Court approves sacking of 12 Manpa employees, High Court validates Munde's decision
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    नागपुर. नियमों को ताक पर रखकर पहले सैम्पल लिए गए और अब डाबर हनी को सब स्टैंडर्ड बताते हुए फूड, सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड एक्ट 2006 के तहत नोटिस जारी किया गया. इसे चुनौती देते हुए डाबर इंडिया लि. कंपनी ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की. याचिका पर बुधवार को सुनवाई के बाद न्यायाधीश अतुल चांदूरकर और न्यायाधीश अनिल पानसरे ने नागपुर, चंद्रपुर और अमरावती के फूड एंड ड्रग्स विभाग के सह आयुक्त, नागपुर और अमरावती के सहायक आयुक्त, राज्य के अन्न व औषध विभाग तथा दिल्ली स्थित फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया को नोटिस जारी कर जवाब दायर करने के आदेश दिए. साथ ही अदालत ने अगले आदेश तक डाबर के खिलाफ कोई भी कड़ी कार्रवाई नहीं करने के भी आदेश दिए. 

    सैम्पल लेने का तरीका गलत

    सुनवाई के दौरान डाबर की ओर से पैरवी कर रहे वकील ने कहा कि जांच के दौरान अधिकारियों द्वारा जिस तरह से सैम्पल लिए गए, वह पूरी तरह से अवैध है. यहां तक कि एक्ट-2006 में प्रदत्त नियमों के विपरीत है. इसी तरह से फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड रूल्स 2011 के विपरीत भी है. कानून में प्रदत्त धारा 46 के अनुसार फूड एनालिस्ट की रिपोर्ट उपलब्ध कराने में विफलता पर अपील का अधिकार भी खत्म हो गया है. अदालत को बताया गया कि 4 दिसंबर 2020 को विभाग के अधिकारियों द्वारा सैम्पल लिए गए थे.

    12 महीनों की शेल्फ लाइफ

    सुनवाई के दौरान अदालत को बताया गया कि उत्पाद की शेल्फ लाइफ उत्पादन से 12 माह तक की होती है. विभाग ने फार्म वीए का नोटिस जारी किया गया, वह उत्पाद की शेल्फ लाइफ खत्म होने के बाद जारी किया गया है. ऐसे में इस तरह के नोटिस का कोई औचित्य ही नहीं रहता है. सुनवाई के बाद अदालत ने जहां नोटिस जारी किया वहीं कड़ी कार्रवाई पर रोक भी लगा दी.