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  • तापमान में उतार-चढ‍़ाव के कारण सर्दी खांसी के साथ बुखार के मरीज बढ़े

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नागपुर. शहर के सरकारी अस्पतालों में जरूरत की कोई न कोई दवा शॉर्ट होती ही रहती है. जिसका खामियाजा आर्थिक रूप से कमजोर मरीजों को उठाना पड़ता है. फिलहाल मौसम के उतार-चढ़ाव के कारण अस्पतालों में सर्दी खांसी और बुखार के मरीज बढ़ रहे हैं. कोरोना के चलते सभी की जांच की जा रही है लेकिन ज्यादातर मरीजों की रिपोर्ट पॉजिटिव आ रही है. अब इसके बाद उन्हें डॉक्टर दवाइयां लिखकर दे रहे हैं.

कुछ दवाइयां तो अस्पताल में मिल रही हैं लेकिन ज्यादातार दवाइयां मरीजों को बाहर मेडिकल स्टोर से खरीदनी पड़ रही है. ऐसे में वे मरीज सबसे ज्यादा परेशान हैं जिनके पास धन का अभाव है. शहर के मेडिकल कॉलेज, मेयो और डागा अस्पताल में ऐसे मरीज इलाज कराने के लिए आते हैं जो निजी अस्पतालों का खर्चा नहीं उठा सकते. हालांकि अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि जरूरत की जो दवाइयां शॉर्ट हैं उन्हें मंगाने के ऑर्डर दे दिए गए हैं. फिलहाल जो स्टॉक है उसी के अनुसार मरीजों को दवाइयों का वितरण किया जा रहा है.

निजी पैथिलॉजी पर करा रहे जांच

एबीजी टेस्ट सहित दूसरी जांच सरकारी अस्पताल में ना होने के कारण मरीजों के परिजन बाहर निजी लैब से जांच करा रहे हैं. निजी लैब में जांचों के दाम ज्यादा होते हैं जब कि यही जांचें सरकारी अस्पतालों में नि:शुल्क की जाती हैं. जिन मरीजों के पास समय कम और पैसों की व्यवस्था है वे बाहर जांच करा रहे हैं. जिनके पास पैसों की कमी है वे किट आने का इंतजार कर रहे हैं. क्यों कि उनके पास इसके अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं है.

समय के हिसाब से रेट 

मेडिकल संचालक भी अस्तपालों में दवाओं के स्टॉक के हिसाब से रेट तय करते हैं. जैसे ही उन्हें दवा के शॉर्ट के बारे में पता चलता है उसके दाम बढ़ा दिए जाते हैं. कुछ मेडिकल स्टोर चालक ऐसे भी हैं जो मरीजों की स्थिति भांपते हुए उन्हें 5 से 10प्रतिशत तक का डिस्काउंट भी कर रहे हैं. लेकिन ज्यादातर मेडिकल संचालक दवाइयों के शॉर्ट होने का भरपूर फायदा उठाते हैं. दवा शॉर्ट की जानकारी भी इन्हें अस्पताल के अंदर से मिलती है.