई जाती है. यही वजह है कि सभी पालकों की इच्छा होती है कि उनके बच्चे का नामी स्कूलों में प्रवेश हो जाये. नागपुर जिले में कुल 653 स्कूलों में आरटीई की 6,577 सीटें उपलब्ध हैं जबकि अंतिम तिथि तक 36,560 पालकों ने आवेदन किया है. यानी एक सीट के लिए साढ़े पांच बच्चे दावेदार हैं. पुणे में कुल 936 स्कूलों में 15,655 सीटें उपलब्ध हैं जबकि 77,550 आवेदन प्राप्त हुये हैं. यहां साढ़े चार बच्चे दावेदार हैं. इसका मतलब साफ है कि राज्य में केवल नागपुर जिले में ही एक सीट के लिए सबसे अधिक दावेदार हैं.

धड़ल्ले से तैयार किये जा रहे फर्जी दस्तावेज

निजी स्कूलों की फीस में बेहतासा वृद्धि हुई है. नामी स्कूलों में नर्सरी के लिए ही करीब 50,000 रुपये खर्च आता है. यही वजह है कि पालक बच्चों के प्रवेश के लिए कुछ भी करने को तैयार हैं. स्कूल से दूरी 1-3 किमी होना अनिवार्य है. जो पालक दूर रहते हैं, वे स्कूल के आसपास रहने वाले परिचित, रिश्तेदारों के मकान में किराये से रहने का फर्जी रेंट एग्रीमेंट तक बनवा रहे हैं. दलालों के माध्यम से फर्जी इनकम सर्टिफिकेट बनाने वालों की भी कमी नहीं है. दस्तावेजों की जांच की जिम्मेदारी वेरीफिकेशन कमेटी की है लेकिन कई मामलों में लापरवाही बरती जाती है. इस वजह से निर्धन व जरूरतमंद बच्चे प्रवेश से वंचित रह जाते हैं और साधन संपन्न बाजी कर लेते हैं.  

नागपुर पंचायत समिति के दायरे में सर्वाधिक अनियमितता

प्रवेश में अनियमितता के सर्वाधिक मामले नागपुर पंचायत समिति में सामने आ रहे हैं. वेरीफिकेशन कमेटी के कार्यकाल में २०२१ में बोगस प्रवेश दिए गए. पद का दुरुपयोग कर बोरगांव व येरला के सरपंच ने निवासी प्रमाण पत्र जारी किया. नियमानुसार सरपंच निवासी प्रमाण पत्र जारी नहीं कर सकते. यह उनके अधिकार क्षेत्र में नहीं आता. यह ग्रामीण विकास मंत्रालय के निर्णय का उल्लंघन है. गट विकास अधिकारी गुंजलवार की रिपोर्ट पर शिक्षा अधिकारी प्राथमिक रोहिणी कुंभार ने प्रवेश रद्द करने का आदेश दिया था. इसके बावजूद प्रवेश रद्द नहीं किये गये. दरअसल इस गांव के पास एक नामी स्कूल है. आरटीई एक्शन कमेटी के अध्यक्ष मो. शाहिद शरीफ की शिकायत के बाद जब वेरीफिकेशन किया गया तो इसमें साफ हो गया कि अभिभावक वहां नहीं रहते. केवल प्रवेश लेने के लिए फर्जी दस्तावेज बनाये गये. गांव के गरीब बच्चों के अधिकार पर अतिक्रमण करने में नेता भी सक्रिय हैं. राजनीतिक दबाव के कारण गट शिक्षण अधिकारी राजश्री घोकडे ने २०२१ में दिए गए बोगस प्रवेश रद्द करने से इनकार कर दिया.