Thela on Road, VNIT
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  • उचित प्लानिंग से करना होगा समस्या का समाधान
  • हटाने, उजाड़ने और फिर बसाने का खेल होगा खत्म

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नागपुर. स्ट्रीट वेंडर किसी भी शहर के कारोबार के जान होते हैं. बाजारों में रौनक इनसे ही होती है और बिगड़ती भी है. इनके बिना बाजार का सजना, संवरना नामुमकिन है. बड़े-छोटे बाजार के अभिन्न हिस्सा है वेंडर. इनकी अहमियत को मॉल संचालकों ने भी समझा. बड़े-बड़े आलीशान मॉल, मल्टीप्लेक्स में भी वेंडरों को जगह दी जाती है. स्ट्रीट वेंडर न केवल बाजार की जान हैं, बल्कि ग्राहकों के आकर्षण का मुख्य केंद्र भी हैं. जहां बेहतर स्ट्रीट वेंडर होंगे ग्राहक वहां पहुंच ही जाते हैं. वेंडर दिन-रात कड़ी मेहनत करते हैं. रोजी-रोटी का इंतजाम करते हैं और अपने परिवार का पालन-पोषण करते हैं.

शहर और राष्ट्र निर्माण में इनके योगदान को भुलाया नहीं जा सकता. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘आत्मनिर्भर भारत’ की ये जीती जागती मिसाल हैं. ये स्वाभिमान के साथ स्वयंरोजगार करते हैं और आर्थिक विकास में अपना योगदान करते हैं. दुर्भाग्य यह है कि ऐेसे स्वरोजगारी वर्ग को शहर में उचित सुविधाएं, संसाधन उपलब्ध कराने वाले ही उनकी भावनाओं को समझ नहीं पाते हैं. उन (स्ट्रीट वेंडर) पर आए दिन केंद्र-राज्य सरकार, स्थानीय प्रशासन और पुलिस वालों धौंस ही चलती रहती है. उन्हें मारा जाता है, खदेड़ा जाता है. गलती न होते हुए भी उन्हें रोज-रोज डरे-सहमे अपने कारोबार को आगे बढ़ाना पड़ता है. अगर जिम्मेदार सरकारी प्रशासन इनकी बेहतरी के लिए सोचे और उन्हें समुचित जगह उपलब्ध कराये तो न केवल शहर का भला होगा, बल्कि एक आत्मनिर्भर वर्ग को आगे बढ़ाने में भी मदद मिलेगी.

केंद्र सरकार की पहल पर स्थानीय प्रशासन ने कई बड़े शहरों में ऐेसे वेंडरों को सुव्यवस्थित करने की पहल की है. उनके योगदान को पहचाना है और उन्हें सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही है लेकिन अपने शहर में इन्हें खदड़ने के अलावा अधिकारियों के पास कोई काम नहीं है. प्लानिंग करने का टाइम भी नहीं है. 

जनसंख्या का 2 फीसदी होते हैं वेंडर

सर्वे के अनुसार शहर की कुल जनसंख्या का 2 फीसदी हिस्सा वेंडर के रूप में काम करते हैं. ये न केवल खुद कमाते खाते हैं, बल्कि इनसे एक नई चेन की शुरुआत होती है. गृह उद्योग को बढ़ावा देने में इनके योगदान को भुलाया नहीं जा सकता है. चेन को बचाने का काम सभी का है. एक बेहतर शहर की कल्पना करने वालों की जिम्मेदारी बनती हैं कि वे इनके लिए पहल करें और न्याय दिलाने का काम करें.

राष्ट्रीय नीति, लोकल में फेल

वेंडरों को न्याय देने के लिए राष्ट्रीय नीति है. राइट टू वर्क थ्रो नेशनल पॉलिसी फॉर स्ट्रीट वेंडर-2004 और प्रोडक्शन ऑफ लाइवलीहुड एंड रेगुलेशन फॉर स्ट्रीट वेंडर एक्ट 2014 में इन्हें काफी अधिकार दिया गया है लेकिन स्थानीय स्तर पर आते-आते ये हवा-हवाई हो जाते हैं. इन्हीं कानूनों के आधार पर टाउन वेंडिंग कमेटी बनाने का प्रावधान है ताकि एकजुट वेंडर अपनी बात प्रशासन तक पहुंचा सकें. अफसोस सिटी की टाउन वेंडिंग कमेटी वर्षों तक नहीं बनती. बनती भी है तो न्यायालय के आदेश के बाद. फिर कोई काम होता नहीं होता. यानी हम अपने एक अहम योगदानकर्ताओं की घोर उपेक्षा कर रहे हैं. 

सुरक्षा के लिए भी अहम

मुख्य बाजार से लेकर गली-मुहल्ले तक वेंडर दिख जाते हैं. ये लोग आम लोगों के लिए सुरक्षा का भी काम करते हैं. सुनसान राहों पर ये रात-बेरात लोगों को एक ढांढस दिलाते हैं. इनकी उपस्थिति निश्चित रूप से सिटी को एक सुरक्षित माहौल में रखने का काम भी प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष रूप से करता है.

मास्टर प्लान में शामिल हो वेंडिंग जोन

सिटी के पुराने भागों की बात छोड़ दें, उभरते हुए क्षेत्रों के लिए अभी से प्लानिंग जरूरी हो गई है ताकि जो गलती पूर्व में हुई है उसे भविष्य के लिए सुधारा जा सके. अगर मास्टर प्लान में स्ट्रीट वेंडिंग के लिए जगह अभी से आरक्षित की जाए तो इसे पैदल चलने वालों से लेकर वाहन चालक तक को राहत मिलेगी. ये लोग अपने दायरे में काम करते रहेंगे और बाकी सड़के वाहनों के लिए खाली रह सकेगी. परंतु इसके लिए महानगर पालिका में बैठे आला आकाओं को अभी से ही गंभीरता से विचार करना होगा और प्लानिंग करने वालों को पहल करनी होगी. नये जनरेशन को व्यवस्थित सिटी देने के लिए इस प्रकार की पहल निश्चित रूप से समय की मांग है. प्लानिंग नहीं की गई तो भविष्य में सड़कों पर चलना मुश्किल होगा और सिटी के समक्ष बहुत विकराल समस्या खड़ी होगी. 

इसलिए हर जोन में जरूरी वेंडर मॉल, चौपाटी

हर जोन में वेंडर जोन मार्क करने के साथ-साथ पुराने शहर को अतिक्रमण और भीड़ भाड़ से बचाने के लिए भी मनपा को पहल करनी चाहिए. इसके लिए ही सक्षम अधिकारियों को मनपा के प्रत्येक जोन में वेंडर स्ट्रीट, वेंडर काम्प्लेक्स-मॉल, वेंडर जोन, चौपाटी आदि बनाने की पहल करनी पड़ेगी. इसी बलबूते हम अपने रैंकिंग में सुधार ला पाएंगे. शहर के लोगों की जीवनशैली को बेहतर बना पाएंगे. अन्यथा आए दिन अतिक्रमण हटाओ मुहिम चलती रहेगी. तू डाल-डाल, मैं पात-पात वाली कहावत चरितार्थ होती रहेगी.