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    नागपुर. मानकापुर थाना में दर्ज हत्या के मामले से किसी तरह का संबंध नहीं होने का हवाला देते हुए जावेद खान हबीब खान की ओर से जमानत के लिए हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई. याचिका पर लंबी सुनवाई के बाद मामले में शामिल होने को लेकर याचिकाकर्ता के खिलाफ कई पुख्ता गवाह होने का कारण देते हुए न्यायाधीश रोहित देव ने जमानत देने से साफ इनकार कर याचिका ठुकरा दी. याचिकाकर्ता की ओर से अधि. पी.डब्ल्यू. मिर्जा और सरकार की ओर से सहायक सरकारी वकील एन.एस. राव ने पैरवी की. मानकापुर थाना में दर्ज हत्या के मामले में याचिकाकर्ता सहआरोपी बनाया गया है. 

    सम्पत्ति विवाद को लेकर आपस में भीड़े

    अभियोजन पक्ष के अनुसार कथित आरोपी सैयद आसिफ अली और उसके भाई अमिन अली किसी सम्पत्ति को लेकर आपस में भीड़ गए. इसी विवाद के चलते आसिफ ने जावेद खान और अन्य आरोपियों के साथ मिलकर 10 अगस्त 2020 की रात 9.30 बजे अमिन पर घातक हमला कर दिया. अमिन अली  को रास्ते से हटाने के लिए आसिफ ने जावेद को प्रोत्साहित किया था. घटना के दौरान याचिकाकर्ता ने लोहे की राड से अमिन पर हमला किया था. घातक वार से अमिन घटना स्थल पर ही बुरी तरह घायल होकर गिर गया था. अमिन के नीचे गिरते ही अन्य आरोपी ने चाकू से उस पर हमला किया था. पूरा वाकया सीसीटीवी में कैद हो गया था. सादिक ने तो चाकू से हमला किया था. किंतु इसकी जब्ती याचिकाकर्ता के पास से हुई थी. बयान में याचिकाकर्ता ने कहा कि सादिक ने चाकू उसे सौंपा था. 

    पहचान परेड में हुआ खुलासा

    घटना के दौरान अमिन एक गवाह अमिर अली के साथ था. हालांकि अमिर अली को पहले याचिकाकर्ता का नाम पता नहीं था. किंतु पहचान परेड के दौरान उसने याचिकाकर्ता जावेद तो पहचान लिया था. अदालत ने आदेश में कहा कि चार्जशीट में याचिकाकर्ता के खिलाफ पुख्ता सबूत है. अमिन अली को बुरी तरह से मारा गया. याचिकाकर्ता और अन्य साथियों ने पहले अमिन का पीछा किया. लोहे की राड से सिर पर हमला कर उसे गिरा दिया. जिसके बाद आरोपियों ने उसे चाकू से गोद दिया.

    मामले की घातकता को देखते हुए अदालत ने ऐसे मामले में जमानत देने से साफ इनकार कर दिया. पुलिस की ओर से बताया गया कि अमिर अली निश्चित ही याचिकाकर्ता को नाम से नहीं जानता था. इसीलिए पहचान परेड कराई गई थी. हालांकि बचाव पक्ष की ओर से बताया गया कि अमिर अली मृतक से संबंधित था. इसके बावजूद याचिकाकर्ता को उसके द्वारा नाम से नहीं जानना, समझ से परे हैं. बचाव पक्ष की तमाम दलीलों के बावजूद अदालत ने याचिका ठुकरा दी.